अब हर डिवाइस के लिए एक ही चार्जर का प्रयोग किया जाएगा! आपके घर में कितने चार्जर हैं? कभी इनकी गिनती की। स्मार्टफोन के लिए अलग, लैपटॉप के लिए अलग, ईयरफोन और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट्स के लिए अलग। घर न हुआ चार्जरों की दुकान हो गई। बस, कुछ इंतजार और। यह सारा ई-कचरा आपके घर से बाहर होगा। आप सिर्फ एक चार्जर से अपना आईफोन, एंड्रॉयड टैबलेट, लैपटॉप और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स चार्ज कर पाएंगे। सरकार ने इसके लिए कमर कस ली है। वह वन चार्जर पॉलिसी पर अमल करने वाली है। बुधवार को इस बाबत एक बैठक भी हुई है। उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह की अध्यक्षता में इस पर मंथन हुआ। इस कदम से आपकी जिंदगी में क्या बदलाव होगा? सरकार इसे क्यों बढ़ावा देना चाहती है? दूसरे देशों में इसे लेकर क्या हुआ है? अब किस तरह के फोन आएंगे? आइए, यहां इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं।रोहित कुमार सिंह ने बुधवार को इस पॉलिसी के बारे में कई चीजें बताई। उन्होंने बताया कि सरकार मोबाइल, टैबलेट जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए एक ही चार्जर की संभावना तलाशने पर विशेषज्ञ समूहों का गठन करेगी। ये समूह दो महीनों में विस्तृत रिपोर्ट सौंपेगे। उद्योगों से जुड़े पक्षों के साथ बैठक के बाद सचिव ने यह ऐलान किया। भारत शुरुआत में दो प्रकार के चार्जर अपनाने पर विचार कर सकता है। इसमें सी टाइप का चार्जर भी शामिल है। इस बैठक में उद्योग जगत की तमाम हस्तियों को बुलाया गया था। इस पर उनकी राय जानी गई। इसमें एसोचैम, सीआईआई, फिक्की, इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट्स इनोवेशन कन्सोर्टियम (EPIC) फाउंडेशन समेत कई संगठनों ने भी हिस्सा लिया।
क्यों बढ़ाया है कदम?
पिछले साल नवंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लासगो में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी 26) में हिस्सा लिया था। उन्होंने इस दौरान LiFE यानी लाइफस्टाइल फॉर द एनवायरनमेंट के कॉन्सेप्ट की बात की थी। मंत्रालय का यह कदम उसी पृष्ठभूमि में आया है। इसके अलावा केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के अपडेटेड नेशनल डिटर्मिंड कॉन्ट्रिब्यूशन (एनडीसी) को भी मंजूरी दे दी है। एनडीसी के अनुसार, भारत ने 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद में उत्सर्जन को 45 फीसदी तक कम करने की प्रतिबद्धता जताई है। जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए देश की प्रतिबद्धता को देखते हुए मंत्रालय ने इलेक्ट्रॉनिक कचरे को कम करने की दिशा में कदम उठाया है।
इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि आपको अपने तमाम गैजेट्स के लिए अलग-अलग चार्जरों की जरूरत नहीं होगी। यह एक तरह से इंटर-ऑपरेबिलिटी की सहूलियत देगा। इसका मतलब यह हुआ कि आप सभी तरह के स्मार्टफोन, लैपटॉप और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स एक ही चार्जर से चार्ज कर पाएंगे। अब तक इनका मानकीकरण नहीं किया गया था। ऐसे में हर कंपनी अपने चार्जर ऑफर कर रही है। लेकिन, इससे लोगों की दुश्वारियां बढ़ रही हैं। उन्हें बहुत तरह के चार्जरों का इस्तेमाल करना पड़ता है। इस पॉलिसी के परवान चढ़ने पर लोगों की दिक्कतें कम होंगी।
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि कंपनियां अपनी खास पहचान बनाए रखने के लिए नहीं चाहती कि ऐसी पॉलिसी पर अमल किया आए। अगर सभी फोन, लैपटॉप, ईयरबड्स वगैरह के लिए एक चार्जर की दिशा में बढ़ा गया तो ऐप्पल पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। Apple का iPhone अभी चार्जिंग के लिए लाइटिंग पोर्ट का इस्तेमाल कर रहा है। इसके लिए दूसरे एंड्रॉयड फोनों के बजाय एक अलग केबल की जरूरत होती है। इसी तरह अगर आपके पास iPhone और MacBook Air M1 है तो आपको दो अलग-अलग चार्जर की जरूरत होती है। वहीं आपके पास नया iPad और MacBook है, तो आप उन दोनों को एक ही टाइप-सी केबल से चार्ज कर सकते हैं। कुल मिलाकर कई तरह के चार्जरों की जरूरत पड़ती है।
अभी शाओमी, रियलमी, ओप्पो, वीवो, वनप्लस, मोटोरोला और सैमसंग जैसे प्रमुख स्मार्टफोन प्लेयर्स अपने स्मार्टफोन के लिए USB टाइप-सी चार्जिंग स्लॉट देते हैं। इनमें से कुछ कंपनियां बॉक्स में चार्जर नहीं देती हैं। जबकि कई कंपनियां ऐसी हैं जो फास्ट चार्जिंग के लिए यूएसबी टाइप-ए से यूएसबी टाइप-सी केबल और बॉक्स में चार्जर उपलब्ध कराती हैं। Apple इकलौती टॉप स्मार्टफोन ब्रांड है जिसके पास iPhone में लाइटनिंग चार्जिंग स्लॉट है। इन सभी को अब नई टेक्नोलॉजी की तरफ बढ़ना पड़ेगा।अभी शाओमी, रियलमी, ओप्पो, वीवो, वनप्लस, मोटोरोला और सैमसंग जैसे प्रमुख स्मार्टफोन प्लेयर्स अपने स्मार्टफोन के लिए USB टाइप-सी चार्जिंग स्लॉट देते हैं। इनमें से कुछ कंपनियां बॉक्स में चार्जर नहीं देती हैं। जबकि कई कंपनियां ऐसी हैं जो फास्ट चार्जिंग के लिए यूएसबी टाइप-ए से यूएसबी टाइप-सी केबल और बॉक्स में चार्जर उपलब्ध कराती हैं।