Wednesday, May 14, 2025
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पीएम मोदी की जाति को लेकर क्या बोल रहे हैं राहुल गांधी?

पीएम मोदी की जाति को लेकर राहुल गांधी लगातार वार पर वार किए जा रहे हैं! लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक गरमागरमी बढ़ गई है। बीजेपी-कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दल चुनावी समर में कूद गए हैं। इस बीच कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक बार फिर से झूठ बोल कर अपनी और कांग्रेस की फजीहत कराई है। ओडिशा में भारत जोड़ो न्याय यात्रा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने पीएम मोदी की जाति को लेकर ऐसा झूठा दावा कर दिया कि बीजेपी से लेकर उनकी ही पार्टी के पूर्व नेता उन्हें घेर रहे हैं। दरअसल राहुल गांधी ने अपने बयान में कहा कि पीएम मोदी ओबीसी में पैदा नहीं हुए, वो तेली जाति के हैं। जिसे गुजरात में भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान ओबीसी सूची में शामिल किया गया था। ऐसा पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी अपने झूठे बयान और दावों के चक्कर में फजीहत करा बैठे हैं। राफेल जहाज खरीदने का मामला हो, कृषि कानून हो, लद्दाख क्षेत्र में भारत और चीनी सेना की वापसी हो या फिर मोदी की जाति को लेकर दिया बयान… राहुल गांधी के झूठ की फैक्ट्री चलती जा रही है। सबसे पहले राहुल गांधी के उस बयान की बात कर लेते हैं, जिसे लेकर अभी बवाल मचा हुआ है। दरअसल राहुल गांधी ने ओडिशा में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओबीसी में पैदा नहीं हुए थे, उनका जन्म तेली जाति में हुआ, जिसे गुजरात में बीजेपी सरकार ने ओबीसी में शामिल किया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी एक सामान्य जाति से ताल्लुक रखते हैं। राहुल ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी अपनी जाति के नाम पर देश को गुमराह कर रहे हैं।

राहुल गांधी का पीएम मोदी की जाति को लेकर किया गया दावा गलत निकला। लेखक आनंद रंगनाथन ने रात्रपत्र शेयर करते हुए राहुल गांधी के दावे का फैक्ट चेक किया है। ये राजपत्र 27 अक्टूबर 1999 को जारी किया गया था। इस राजपत्र में पीएम मोदी की जाति को ओबीसी के रूप में अधिसूचित किया गया है। भारत सरकार द्वारा जारी ये राजपत्र उस वक्त जारी हुआ, जब गुजरात में कांग्रेस की सरकार थी। जबकि नरेंद्र मोदी गुजरात के 2001 में मुख्यमंत्री बने थे। राहुल गांधी के दावे का खंडन उनकी ही पार्टी के पूर्व नेता और सांसद नरहरि अमीन ने भी किया। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, जिस व्यक्ति को अपना गोत्र तक नहीं पता, वो आज एक गरीब परिवार और तेली समाज में जन्मे प्रधानमंत्री को ओबीसी सर्टिफिकेट दे रहा है! यह सामाजिक तौर पर पिछड़े सभी लोगों का अपमान नहीं तो और क्या है? नरहरि अमीन ने कहा जब 25 जुलाई 1994 को सरकार ने मोध-घांची को ओबीसी के रूप में अधिसूचित किया, तब मैं कांग्रेस सरकार में गुजरात के उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत था। यह वही जाति है जो हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की है। ऐसे में इसको लेकर बयान देकर राहुल गांधी द्वारा ओबीसी समुदायों का अपमान किया जा रहा है।

राहुल गांधी कांग्रेस के सबसे बड़े नेताओं में शामिल हैं। गांधी परिवार के सदस्य होने के नाते उनका ओहदा और बढ़ जाता है, लेकिन वो लगातार झूठे बयानों के चलते फजीहत कराते रहते हैं। उन्होंने साल 2020 में भारत-चीन विवाद के दौरान भारतीय सेना को लेकर भी झूठा दावा किया था। इसके लिए बकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी गई थी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने भारत सरकार की चीन के साथ युद्ध टालने के लिए सैनिकों की वापसी की आलोचना की। राहुल ने मोदी सरकार पर चीन के सामने सरेंडर करने का आरोप लगाया। इतना ही नहीं एक पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने ये तक कह दिया कि चीन के साथ सीमा विवाद में भारत को कुछ नहीं मिला और काफी कुछ गवाना पड़ा। राहुल के इन बयानों को लेकर देशभर में उनकी जमकर आलोचना हुई। फिर क्या अगले दिन पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी को प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ी, हालांकि उन्होंने भी राहुल के झूठ को आगे बढ़ाया।

राहुल गांधी ने एक बड़ा झूठ राफेल डील को लेकर भी बोला। उन्होंने राफेल विमान की खरीद में घोटाले का गंभीर आरोप लगाया था। इतना ही नहीं राफेल खरीद को लेकर राहुल गांधी ने पीएम मोदी के खिलाफ ‘चौकीदार चोर है’ टिप्पणी की। उन्होंने अपनी चुनावी सभाओं में जमकर इस टिप्पणी को दोहराया। जब इसके खिलाफ सुप्रीम में मामला पहुंचा, तो राहुल को कोर्ट ने फटकार लगाई। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि फ्रांस से 36 लड़ाकू विमान खरीदने के लिए फैसला लेने की प्रक्रिया में किसी भी तरह का संदेह करने की कोई वजह नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने इस डील में अनियमित्ताओं की जांच के लिये दायर सभी याचिकायें खारिज कर दी थीं। इधर कोर्ट की अवमानना मामले में राहुल को माफी मांगनी पड़ी। उन्होंने अपने माफीनामे में कहा कि कोर्ट का अपमान करने की उनकी कोई मंशा नहीं थी, ना ही उन्होंने जानबूझ कर ऐसा किया, ना ही अदालत की न्यायिक प्रक्रिया में वो किसी तरह की बाधा पहुंचाना चाहते थे, भूलवश उनसे ये गलती हो गई, लिहाजा इसके लिए वो क्षमा चाहते हैं।

राहुल गांधी कांग्रेस के सीनियर नेताओं में से एक हैं। भारत जोड़ो यात्रा से लेकर पार्टी के कई बड़े इवेंट उनकी ही अगुवाई में होते हैं। ऐसे में राहुल गांधी के बयान सीधे तौर पर कांग्रेस और पूरे I.N.D.I.A गठबंधन को रिप्रेजेंट करते हैं। लोकसभा चुनाव से पहले अपने ओबीसी कार्ड को खेलने के चक्कर में इस तरह का बयान कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचा सकता है। वहीं ये बात भी समझनी जरूरी है कि कांग्रेस जहां आरोप-प्रत्यारोप के दमपर चुनावी जंग लड़ना चाह रही हैं, वहीं बीजेपी पूरे कॉन्फिडेंस से अपने 10 साल के विकास काम को लेकर मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। इसे इस बात से समझा जा सकता है कि मोदी सरकार ने अपने अंतरिम बजट में कोई लोक लुहावन वादा नहीं किया, वहीं बजट के बाद सरकार ने कांग्रेस सरकार के 10 साल के कार्यकाल में हुए आर्थिक कुप्रबंधन पर श्वेत पत्र भी जारी कर दिया। यानी बीजेपी के खिलाड़ी दोनों साइड से सियासत के मैच में बेटिंग कर रहे हैं, वहीं राहुल गांधी अपनी बयानबाजी के चक्कर में हिट विकेट कर रहे हैं।

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