आज हम आपको बताएंगे कि आखिर स्पूफ कॉल्स के लिए भारतीय सरकार का क्या प्लान है! भारत सरकार विदेशी नंबरों से आने वाली उन फर्जी कॉल पर अंकुश लगाने की तैयारी कर रही है जिनमें सीबीआई, एनसीबी या किसी और सरकारी विभाग का अफसर बताकर ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ की धमकी दी जाती है। ये कॉल करने वाले असल में लोगों से पैसे ऐंठने की कोशिश कर रहे होते हैं। इन जालसाजों को पकड़ने में मदद के लिए भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र I4C, माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के साथ मिलकर काम कर रहा है। अब तक हजारों फर्जी स्काइप अकाउंट बंद करवा चुका है जिनका इस्तेमाल ये जालसाज सरकारी विभागों का भरोसा दिलाने के लिए करते थे। ये जालसाज पैसे ऐंठने के लिए कई तरीके अपनाते हैं। ये पैसे अंतरराष्ट्रीय बैंक ट्रांसफर, सोने की खरीद, क्रिप्टोकरेंसी या एटीएम से निकालने के लिए कह सकते हैं। अगर आपको ऐसे किसी फोन आता है तो आप सरकार की साइबर क्राइम वेबसाइट पर जाकर उस नंबर, वॉट्स अकाउंट या वेबसाइट के यूआरएल की शिकायत दर्ज करा सकते हैं। वहां मौजूद जानकारी से आप संदिग्ध नंबरों की जांच भी कर सकते हैं। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) और दूरसंचार विभाग (डीओटी) मिलकर विदेशों से आने वाली जाली कॉलों को रोकने का काम कर रहे हैं। ये जालसाज खुद को किसी कानून लागू करने वाली संस्था जैसे NCB या CBI का अधिकारी बताकर फोन करते हैं और कहते हैं कि आपकी ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ कर ली गई है।दूसरी तरफ,साइबर अपराध की वेबसाइट पर ‘संदिग्ध डेटा’ में रिपोर्ट करें। इसके अलावा, वेबसाइट पर मौजूद ‘संदिग्ध स्टोरेज डेटा’ से फोन नंबरों की जांच भी की जा सकती है। I4C माइक्रोसॉफ्ट के साथ मिलकर विदेशी ठगों द्वारा भारतीयों से पैसे ऐंठने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सरकारी विभागों के लोगो के दुरुपयोग को रोकने का प्रयास कर रहा है।
I4C के CEO राजेश कुमार के अनुसार, कई मामले सामने आए हैं जहां कॉल करने वाला खुद को पुलिस या किसी अन्य एजेंसी का अधिकारी बताकर डिजिटल गिरफ्तारी की धमकी देता है और फिर पैसे की मांग करता है। कुमार ने आगे बताया कि, ‘ठग भारतीय नंबर से फोन करके पीड़ित से बात करता है। कॉल स्पूफिंग का इस्तेमाल कर वे CBI, RBI, NIA या बैंकों के अधिकारी बनकर बात करते हैं।’ डिजिटल गिरफ्तारी के दौरान पैसे ऐंठने के तरीकों में अंतरराष्ट्रीय फंड ट्रांसफर, सोना, क्रिप्टोकरेंसी और एटीएम से पैसे निकालना शामिल है। कुमार ने लोगों से यह भी अपील की है कि वे धोखाधड़ी वाले फोन नंबरों, व्हाट्सएप अकाउंट या URL को साइबर अपराध की वेबसाइट पर ‘संदिग्ध डेटा’ में रिपोर्ट करें। इसके अलावा, वेबसाइट पर मौजूद ‘संदिग्ध स्टोरेज डेटा’ से फोन नंबरों की जांच भी की जा सकती है।
गृह मंत्रालय ने पिछले हफ्ते ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ पर एक सलाह जारी की थी जिसमें बताया गया था कि कैसे ये ठग पुलिस स्टेशन और सरकारी दफ्तरों की नकल वाले स्टूडियो का इस्तेमाल करते हैं और असली दिखने के लिए वर्दी पहनते हैं। वे संभावित शिकार को फोन करते हैं और बताते हैं कि उसने या तो किसी गैरकानूनी सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या किसी अन्य प्रतिबंधित चीज का पार्सल भेजा है या उसे मिलने वाला है। कभी-कभी, वे यह भी कहते हैं कि पीड़ित का कोई करीबी किसी अपराध में शामिल पाया गया है या किसी दुर्घटना में है और उसे हिरासत में लिया गया है। इन ठगों की ओर से फंसाए गए लोग मामले को निपटाने के लिए पैसे देने पर मजबूर हो जाते हैं। कुछ मामलों में, भोले भाले पीड़ितों को डिजिटल गिरफ्तारी का सामना करना पड़ता है और उन्हें तब तक स्काइप या किसी अन्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन रहना पड़ता है बता रहे हैं जालसाज खुद को किसी कानून लागू करने वाली संस्था जैसे NCB या CBI का अधिकारी बताकर फोन करते हैं और कहते हैं कि आपकी ‘डिजिटल गिरफ्तारी‘ कर ली गई है।दूसरी तरफ, I4C माइक्रोसॉफ्ट के साथ मिलकर विदेशी ठगों द्वारा भारतीयों से पैसे ऐंठने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सरकारी विभागों के लोगो के दुरुपयोग को रोकने का प्रयास कर रहा है। जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती। यह एक संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध है और इसे सीमापार अपराध सिंडिकेट द्वारा संचालित किया जाता है। गृह मंत्रालय ने यह भी बताया कि I4C ऐसे ठगों की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले सिम कार्ड, मोबाइल डिवाइस और फर्जी खातों को ब्लॉक करने में भी मदद कर रहा है।