Thursday, November 21, 2024
HomeEntertainementधर्मनिरपेक्षता और बॉलीवुड का क्या है आपसी संबंध?

धर्मनिरपेक्षता और बॉलीवुड का क्या है आपसी संबंध?

आज हम आपको बताएंगे कि धर्मनिरपेक्षता और बॉलीवुड का आपस में संबंध क्या है! जीवन के अधिकांश समय में मैंने माना कि भारत मूल रूप से एक धर्मनिरपेक्ष देश है। इस विचार के पीछे तर्क यह था कि अगर शाहरुख, सलमान और आमिर खान जैसे मुस्लिम सुपरस्टार्स बॉलीवुड पर राज कर सकते हैं, तो भारत मुस्लिम विरोधी कट्टरपंथियों का देश नहीं हो सकता। अगर अलग-अलग धर्मों के लाखों प्रशंसक खान एक्टर्स को अपना आदर्श मानते हैं, तो भारत मूल रूप से धर्मनिरपेक्ष ही होगा। हालांकि 2019 के आम चुनावों में बीजेपी की जबरदस्त जीत ने उनके इस विश्वास को हिला दिया। ऐसा लग रहा था कि पूरा देश हिंदुत्व की ओर बढ़ रहा है। पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों और यहां तक कि न्यायपालिका के रवैये में बदलाव से यह बात और पुष्ट होती दिखी। बॉलीवुड, जिसे कभी विभिन्न धर्मों के भाईचारे का जश्न मनाने वाली फिल्मों के साथ भारतीय धर्मनिरपेक्षता का प्रमुख उदाहरण माना जाता था, उसमें भी बदलाव आने लगा। खान एक्टर्स को परदे पर और परदे के पीछे भी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। 2015 में, शाहरुख खान ने उन लेखकों, कलाकारों और वैज्ञानिकों के एक ग्रुप का समर्थन किया, जिन्होंने अपने राष्ट्रीय और राज्य पुरस्कार लौटा दिए थे। असहिष्णुता के मुद्दे पर उन्होंने ये कदम उठाया था। उन्होंने ये भी कहा था कि ये असहिष्णुता हमें अंधकार युग में ले जाएगी।’ इसके बाद शाहरुख खान को कड़ी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा। तत्कालीन बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शाहरुख आतंकवादियों की भाषा बोल रहे हैं। दूसरों ने उन्हें ‘देशद्रोही’ करार दिया और उनकी फिल्मों के बहिष्कार की धमकी दी।

इसके तुरंत बाद, शाहरुख की फिल्में फ्लॉप होने लगीं – 2016 में ‘फैन’, 2017 में ‘जब हैरी मेट सेजल’ और 2018 में ‘जीरो’। क्या यह सिर्फ इसलिए था क्योंकि फिल्में खराब थीं? या बहिष्कार के आह्वान ने उनके फैन बेस को प्रभावित किया था? 2021 में, पुलिस ने उनके बेटे आर्यन खान को ड्रग रखने के आरोप में गिरफ्तार किया। आर्यन को आखिरकार रिहा कर दिया गया, लेकिन गिरफ्तारी को बॉलीवुड के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा गया। सलमान खान ने कभी राजनीतिक बयान नहीं दिया। हालांकि, आमिर खान 2002 के गुजरात दंगों के बाद और 2014 में उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद भी नरेंद्र मोदी की आलोचना करते रहे हैं। 2015 में, आमिर ने एक जर्नलिज्म अवॉर्ड समारोह में खुलासा किया कि उन्होंने अपनी हिंदू पत्नी किरण राव के साथ सांप्रदायिक स्थिति पर चर्चा की थी, और किरण को आश्चर्य हुआ कि क्या सुरक्षा के लिए उनके परिवार को भारत छोड़ देना चाहिए। इसके बाद सोशल मीडिया पर हिंदुत्व समर्थकों ने शाहरुख और आमिर खान पर ताने कसते हुए कहा कि उन्हें भारत छोड़ देना चाहिए और देश को खुशहाल बनाना चाहिए।

आमिर को 2016 में ‘दंगल’ से बड़ी सफलता मिली, लेकिन उनकी अगली फिल्म ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’ एक डिजास्टर साबित हुई थी। वह चार साल तक फिर दिखाई नहीं दिए। लेकिन फिर आई उनकी बहुचर्चित फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ जिसके बहिष्कार का आह्वान करते हुए हैशटैग चलने लगे। फिल्म एक बड़ी फ्लॉप साबित हुई। क्या ये केवल खराब फिल्में थीं जो फ्लॉप होने के लायक थीं? या इसमें हिंदू समुदाय की नाराजगी का भी हाथ था?

2022 में विवेक अग्निहोत्री की ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने कश्मीरी पंडितों की पीड़ा और हत्याओं को बयां किया। इसकी सफलता ने फिल्मों की एक नई शैली को जन्म दिया जो अति-राष्ट्रवाद के इर्द-गिर्द केंद्रित थी। उनमें से कई ने ‘बुरे मुसलमान’ के कथानक को हवा दी और हिंदुओं को ‘विदेशी’ आक्रमणकारियों से बचाने की आवश्यकता की बात कही। इस बिंदु पर, मुझे आश्चर्य हुआ कि क्या मेरा यह आकलन गलत था कि तीनों खान की सफलता इस बात का प्रमाण है कि भारत पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष है? क्या 2019 के बाद से सतह के नीचे छिपा एक हिंदुत्ववादी भारत सामने आया था, और अपने सामने सब कुछ बहा ले जा रहा था? यहां तक कि कांग्रेस ने भी धर्मनिरपेक्षता शब्द का उल्लेख करना बंद कर दिया था, यह निष्कर्ष निकालते हुए कि यह किसी न किसी तरह हिंदू विरोधी होने से जुड़ा है। राहुल गांधी ने जनेऊ पहनना शुरू कर दिया था और खुद को शिव भक्त कहने लगे थे। क्या पूरा भारत हिंदुत्व की दिशा में मुड़ रहा था? क्या खान की फ्लॉप फिल्में इसी प्रक्रिया का हिस्सा थीं?

हालांकि, फिर जनवरी 2023 में शाहरुख की ‘पठान’ फिल्म ने रिकॉर्ड तोड़ सफलता हासिल। इससे पता चला कि उनका फैन बेस बरकरार है, और उनकी पिछली फ्लॉप फिल्में खराब स्क्रिप्ट के कारण थीं, न कि बहिष्कार के कारण। इसके बाद उन्होंने दो और बड़ी हिट फिल्में ‘जवान’ और ‘डंकी’ दीं। इस बीच, सलमान खान को ‘टाइगर 3’ से वर्षों में अपनी पहली बड़ी हिट मिली। खान वापस आ गए थे, पहले जैसी लोकप्रियता के साथ। लेकिन 2023 में ‘द केरल स्टोरी’, लव जिहाद पर आधारित एक फिल्म और ‘गदर 2’, जिसमें एक मजबूत राष्ट्रवादी विषय था, भी रिलीज हुईं। इस शैली ने अपने दर्शकों को नहीं खोया था। इस तरह की दो अच्छी तरह से बनाई गई फिल्में बड़ी हिट रहीं। इसके विपरीत, ‘मैं अटल हूं’ (पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के बारे में), ‘स्वतंत्र्य वीर सावरकर’ और ‘जहांगीर नेशनल यूनिवर्सिटी’ जैसी इस शैली की फिल्में फ्लॉप रहीं। यहां तक कि अक्षय कुमार और कंगना रनौत जैसे सितारों वाली फिल्में, जिन्हें ब्रिगेड से जोड़ा जाता है, उनको भी बहुत कम दर्शक मिले।

इसका क्या मतलब था? इसका मतलब था कि जब फिल्में देखने की बात आती है तो दर्शक अभी भी मूल रूप से धर्मनिरपेक्ष हैं। खानों ने अपने प्रशंसकों को नहीं खोया था और खराब स्क्रिप्ट की वजह से वे बुरे दौर से गुजरे थे। यह एक संकेत होना चाहिए था कि 2024 चुनाव में बीजेपी की बड़ी जीत नहीं होने वाली है, और मुस्लिम विरोधी भावना एक बड़ा वोट पाने का जरिया नहीं थी। बाकी सब इतिहास है।

Disclaimer:

Mojo Patrakar may publish content sourced from external third-party providers. While we make every reasonable effort to verify the accuracy, reliability, and completeness of this information, Mojo Patrakar does not guarantee or endorse the views, opinions, conclusions, or authenticity of content provided by these third-party entities. Such content is presented solely for informational purposes, and it is not intended to substitute professional advice or to serve as a comprehensive basis for decision-making.

Mojo Patrakar expressly disclaims any liability for errors, omissions, or inaccuracies that may arise from third-party content, as well as any reliance readers may place upon it. Users are strongly encouraged to conduct independent verification and consult with qualified professionals as necessary before making any decisions based on information obtained through Mojo Patrakar.

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments