Friday, November 22, 2024
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क्या थी चांद मोहम्मद और फिज़ा की लव स्टोरी?

सोनाली फोगाट की मौत पर उठा विवाद तो आपने देखा ही होगा! प्यार का सियासत से कोई मेल नहीं। प्यार में समर्पण होता है, विश्वास होता है, एक-दूसरे का साथ होता है। सियासत में विरोध होता है, टांग खिंचाई और तू-तू मैं-मैं होती है, विश्वास तो दूर-दूर तक नहीं। एक दूसरे को संदेह की नजर से देखना आम शगल है वहां। प्यार की मंजिल एक दूजे में विलीन हो जाना है, अपनी पहचान की परवाह नहीं, अपने अस्तित्व का फिक्र नहीं। सियासत की मंजिल अपनी पहचान इतनी बड़ी कर लेने की है कि दूजे का अस्तित्व ही संकट में आ जाए। बिल्कुल विपरीत रिश्ता है प्यार और सियासत का। शायद यही वजह है कि सियासत में प्यार का तड़का लगता है तो कई बार घातक कॉकटेल बन जाता है। इतना घातक की जान ही चली जाती है। चांद मोहम्मद और फिजा, गोपाल कांडा और गीतिका शर्मा, अमरमणि त्रिपाठी और मधुमिता शुक्ला, महिपाल मदेरणा और भंवरी देवी… ये नाम याद हैं ना आपको? इन युगल नामों में पहले नाम नेता जी के हैं और दूसरे उनके प्यार में पड़ीं खूबसूरत बलाओं के। अरे नहीं, बलाएं तो जिन पर आ जाएं, उनकी तीन-तेरह हो जाती है। यहां तो उलटा हुआ। पता है ना, क्या हुआ है फिजा का, गीतिका शर्मा, मधुमिता शुक्ला और भंवरी देवी का? इन सबके साथ जो हुआ, उनकी कहानियां आपको बताएंगे, एक-एक कर। और इन कहानियों को जान आपके मन में जो पहला ख्याल आएगा, वो शायद यही- तौबा! नेताजी का प्यार। जी हां, आप कहेंगे नेता से प्यार करने का यही सिला मिलता है तो नेताजी के प्यार से तौबा। तो चलिए आज शुरू करते हैं चांद मोहम्मद और फिजा की कहानी। और हां, आखिर तक जरूर पढ़िएगा ताकि पता चले कि सियासत की सीमा क्या है, प्यार का उरूज क्या  सर्दियों की दोपहर जब हरियाणा की राजनीति से शुरू हुई प्यार की एक कहानी का साक्षी बना भारतीय मीडिया। वहां कई पत्रकार खड़े थे,बड़ी संख्या में कैमरे लगे थे, सवालों की झड़ियां शुरू होती उसके पहले ही प्यार में डूबा वो लवी डवी कपल सामने आया, एक दूसरे को गले लगाया और देश की पूरी मीडिया के सामने अपने प्यार का एलान किया। ये खबर फिल्मी ज़रूर लगती है लेकिन है ये हरियाणा की राजनीति की वो हकीकीत जो कभी देश के अखबारों और टेलिविजन की हेडलाइन बनी थी। मीडिया के सामने प्यार का इज़हार करने वाला ये लवी डव कपल कोई और नहीं बल्कि उस वक्त के हरियाणा के उपमुख्यमंत्री चन्द्रमोहन और उनकी गर्लफ्रेंड अनुराधा बाली थे। चन्द्रमोहन, चांद मोहम्मद बन चुके थे जबकी अनुराधा बाली ने खुद के लिए चुना था फिज़ा नाम। ये दोनों बेहद फिल्मी अंदाज में मीडिया के सामने आए और बताई अपन रिश्ते की पूरी हकीकत।

इस सेंसेशनल पोलेटिकल लव का स्टोरी का ऐलान बेशक दिसंबर 2008 में मीडिया के सामने हुआ हो लेकिन इसकी शरूआत तो करीब 4 साल पहले ही हो चुकी थी। जी हां 2004 में पहली बार चन्द्रमोहन की नज़रे अनुराधा से मिली। दोनों चंडीगढ़ की एक शॉप में जूस पीने आए थे। पहले से शादीशुदा चन्द्रमोहन पहली नज़र में ही फिज़ा को अपना दिल दे बैठे। मुलाकातों का सिलसिला आगे बढ़ता रहा और दोनों का प्यार भी गहरा होता चला गया। इसी दौरान चन्द्र मोहन ने अनुराधा को राज्य का महाअधिवक्ता बनवा दिया। चन्द्रमोहन के परिवार का हरियाणा की राजनीति में बड़ा नाम था। वो पूर्व मुख्मंत्री भजनलाल के बेटे थे और उस वक्त खुद भी उपमुख्यमंत्री के पद पर थे। चन्द्रमोहन और अनुराधा बाली का प्यार धीरे-धीरे सबको नज़र आने लगा और ये बात चन्द्रमोहन के परिवार को नागवार गुज़री।

अनुराधा बाली के साथ रिश्ते में पड़ने के पहले ही चन्द्रमोहन शादीशुदा थे। करीब पन्द्रह साल पहले उनकी शादी सीमा नाम की एक लड़की से हुई थी और दोनों के बच्चे भी थे। जब हरियाणा में अनुराधा और चन्द्रमोहन के रिश्ते की चर्चा होने लगी तो चन्द्रमोहन का परिवार बीच में आया। चन्द्रमोहन की पत्नी सीमा ने चन्द्रमोहन को समाझने की कोशिश भी की लेकिन वो न माने। अनुराधा बाली पर भी दवाब डाला गया लेकिन ये दोनों किसी भी कीमत पर अपना रिश्ता तोड़ने को तैयार नहीं थे। चार साल तक ऐसे ही ये दोनों एक दूसरे से मिलते रहे लेकिन अचानक अक्टूबर 2008 को चन्द्रमोहन गायब हो गए। न परिवार को चन्द्रमोहन की कोई खबर न उस वक्त के मुख्यमंत्री को राज्य के उपमुख्यमंत्री के गायब होने की कोई सूचना। उपमुख्यमंत्री के गायब होने से राज्य में हड़कंप मच गया। फिर एक दिन चन्द्रमोहन ने एसएमएस कर मुख्यमंत्री हुडा को बताया कि वो एक धार्मिक यात्रा पर गए हुए हैं। लेकिन हकीकत कुछ और ही थी। आखिर कहां गायब हो गए थे उपमुख्यमंत्री चन्द्रमोहन। क्यों चन्द्रमोहन बन गए थे चांद मोहम्मद।

चन्द्रमोहन तीन महीने से गायब थे लेकिन जब वो लौटे तो बिल्कुल बदले-बदले थे और इस बार वो अनुराधा के साथ अपने रिश्ते को नया नाम देने का मन बना चुके थे। 7 दिसंबर को हुई इस प्रेस कॉनफ्रेंस में ऐसे कई सनसनीखेज खुलासे हुए जिसने लंबे समय तक हरियाणा की राजनीति में हड़कंप मचा दिया। इस प्रेस कॉनफ्रेंस में ही पहली बार चन्द्रमोहन ने बताया कि वो अनुराधा बाली से शादी कर चुके हैं। चन्द्र मोहन और अनुराधा बाली परिवार और समाज खिलाफ जाकर एक दूसरे के हो चुके थे। चन्द्रमोहन और अनुराधा दोनों ही पहले से शादीशुदा थे इसलिए दोनों को एकदूसरे से शादी करने के लिए इस्लाम कबूल किया और बन गए चांद मोहम्मद और फिजा। चांद और फिजा ने बताया कि वे दोनों मेरठ में थे और वहीं उनका निकाह हुआ।

चांद मोहम्मद और फिजा के एलान के बाद तो हरियाणा की राजनीति में जैसे भूचाल ही आ गया…चन्द्र मोहन उर्फ चांद मोहम्मद को उप-मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया। चन्द्रमोहन के पिता भजनलाल ने उन्हें अपने परिवार और संपत्ति से बेदखल कर दिया। चांद और फिजा को धमकिया दी गई लेकिन प्यार में डूबा ये जोड़ा हार मानने को बिल्कुल तैयार नहीं था…16 दिसंबर 2008 को ये दोनों एक बार फिर मीडिया के सामने और बताया कि इनका प्यार सच्चा है और किसी भी कीमत दोनों अपना रिश्ता खत्म नहीं करेंगे। दोनों चंडीगढ़ के एक फ्लैट में साथ रहने लगे। ऐसा लगा कि शायद थोड़े समय बाद दोनों के प्यार के सामने हरियाणा में चल रहा भूचाल थम जाएगा लेकिन ऐसा बिल्कुल न हुआ। एक महीने बाद फिर एक ऐसी सनसनी फैलाने वाली खबर आई जिसने एक बार फिर हरियाणा की फिज़ाओं में खलबली मचा दी।

अब तक सियासत में प्यार की चर्चाएं थी लेकिन अब बारी थी प्यार में सियासत की। चांद और फिजा की शादी को अभी डेढ़ महीना भी नहीं बीता था कि अचानक चांद मोहम्मद के फिजा के घर को छोड़ने की खबर आई। चांद मोहम्मद फिजा को छोड़कर लंदन जा चुके थे लेकिन फिजा ये मानने को तैयार ही नहीं थी। 28 जनवरी 2009 को फिजा ने चांद मोहम्मद के किडनैप होने की शिकायत दर्ज करवाई। फिजा ने चांद मोहम्मद की पहली पत्नी, पिता और भाई के खिलाफ मामला दर्ज करवाया। अगले ही दिन यानी 29 जनवरी को एक बार फिर फिजा के घर से चौकाने वाली खबर आई। फिजा ने चांद मोहम्मद से दूरी के गम में एंटी डिप्रेशन की ओवरडोज़ ले ली। फिजा के खिलाफ आत्महत्या की कोशिश का मामला दर्ज हुआ। हालांकि फिजा ने आत्महत्या की कोशिश से इनकार किया। चांद और फिजा की लव हेट स्टोरी रोज़ देश के अखबारों और टेलीविजन की सुर्खिया बनती थी और जनता भी इनकी कहानी में खूब रुचि ले रही थी।

चांद के धोखे से अंदर ही अदंर फिजा टूटने लगी थी लेकिन उसने उन्होंने अपनी लड़ाई जारी रखी। 2011 में फिजा ने एक राजनैतिक पार्टी फिजा ए हिंद भी बनाई। इसके अलावा फिजा ने कुछ रियल्टी शो में भी काम किया। एक फिल्म में भी वो वकील की भूमिका निभाती नज़र आयीं। फिजा चन्द्रमोहन और परिवार के खिलाफ लगातार लड़ रही थीं लेकिन उनकी ज़िंदगी दलदल में धंसती जा रही थी। फिजा के विवाद अक्सर मीडिया में छाए रहते थे, कभी पड़ोसियों से लड़ाई, कभी मारपीट वो अक्सर अपनी नेगेटिव छवि के लिए मशहूर हो रही थी। और फिर आखिरकार 6 अगस्त 2012 को फिजा की मौत की खबर ने सनसनी फैला दी। फिज़ा की लाश तीन-चार दिन तक घर के अंदर सड़ती रही। जब बाहर बदबू फैलने लगी तो सामने आयी फिजा की मौत की हकीकत। फिजा का शव पंखे से झूल रहा था। पास ही शराब की बोतल, सिगरेट और कुछ खाने का सामान पड़ा हुआ था। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में नशे की ओवरडोज़ का मामला सामने आया।

फिजा की मौत एक मिस्ट्री बन गई। सच क्या था कभी सामने नहीं आ पाया। लेकिन जिसने भी चांद और फिजा कहानी को देखा और सुना उसके अंदर हमेशा कई सवाल खड़े रहे। ऐसा क्या हुआ कि सिर्फ चालिस दिन में ही चांद मोहम्मद ने फिज़ा से अलग होने के मन बना लिया। क्या राजनीति की भेंट चढ़ गया चांद मोहम्मद और फिजा का प्यार या फिर चांद मोहम्मद ने फिजा को सचमुच धोखा दिया। वजह जो भी रही हो इस नेताजी से प्यार की कीमत तो फिजा को अपनी जान से ही चुकानी पड़ी।

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