Tuesday, December 3, 2024
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संसद में वक्फ बिल के लिए अब क्या हो रहा है नया?

आज हम आपको बताएंगे कि वक्फ बिल के लिए संसद में अब क्या नया हो रहा है! बीजेपी के वरिष्ठ लोकसभा सांसद जगदंबिका पाल वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार करने के लिए बनाई गई 31 सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष होंगे। लोकसभा सचिवालय की तरफ से जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने जगदंबिका पाल को 31 सदस्यों की समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इस विधेयक के प्रावधानों पर लोकसभा में विपक्ष ने जोरदार विरोध किया था। जिसके बाद सरकार ने इसे दोनों सदनों की संयुक्त समिति को भेजने का फैसला किया था। 31 सदस्यों वाली इस संयुक्त समिति में लोकसभा से 21 और राज्यसभा से 10 सांसद सदस्य होंगे।

अगले सत्र तक यह समिति अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। इस मामले में लोकसभा और राज्यसभा ने शुक्रवार को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा पेश एक प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था। जिसमें समिति का हिस्सा बनने के लिए सदस्यों को नामित किया गया था। समिति में लोकसभा के 21 सदस्यों में बीजेपी से आठ और कांग्रेस के तीन सांसद शामिल हैं।

जबकि राज्यसभा से समिति में बीजेपी से चार और एक-एक सदस्य कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कषगम, वाईएसआर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के हैं। एक मनोनीत सदस्य को भी समिति का हिस्सा बनाया गया है। लोकसभा सदस्यों में बीजेपी से जगदंबिका पाल, निशिकांत दुबे, तेजस्वी सूर्या, अपराजिता सारंगी, संजय जायसवाल, दिलीप सैकिया, अभिजीत गंगोपाध्याय और डीके अरूणा को इसका हिस्सा बनाया गया है। जबकि कांग्रेस से गौरव गोगोई, इमरान मसूद और मोहम्मद जावेद इसके सदस्य हैं। समाजवादी पार्टी से मौलाना मोहिबुल्ला नदवी, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, द्रमुक के ए राजा, टीडीपी से लावू श्री कृष्णा और एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी भी इसके सदस्य हैं।

केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन अधिनियम बिल 2024 के लिए आज जेपीसी के सदस्यों के नाम का ऐलान कर दिया। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कुल 31 सदस्यों के नाम का ऐलान किया। गुरुवार को लोकसभा में बहस के बाद बिल को जेपीसी को भेजने का फैसला किया गया था। लोकसभा के 21 सदस्यों के अलावा राज्यसभा के भी 10 सदस्यों के नाम जेपीसी में शामिल किए गए हैं।

रिजिजू ने राज्यसभा से 10 नामों की संस्तुति करने का आग्रह किया है। आज राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने से पहले राज्यसभा के 10 सदस्यों के नाम भी घोषित कर दिए गएहैं। जेपीसी का कोरम कुल सदस्यों का एक तिहाई माना जाएगा। कमिटी इस बारे में अपनी रिपोर्ट अगले सत्र के आखिरी सप्ताह में सदन को सौंपेगी। बता दें कि संसद में एक नया विधेयक लाया गया है जो 1995 के वक्फ कानून में बदलाव करेगा। इसका मकसद वक्फ बोर्ड के कामकाज में पारदर्शिता लाना और महिलाओं को इन बोर्ड में शामिल करना है। सरकार के अनुसार मुस्लिम समुदाय के भीतर से उठ रही मांगों को देखते हुए यह कदम उठाया जा रहा है। हाल ही में कैबिनेट की ओर से समीक्षा किए गए इस विधेयक का उद्देश्य मौजूदा वक्फ अधिनियम के कई खंडों को रद्द करना है। ये रद्दीकरण मुख्य रूप से वक्फ बोर्डों के मनमाने अधिकार को कम करने के उद्देश्य से हैं, जो वर्तमान में उन्हें अनिवार्य सत्यापन के बिना किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दावा करने की अनुमति देता है। 

वक्फ इस्लामी कानून के तहत धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए विशेष रूप से समर्पित संपत्तियों को संभालने का काम करता है। एक बार वक्फ के रूप में नामित होने के बाद संपत्ति दान करने वाले व्यक्ति से अल्लाह को ट्रांसफर हो जाती है और यह अपरिवर्तनीय होती है। इन संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ या सक्षम प्राधिकारी की ओर से नियुक्त मुतव्वली द्वारा किया जाता है।रेलवे और रक्षा विभाग के बाद वक्फ बोर्ड कथित तौर पर भारत में तीसरा सबसे बड़ा भूमि धारक है। वक्फ बोर्ड भारत भर में 9.4 लाख एकड़ में फैली 8.7 लाख संपत्तियों को नियंत्रित करते हैं, जिनकी अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये है। उत्तर प्रदेश और बिहार में दो शिया वक्फ बोर्ड सहित 32 वक्फ बोर्ड हैं। राज्य वक्फ बोर्ड का नियंत्रण लगभग 200 व्यक्तियों के हाथों में है।यह बिल मौजूदा वक्फ कानून में लगभग 40 बदलावों का प्रस्ताव रखता है। इसके तहत वक्फ बोर्डों को सभी संपत्ति दावों के लिए अनिवार्य सत्यापन से गुजरना होगा, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।

इसका उद्देश्य वक्फ बोर्डों की संरचना और कामकाज को बदलने के लिए धारा 9 और 14 में संशोधन करना है, जिसमें महिलाओं के लिए प्रतिनिधित्व को शामिल किया गया है।इसके अलावा, विवादों को निपटाने के लिए वक्फ बोर्डों द्वारा दावा की गई संपत्तियों का नया सत्यापन किया जाएगा और दुरुपयोग को रोकने के लिए, जिला मजिस्ट्रेट वक्फ संपत्तियों की निगरानी में शामिल हो सकते हैं।यह कानून वक्फ बोर्डों की मनमानी शक्तियों को लेकर व्यापक चिंताओं के कारण लाया जा रहा है। उदाहरण के लिए, सितंबर 2022 में, तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने मुख्य रूप से हिंदू बहुल तिरुचेंदुरई गांव पर अपना दावा जताया था।

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