Friday, May 9, 2025
HomeIndian Newsजब गोरखपुर में हुआ शिकागो जैसा हमला!

जब गोरखपुर में हुआ शिकागो जैसा हमला!

एक ऐसा समय था जब गोरखपुर में शिकागो जैसा हमला हुआ था! 12 बजे से दोपहर 4 बजे के बीच घर से बाहर निकलना मना है’, लाउडस्पीकर से निकली ये आवाजें आज भी उस ब्लैक डेज को देख चुके लोगों के कानों में गूंजती हैं। गोरखपुर का वो दौर जिसके कहानियां सुनकर भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। जब गोरखपुर की सड़कें खून से लाल रहतीं थी। जब आए दिन किसी न किसी घर से किसी न किसी की अर्थी उठती ही थी। 12 से 4 के बीच अगर कोई बाहर निकल गया तो समझो मौत उसका पीछा करती थी। सड़कों पर गोलियों की धायं-धायं तो कभी हाथों में चाकू, गोरखपुर में ये तस्वीरें तब आम थीं। ये दौर था जब गोरखपुर में गैंगवार का दौर शुरू हुआ था। छात्र नेता बंटने लगे थे। एक तरफ थे ब्राह्मणों को एकजुट किए हुए हरिशंकर तिवारी तो दूसरी तरफ थे वीरेन्द्र प्रताप शाही जिन्हें ठाकुर अपनी शान मानते थे। दोनों ने ही यूनिवर्सिटी से ही अपना दबदबा बनाना शुरू कर दिया था। दोनों ही शहर में अपनी धाक जमाना चाहते थे। इस धाक के अलावा एक और वजह थी जो इन दोनों को एक दूसरे के सामने ला रही थी।

उस दौर में रेलवे की छोटी लाइन बड़ी लाइनों में तब्दील हो रही थीं। इस काम के लिए टेंडर दिए जा रहे थे। रेलवे के ठेके मतलब लाखों करोड़ों की आय का जरिया। बस इन ठेकों को पाने के लिए दोनों गैंग आपस में भिड़ने लगे। पूरी यूनिवर्सिटी समेत पूरा शहर ही दो खेमों में बंट गया। हरिशंकर तिवारी ब्राह्मण समाज से थे जबकि वीरेन्द्र शाही राजपूत। शहर के छोटे-छोटे गैंगस्टर भी अपनी जाति के हिसाब से इनके गैंग में शामिल होने लगे और फिर गोरखपुर में शुरू हो गया खूनी खेल।

यूनिवर्सिटी से निकलकर ये खेल सड़कों तक पहुंच चुका था। वर्चस्व की लड़ाई में सैकड़ों लोग मारे जा रहे थे। रेलवे के ठेके मतलब लाखों करोड़ों की आय का जरिया। बस इन ठेकों को पाने के लिए दोनों गैंग आपस में भिड़ने लगे। पूरी यूनिवर्सिटी समेत पूरा शहर ही दो खेमों में बंट गया। हरिशंकर तिवारी ब्राह्मण समाज से थे जबकि वीरेन्द्र शाही राजपूत। शहर के छोटे-छोटे गैंगस्टर भी अपनी जाति के हिसाब से इनके गैंग में शामिल होने लगे और फिर गोरखपुर में शुरू हो गया खूनी खेल।कभी ब्राह्मण तो कभी राजूपत। लड़ाई इतनी खौफनाक थी कि तब लाउडस्पीकर में ये अनाउंस तक किया जाता था 12 बजे से लेकर 4 बजे तक बाहर न निकलें क्योंकि उस वक्त सड़कों पर दोनों गैंग्स के बीच गोलियां चल रहीं होती थीं। आलम ये था कि गोरखपुर की तुलना अमेरिका की क्राइम कैपिटल शिकागो से होने लगी। तब शिकागो दुनिया में अपराध का अड्डा माना जाता था। दुनिया के बड़े गैंगस्टर शिकागो में ही पनाह लेते थे। वही हाल गोरखपुर का हो चुका था। ईस्ट का शिकागो बन चुका था गोरखपुर।

हरिशंकर तिवारी ने बाहुबल की राजनीति की शुरुआत की थी। हरिशंकर जेल से चुनाव लड़कर जीत दर्ज करवाने वाले पहले विधायक बन चुके थे। 1985 में चिल्लूपार सीट से हरिशंकर तिवारी ने जेल में रहते हुए चुनाव लड़ा और उसमें जीत भी गए।रेलवे के ठेके मतलब लाखों करोड़ों की आय का जरिया। बस इन ठेकों को पाने के लिए दोनों गैंग आपस में भिड़ने लगे। पूरी यूनिवर्सिटी समेत पूरा शहर ही दो खेमों में बंट गया। हरिशंकर तिवारी ब्राह्मण समाज से थे जबकि वीरेन्द्र शाही राजपूत। शहर के छोटे-छोटे गैंगस्टर भी अपनी जाति के हिसाब से इनके गैंग में शामिल होने लगे और फिर गोरखपुर में शुरू हो गया खूनी खेल। पहली बार बाहुबली नेता विधायक बन चुके थे। दूसरी तरफ वीरेन्द्र प्रताप शाही पहले ही महाराज गंज की लक्ष्मीपुर विधानसभा सीट से विधायक की कुर्सी ले चुके थे। अदावत अब भी दोनों के बीच जारी थी बस फर्क था कि अब दोनों ही नेताजी बन चुके थे।

1997 में श्रीप्रकाश शुक्ला ने वीरेन्द्र प्रताप शाही की हत्या कर दी। खबरें फैलने लगी कि हत्या हरिशंकर तिवारी के इशारे पर हुई है,रेलवे के ठेके मतलब लाखों करोड़ों की आय का जरिया। बस इन ठेकों को पाने के लिए दोनों गैंग आपस में भिड़ने लगे। पूरी यूनिवर्सिटी समेत पूरा शहर ही दो खेमों में बंट गया। हरिशंकर तिवारी ब्राह्मण समाज से थे जबकि वीरेन्द्र शाही राजपूत। शहर के छोटे-छोटे गैंगस्टर भी अपनी जाति के हिसाब से इनके गैंग में शामिल होने लगे और फिर गोरखपुर में शुरू हो गया खूनी खेल। हालांकि बाद में हरिशंकर तिवारी पर कोई भी आरोप तय नहीं हुए, लेकिन कहा जाता है कि श्रीप्रकाश शुक्ला से लेकर ब्राह्मण क्रिमिनल्स को हरिशंकर तिवारी का पूरा संरक्षण था।

Disclaimer:

Mojo Patrakar may publish content sourced from external third-party providers. While we make every reasonable effort to verify the accuracy, reliability, and completeness of this information, Mojo Patrakar does not guarantee or endorse the views, opinions, conclusions, or authenticity of content provided by these third-party entities. Such content is presented solely for informational purposes, and it is not intended to substitute professional advice or to serve as a comprehensive basis for decision-making.

Mojo Patrakar expressly disclaims any liability for errors, omissions, or inaccuracies that may arise from third-party content, as well as any reliance readers may place upon it. Users are strongly encouraged to conduct independent verification and consult with qualified professionals as necessary before making any decisions based on information obtained through Mojo Patrakar.

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments