जब हिजबुल्लाह और इजरायल भिड़े आपस में!

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हाल ही में इजरायल और हिजबुल्ला आपस में भेज चुके हैं! इजरायल डिफेंस फोर्सेज (IDF) ने लेबनान में हिजबुल्लाह के ठिकानों को निशाना बनाया जिसके बाद हिजबुल्लाह ने भी बड़ी संख्या में ड्रोन दागकर इजरायल पर हमला बोला। रविवार सुबह इजराइली सेना ने एक बयान जारी कर हिजबुल्लाह पर इजराइली क्षेत्र की ओर मिसाइल और रॉकेट दागने की तैयारी करने का आरोप लगाया। इजराइली सेना ने कहा कि इन खतरों से बचने के लिए आत्मरक्षा में इजरायली सेना लेबनान में उन आतंकवादी ठिकानों पर हमला कर रही है जहां से हिजबुल्लाह इजराइल के आम नागरिकों पर हमले करने की साजिश रच रहा था। इसके बाद हिजबुल्लाह ने भी बड़ी संख्या में ड्रोन दागकर इजरायल पर हमले का ऐलान कर दिया। हिजबुल्लाह ने कहा कि उसने बेरूत में उसके शीर्ष कमांडर फौद शुकूर की हत्या का बदला लेने के लिए बड़ी संख्या में ड्रोन दागकर इजराइल पर हमला किया है। गाजा में हमास के खिलाफ इजराइल का पिछले करीब 10 महीने से युद्ध जारी है। हिजबुल्लाह ने कहा है कि गाजा में युद्ध विराम समझौता होने पर वह युद्ध रोक देगा। हमास ने पिछले साल 7 अक्टूबर को इजराइल पर हमला किया जिसके बाद इजराइल ने गाजा पर हमले शुरू कर दिए थे। सप्लाई पर असर होगा और उसकी कीमत भी बढ़ जाएगी। जिससे भारत में महंगाई बढ़ सकती है। एक तरफ भारत आर्थिक तौर पर लगातार खुद को मजबूत कर रहा है लेकिन अगर क्राइसिस बढ़ती है तो इस पर नकारात्मक असर होगा।इसके बाद से ही हिजबुल्लाह इजराइल पर हमले कर रहा है। हिजबुल्लाह को हमास से ज्यादा ताकतवर और ज्यादा रिसोर्स वाला माना जाता है।

इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज थिंक टैंक ने 2022 में अनुमान लगाया था कि हिजबुल्लाह के 20 हजार एक्टिव और 30 हजार रिजर्व कर्मी हो सकते हैं। इससे पहले हिजबुल्लाह ने खुद कहा था कि उसके पास 1 लाख लड़ाकों की फौज है। हिजबुल्लाह के पास रॉकेट से लेकर मिसाइल, ड्रोन बड़ी संख्या में हैं और लॉन्ग रेंज मिसाइल हैं जो इजरायल के किसी भी ठिकाने को निशाना बना सकती हैं।

हिजबुल्लाह के एक दूसरे पर इस हमले के कारण पूरे रीजन में युद्ध छिड़ने का खतरा बढ़ गया है, मिडिल ईस्ट में संकट गहरा सकता है और आशंका जताई जा रही है कि इससे गाजा में युद्ध विराम समझौते की कोशिशें विफल हो सकती हैं। अगर ऐसा होता है तो भारत सहित दुनिया भर में इसका असर पड़ेगा। भारत के इजरायल और ईरान दोनों से ही अच्छे संबंध हैं। ये संबंध आर्थिक भी हैं और सामरिक भी। भारत बड़ी मात्रा में मिडिल ईस्ट से तेल लेता है। साथ ही भारत के लिए ये इलाका एक बड़ा बाजार भी हैं। जानकारों का कहना है कि अगर मिडिल ईस्ट में हालात और खराब होते हैं और अन्य देश भी इस युद्ध में शामिल होते हैं तो स्ट्रेट ऑफ होर्मुज एक फ्लैश पॉइंट बन सकता है और ये भारत का बड़ी संख्या में तेल आयात का रास्ता है। इससे इस ट्रेड रूट और एनर्जी सप्लाई पर असर होगा। भारत का दो तिहाई ऑयल इंपोर्ट यहीं से होता है। साथ ही भारत के महत्वाकांक्षी भारत-मिडिल-ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर में भी देरी हो सकती है।

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) में विदेश नीति अध्ययन केंद्र के उपाध्यक्ष प्रफेसर हर्ष वी. पंत कहते हैं कि मिडिल ईस्ट भारत के लिए एनर्जी का प्राइमरी सोर्स है। अगर मिडिल ईस्ट में हालात और खराब होते हैं तो एनर्जी क्राइसिस बढ़ सकता है। सप्लाई पर असर होगा और उसकी कीमत भी बढ़ जाएगी। जिससे भारत में महंगाई बढ़ सकती है। एक तरफ भारत आर्थिक तौर पर लगातार खुद को मजबूत कर रहा है लेकिन अगर क्राइसिस बढ़ती है तो इस पर नकारात्मक असर होगा।

बड़ी संख्या में भारतीय गल्फ देशों में हैं। अगर स्थिति ज्यादा खराब होती है तो भारतीयों को वहां से सुरक्षित वापस लाने का मिशन भी शुरू करना पड़ सकता है। बता दें कि उसने बेरूत में उसके शीर्ष कमांडर फौद शुकूर की हत्या का बदला लेने के लिए बड़ी संख्या में ड्रोन दागकर इजराइल पर हमला किया है। गाजा में हमास के खिलाफ इजराइल का पिछले करीब 10 महीने से युद्ध जारी है। हिजबुल्लाह ने कहा है कि गाजा में युद्ध विराम समझौता होने पर वह युद्ध रोक देगा। भारत पिछले काफी वक्त से सऊदी अरब से आर्थिक रिश्ते और मजबूत कर रहा है साथ ही ईरान से चाहबार का प्रोजेक्ट चल रहा था, अगर स्थिति खराब होती है तो ये सब लटक सकता है।