एक ऐसा भी समय आया था जब फूलन देवी ने बंदूक छोड़कर साइकिल थाम ली थी! सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने फूलन देवी की एक तस्वीर शेयर करते हुए उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दी है। तस्वीर में फूलन देवी एक साइकिल के पास खड़े होकर विक्ट्री साइन दिखाती दिख रही हैं। यह तस्वीर चुनाव प्रचार के समय की है जब वह सपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रही थीं। दरअसल, बेहमई कांड के बाद जेल पहुंचना फूलन देवी के जीवन का एक हिस्सा है और दूसरे हिस्से में संसद तक पहुंचाने में समाजवादी पार्टी का बड़ा योगदान रहा है। इसकी चर्चा खुलेआम मंच से फूलन देवी भी किया करती थीं। सवर्ण जाति के 22 लोगों की हत्या के आरोप में लंबे समय तक फूलन जेल में बंद रहीं। बाहर निकलने के सारे रास्ते बंद हो गए थे। साल था 1994, यूपी में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने अचानक फूलन के खिलाफ सभी आरोप वापस ले लिए और उनकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया। इतना ही नहीं, सपा से फूलन को लोकसभा चुनाव लड़ाया। मिर्जापुर से वह सांसद बनीं और मल्लाह-निषाद राजनीति का चेहरा बन गईं। 25 जुलाई 2001 को दिल्ली में फूलन देवी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। 25 जुलाई के दिन शेर सिंह राणा ने फूलन की हत्या के बाद दावा किया था कि उसने 1981 में मारे गए सवर्णों के मर्डर का बदला लिया है। दरअसल, इस कांड के दो साल बाद इंदिरा गांधी की सरकार ने फूलन देवी के सामने आत्मसमर्पण का प्रस्ताव रखा था। फांसी की सजा न देने का आश्वासन मिलने के बाद फूलन ने सरेंडर कर दिया था। हत्या से कुछ दिन पहले ही दुबई में एक कार्यक्रम में फूलन देवी ने एक भाषण दिया था जो काफी चर्चा में रहा।वहां उन्होंने मंच से मुस्कुराते हुए अपना परिचय दिया था, ‘मेरा नाम फूलन देवी है। लोग बैंडिट क्वीन के नाम से जानते हैं। हमें पता नहीं था कि इतना संघर्ष करने के बाद हम जिंदा रहेंगे… चार साल हम जंगल में भटके… ऐसे ऊंची जाति के लोग जो जात-पात को मानते हैं हम जैसे गरीबों, दलितों, दबे-कुचलों को समझते हैं कि ये कीड़े-मकोड़े हैं इंसान नहीं हैं। उन लोगों को मैंने बताया कि मैं इंसान हूं अगर हमें तुम मारोगे तो हम भी चुप नहीं बैठेंगे, हम भी जवाब देंगे।’
अत्याचार से व्यथित फूलन देवी ने एक बार आत्महत्या के बारे में भी सोचा था। दुबई के कार्यक्रम में उन्होंने बताया था कि मैंने कई दफे सोचा कि आत्महत्या कर लूं, मर जाऊं पर मैंने सोचा कि मरती तो हजारों लड़कियां रोज हैं। बताओ, हमें डाकू के नाम से जानते हैं लोग, क्या मेरे चार हाथ-पैर हैं… मैंने कोई गलत काम नहीं किया था। मेरे साथ रावणों ने अत्याचार किया, मैंने रावणों को जवाब दिया।’ इसी दौरान फूलन ने कहा था कि वो तो माननीय मुलायम सिंह यादव की देन हैं कि आज हम यहां खड़े हैं। मेरे खिलाफ बहुत बड़ी साजिश रची गई थी। गुस्से में इंसान अच्छा काम नहीं करता है। जो कुछ भी हुआ अच्छा और बुरा, सबक सिखाने के लिए…। फूलन ने बताया था कि वह चार साल जंगल में भटकीं और 11 साल जेल में रहीं, वहां उन्हें मानिसक रूप से बीमार महिलाओं के साथ रखा गया था। उन्हें कोर्ट में पेश नहीं किया गया। जेल से छोड़े जाने के बाद कहा गया कि इतनी बड़ी डाकू को छोड़ दिया गया। बहुत अन्याय हुआ।
कितने मुकदमे थे?
आखिरी समय तक फूलन देवी सपा सरकार खासतौर से मुलायम सिंह यादव का अहसान नहीं भूली थीं। वह समझती थीं कि अगर मुलायम सिंह न चाहते तो उनका जेल से निकलना मुश्किल था। उन पर हत्या, अपहरण समेत 48 आपराधिक मामले दर्ज थे। मुलायम सरकार के उस फैसले से देशभर के लोग हैरान रह गए थे। बाद में इस पर काफी चर्चा और विवाद पैदा हुआ। सपा सरकार ने फूलन के खिलाफ न सिर्फ सारे आरोप वापस ले लिए थे बल्कि पार्टी से टिकट भी दिया। वह पहली बार 1996 और फिर 1999 में मिर्जापुर सीट से लोकसभा पहुंचीं। 25 जुलाई 2001 को दिल्ली बंगले के बाहर तीन नकाबपोश हमलावरों ने सांसद फूलन देवी की हत्या कर दी। हमलावर मारुति 800 कार से आए थे। 2014 में कोर्ट ने शेर सिंह राणा को उम्रकैद की सजा सुनाई।
1963 में फूलन का जन्म यूपी के जालौन जिले में हुआ था। 11 साल की उम्र में शादी कर दी गई और कुछ समय बाद पति ने उन्हें छोड़ दिया। 1981 में बेहमई हत्याकांड के बाद वह चर्चा में आईं। गांव के ही कुछ लोगों ने फूलन के साथ बलात्कार किया था और बाद में उन्होंने 11 लोगों को लाइन में खड़ा कर गोलियों से छलनी कर दिया। दो साल तक ताबड़तोड़ ऑपरेशन के बाद भी यूपी और एमपी – दो राज्यों की पुलिस उनका सुराग तक न लगा सकी। वह दौर ऐसा था कि फूलन के नाम से पुलिसवालों के पसीने छूट जाते थे। बाद में उन्होंने सरेंडर किया, जेल हुई और सपा से सांसद चुनी गईं।