श्री झंडे साहेब जय जयकारों से गूंज उठे हैं! जो बोले सो निहाल, सत् श्री अकाल’, ‘श्री गुरु महाराज की जय’ के जयकारों के साथ आज श्री झंडे साहब का आरोहण हुआ। इस दौरान दरबार साहब परिसर में स्थानीय श्रद्धालुओं के साथ ही हजारों की संख्या में देश-विदेश की संगतें मौजूद रहीं। दरबार साहिब के सज्जादा गद्दी नशीन देवेन्द्र दास महाराज की अगुवाई में संगतों ने श्री झंडा साहब का आरोहरण किया। होली के पांचवें दिन चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि पर दरबार साहब में झंडे जी का आरोहण होता है। जिसके लिए चंडीगढ़ के पास स्थिल बहलोलपुर गांव से संगतें सबसे पहले दरबार साहिब में पहुंचती हैं। झंडा रोहण के लिए यह अनुष्ठान होली के नौ दिन पूर्व फाल्गुन शुक्ल की सप्तमी से आरंभ हो जाता है। इस दिन दरबार साहब से एक संदेशवाहक चंडीगढ़ के पास खरर तहसील के बहलोलपुर गांव में दरबार के श्री सज्जादा गद्दीनशीन महंत का हुक्मनामा ले कर पहुंचता है। यह हुक्मनामा मिलते ही पैदल संगत दूनघाटी के लिए चल देती है। यह संगत बड़े गांव गोपाल मोचन और खीजराबाद में रूकते हुए फाल्गुन सुदी एकादशी को अराईवाला पहुंचती हैं। अराईवाला में भी परंपरानुसार झंडारोहण किया जाता है और यहीं से मेले की औपचारिक शुरूआत होती है।
अराईवाला में दरबार साहब के श्री महंत इन संगतों की आगवानी करते हैं। अराईवाला से संगत फाल्गुन शुक्ल त्रयोदशी को दरबार साहब पहुंचती हैं। मान्यता है कि इस रास्ते से हो कर गुरु रामराय महाराज भी देहरादून पहुंचे थे और उन्होंने यहां पर अपना डेरा डाला था। इस दिन दरबार साहब से एक संदेशवाहक चंडीगढ़ के पास खरर तहसील के बहलोलपुर गांव में दरबार के श्री सज्जादा गद्दीनशीन महंत का हुक्मनामा ले कर पहुंचता है। यह हुक्मनामा मिलते ही पैदल संगत दूनघाटी के लिए चल देती है। यह संगत बड़े गांव गोपाल मोचन और खीजराबाद में रूकते हुए फाल्गुन सुदी एकादशी को अराईवाला पहुंचती हैं। अराईवाला में भी परंपरानुसार झंडारोहण किया जाता है और यहीं से मेले की औपचारिक शुरूआत होती है।पश्चिम की संगत में पंजाब, हरियाणा, यूपी, हिमाचल, राजस्थान व दिल्ली की संगतें शामिल होती हैं। पूर्वी संगत में बिजनौर, मुरादाबाद, ज्योतिबाफुले नगर, ऊधमसिंह नगर की संगतें दरबार साहिब आती हैं। परंपरानुसार पूर्वी संगत झंडारोहण से एक दिन पहले ही लौट जाती है। इसके अलावा कनाडा, अमेरिका, इंग्लैंड, इटली, जर्मनी और फ्रांस से भी गुरु महाराज के अनुयायी यहां पर आते हैं।
ध्वजदंड के रूप में स्थापित होने वाले 86 फीट ऊंचें झंडेजी को तीन तरह के गिलाफ के आवरण से सुसज्जित किया जाता है। झंडारोहण की तैयारियां आज सुबह से ही शुरू हो गयी थी। पहले ध्वजदंड को उतार पुराने गिलाफ उतारे गये। उसके बाद ध्वजदंड को पंचामृत से स्नान कराया गया और फिर सादे गिलाफ चढ़ाने की प्रक्रिया प्रारंभ की गयी। इस तरह से 41 सादे गिलाफ, फिर 21 शनील के गिलाफ और सबसे बाहर एक दर्शनी गिलाफ चढ़ाया गया।
झंडा आरोहण की प्रक्रिया भले ही सुबह से चल रही हो लेकिन आरेाहण की प्रक्रिया श्री महंत देवेंद्र दास के निर्देशन में शुरू की गई। जैसे-जैसे महंत जी निर्देश दे रहे थे वैसे-वैसे संगतें बल्लियों से बनाई कैंची व रस्सों के सहारे झंडे जी को आरोहण के लिए सीधा कर रही थीं। जैसे ही झंडे को उनके स्थान पर स्थापित किया गया वैसे ही पूरा परिसर जयकारो से गूंज उठा।
संसार सिंह के पुत्र 54 वर्षीय प्रेमदीप सिंह ने बताया कि उनके बेटे सुखमन सिंह, छोटे भाई बलविंदर सिंह की पत्नी संदीप कौर व बेटे अंबरवीर सिंह ने इस बार दर्शनी गिलाफ चढ़ाया। कहा कि गुरु महाराज की परिवार पर कृपा है कि उन्हें यह सौभाग्य मिल रहा है। बताया कि उनके पिता संसार सिंह व माता सुरजीत कौर ने तकरीबन 100 वर्ष पहले परिवार की सुख शांति के लिए बुकिंग कराई थी। बता दें कि दर्शनी गिलाफ के लिए वर्ष 2125 तक के लिए बुकिंग हो चुकी है।
श्री गुरु राम राय महाराज सिखों के सातवें गुरु श्री गुरु हर राय जी के ज्येष्ठ पुत्र थे। उनका जन्म होली के पांचवे दिन वर्ष 1646 को पंजाब के जिला होशियारपुर अब रोपड़ के कीरतपुर में हुआ था। सिखों के सातवें गुरु हरराय महाराज के बड़े पुत्र गुरु रामराय महाराज ने वर्ष 1675 में चैत्र मास कृष्ण पक्ष की पंचमी के दिन देहरादून में पदार्पण किया था और इस स्थान पर उन्होंने अपनी धर्मध्वजा को स्थापित किया था। जिसके बाद उनके सम्मान में उत्सव मनाया जाने लगा और यहीं से झंडेजी मेले की शुरूआत हुई।