हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना में हुई अतिरिक्त मौतों को नकार दिया है! केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ‘साइंस एडवांस’ पेपर में पब्लिश उस रिपोर्ट को सिरे से नकार दिया है, जिसमें भारत में कोविड महामारी के दौरान 2020 में 2019 के मुताबिक करीब 11.9 लाख ज्यादा मौतों का दावा किया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2020 में अत्यधिक मृत्यु दर को पेश करने वाली इस रिपोर्ट को भ्रामक बताते हुए कहा है कि साइंस एडवांस पेपर के दावे अपुष्ट और अस्वीकार्य अनुमानों पर आधारित हैं। पेपर में अत्यधिक मौतों के आंकड़ों को तीन गुना तक बढ़ाकर बताया गया है। मंत्रालय का कहना है कि इस पेपर को पब्लिश करने वालों ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5) के विश्लेषण के लिए मानक पद्धति फॉलो करने का दावा किया है लेकिन उनकी पद्धति में गंभीर खामियां हैं। जबकि आंकड़े कहते हैं कि 2019 की तुलना में 2020 में मृत्यु पंजीकरण में 4.74 लाख की बढ़ोतरी हुई है।अगर हम उस सीआरएस डेटा को देखें तो 2020 में ज्यादा डेथ का नंबर 4.74 लाख है जबकि रिसर्च पेपर में 12 लाख का दावा किया गया है तो पहला आंकड़ा तो बिल्कुल गलत साबित हो जाता है। 2018 और 2019 में मृत्यु पंजीकरण में पिछले वर्षों की तुलना में 4.86 लाख और 6.90 लाख की बढ़ोतरी हुई थी। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी. के. पॉल का कहना है कि 2019 के मुकाबले 2020 में अत्यधिक मृत्यु दर की जानकारी सही नहीं है। ये जो स्टडी पब्लिश हुई है, उसमें 2020 में 2019 के मुकाबले ज्यादा मौतें होने की बात कही है लेकिन स्टडी करने वालों का तरीका बहुत ही कमजोर है।
उस समय देश में 14 राज्यों में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 चल रहा था और रिसचर्स ने केवल कुछ महीनों का ही डेटा एकत्र किया है जबकि सर्वे में पूरे साल का डेटा लिया जाता है। सरकार इस बात को बिल्कुल नहीं मानती है कि 2019 के मुकाबले 2020 में 11.9 या 12 लाख ज्यादा डेथ ज्यादा हुई है। भारत में सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (सीआरएस) का एक पुख्ता सिस्टम है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने इसे कानूनी रूप से लागू किया है। देश में जितनी भी मौतें होती हैं, उस डेटा को रजिस्टर में लिखा जाता है। पहले स्टेट में रजिस्टर्ड होता है और उसके बाद केंद्र के पास रिपोर्ट आती है। अगर हम उस सीआरएस डेटा को देखें तो 2020 में ज्यादा डेथ का नंबर 4.74 लाख है जबकि रिसर्च पेपर में 12 लाख का दावा किया गया है तो पहला आंकड़ा तो बिल्कुल गलत साबित हो जाता है।
2019 में 92% और 2020 में 99.9% डेथ रजिस्ट्रर्ड हुई हैं। कोविड के दौरान 2020 में जो 4.74 लाख ज्यादा मौतें हुई हैं, उसमें कोविड के कारण हुई मौतें भी शामिल हैं। सरकार ने कोविड के दौरान ग्राउंड लेवल पर डेटा जुटाया है और पूरा अनुमान लगाया है। 2020 में कोविड के कारण हुई मौतों की संख्या करीब 1.49 लाख है, जो 4.74 लाख में ही शामिल है। सभी ज्यादा मौतें केवल कोविड के कारण नहीं हो सकती हैं और भारत का डेटा भी यही कहता है। साइंस जर्नल की स्टडी में अनुमान से कहीं ज्यादा आकलन दिखाया गया है जो सचाई से मेल नहीं खाता है। डॉ. पॉल का कहना है कि इस प्रकाशित किए गए पेपर में इस तरह के विश्लेषण की आवश्यकता के लिए गलत तर्क दिया गया है और दावा किया गया है कि भारत सहित निम्न और मध्यम आय वाले देशों में महत्वपूर्ण पंजीकरण प्रणाली कमजोर है। बता दें कि 2018 और 2019 में मृत्यु पंजीकरण में पिछले वर्षों की तुलना में 4.86 लाख और 6.90 लाख की बढ़ोतरी हुई थी। नीति आयोग के सदस्य. वी. के. पॉल का कहना है कि 2019 के मुकाबले 2020 में अत्यधिक मृत्यु दर की जानकारी सही नहीं है। यह सत्य से बहुत दूर है। उस समय देश में 14 राज्यों में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 चल रहा था और रिसचर्स ने केवल कुछ महीनों का ही डेटा एकत्र किया है जबकि सर्वे में पूरे साल का डेटा लिया जाता है। सरकार इस बात को बिल्कुल नहीं मानती है कि 2019 के मुकाबले 2020 में 11.9 या 12 लाख ज्यादा डेथ ज्यादा हुई है।भारत में नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) अत्यधिक मजबूत है और 99% से अधिक मृत्यु की जानकारी देती है।अगर हम उस सीआरएस डेटा को देखें तो 2020 में ज्यादा डेथ का नंबर 4.74 लाख है जबकि रिसर्च पेपर में 12 लाख का दावा किया गया है तो पहला आंकड़ा तो बिल्कुल गलत साबित हो जाता है। यह रिपोर्टिंग वर्ष 2015 में 75 प्रतिशत से लगातार बढ़कर वर्ष 2020 में 99 प्रतिशत से अधिक हो गई है।