Friday, October 18, 2024
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आखिर कब खत्म होंगे लापरवाही वाले हादसे?

वर्तमान में अधिकतर हादसे की वजह लापरवाही सामने आ रही है! पता नहीं यह लापरवाही वाले हादसे कब खत्म होंगे! बुधवार सुबह सवा 5 बजे यूपी के उन्नाव में एक डबल डेकर स्लीपर बस और टैंकर की टक्कर में 18 लोगों की मौत हो गई। 19 अन्य घायल हैं। मरने वालों में 3 महिलाएं और एक बच्चा भी है। टक्कर इतना जबरदस्त था कि बस और टैंकर दोनों के परखच्चे उड़ गए। बस बिहार से शिवहर से दिल्ली जा रही थी। एक दिन पहले ही मंगलवार को यूपी के ही अमेठी में दिल्ली से बिहार के सिवान जा रही बस हादसे का शिकार हो गई, जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई। आखिर लंबी दूरी की बसें क्यों साबित हो रहीं ‘दौड़ती ताबूत’? आखिर ऐसी बसों और मालिकों पर ऐक्शन क्यों नहीं होता है? आइए समझते हैं। सड़क हादसों की एक बड़ी वजह मानवीय गलतियां होती है। ज्यादातर मामलों में हादसे की वजह मानवीय चूक होती हैं। घंटों तक बिना नींद लिए या फिर महज 2-3 घंटे की नींद लिए ड्राइविंग की वजह से उन्हें झपकी आ जाती है। कभी-कभी तो लंबी दूरी की बस सिर्फ एक ड्राइवर के भरोसे होती है। इस तरह ओवरवर्क हादसे की एक प्रमुख वजह है।इसमें ओवर स्पीड, शराब पीकर या ड्रग के नशे में ड्राइविंग, ड्राइविंग करते हुए किसी अन्य से बातचीत या मोबाइल चलाना या कुछ ऐसा करना जिससे ध्यान बंट जाए, ड्राइवर को नींद आना और ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करना। इनके अलावा वाहन में गड़बड़ी की वजह से भी हादसे हो जाते हैं जैसे ब्रेक फेल होना, टायर में गड़बड़ी होना।

आजकल बसें बहुत रफ्तार में दौड़ती हैं जिसकी वजह शानदार हाइवेज और एक्सप्रेसवेज का निर्माण है। सड़कें अच्छी हैं तो गाड़ियों की रफ्तार बढ़ी है। लेकिन अधिकतम गति की एक सीमा है। अगर बसें और दूसरी गाड़ियां उसका पालन करें तो इतने हादसे नहीं होंगे। ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं होने से हादसे तो होंगे ही। उन्नाव बस हादसे में जानकारी सामने आ रही है कि ओवरटेक के चक्कर में हादसा हुआ। ओवरटेक करते वक्त बस ओवरस्पीड हो गई और टैंकर से टकरा गई। इसी तरह मंगलवार को अमेठी में हुआ हादसा भी लापरवाही का नतीजा लगता है। ड्राइवर ने बस को रोड पर ही खड़ा कर दिया था और पीछे से आ रही गाड़ी ने टक्कर मार दी थी। बस या किसी भी वाहन को सड़क पर खड़ा करना, भले ही थोड़ा साइड में करके खड़ा किया गया हो, हादसे को न्योता देने जैसा है। जाड़े के दिनों में कोहरे या फिर बरसात में बारिश की वजह से विजिबिलिटी कम होने पर भी हादसे हो जाते हैं।

इन बढ़ते बस हादसों की एक और बड़ी वजह ड्राइवरों का पर्याप्त नींद नहीं लेना है। अक्सर देखा जाता है कि लंबी दूरी के लिए चलने वालीं बसों में ड्राइवर ओवरवर्क कर रहे होते हैं। घंटों तक बिना नींद लिए या फिर महज 2-3 घंटे की नींद लिए ड्राइविंग की वजह से उन्हें झपकी आ जाती है। कभी-कभी तो लंबी दूरी की बस सिर्फ एक ड्राइवर के भरोसे होती है। इस तरह ओवरवर्क हादसे की एक प्रमुख वजह है।

जिस तरह आए दिन बस हादसों में लोगों की जान जा रही है, उससे लंबी दूरी की बस सर्विस पर सवाल उठने लाजिमी हैं। क्या लंबी दूरी की प्राइवेट बसों पर रोक लगाई जानी चाहिए? वैसे प्रतिबंध किसी समस्या का समाधान नहीं है। अगर ये बसें ट्रैफिक नियमों का पालन करें तो हादसों में यूं जिंदगियां नहीं जाएंगी। लेकिन ये बसें मनमाने और खतरनाक ढंग से सड़कों पर दौड़ रही हैं। न नियमों की परवाह है न यात्रियों की सुरक्षा की चिंता। अगर ऐसा हो रहा है तो कहीं न कहीं, इसके लिए करप्शन या फिर प्रशासनिक लापरवाही जिम्मेदार है।सड़क हादसों की एक बड़ी वजह मानवीय गलतियां होती है। ज्यादातर मामलों में हादसे की वजह मानवीय चूक होती हैं। इसमें ओवर स्पीड, शराब पीकर या ड्रग के नशे में ड्राइविंग, ड्राइविंग करते हुए किसी अन्य से बातचीत या मोबाइल चलाना या कुछ ऐसा करना जिससे ध्यान बंट जाए, ड्राइवर को नींद आना और ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करना। बसें ट्रैफिक नियमों का पालन कर रही हैं या नहीं, इसे लेकर जिम्मेदार आंख मूंदे हुए हैं। इसमें कुछ तो लापरवाही है तो कुछ हद तक करप्शन भी जिम्मेदार है। ये तो एक ओपन सीक्रेट है कि बस मालिक सड़क पर मनमाने तरीके से बस दौड़ाने के लिए जगह-जगह ‘चढ़ावा’ चढ़ाते हैं। इस वजह से उन पर ऐक्शन नहीं होता।

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