तकनीक ने इतना बड़ा आयाम हासिल कर लिया है कि अब विमानों में भी प्रतियोगिताएं होने लगी है! विमानों को परिवहन का सबसे तेज साधन माना जाता है। इन विमानों की औसत स्पीड 750 से 1000 किलोमीटर प्रति घंटे की होती है।तकनीक ने इतना बड़ा आयाम हासिल कर लिया है कि अब विमानों में भी प्रतियोगिताएं होने लगी है! विमानों को परिवहन का सबसे तेज साधन माना जाता है। इन विमानों की औसत स्पीड 750 से 1000 किलोमीटर प्रति घंटे की होती है।लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक विमान ऐसा भी था, जिसकी रफ्तार 7274 किमी प्रति घंटे की थी। जी हां, इस विमान का नाम नॉर्थ अमेरिकन एक्स-15 था। नॉर्थ अमेरिकन एक्स-15 आजकल के यात्री या लड़ाकू विमान की तरह न होकर एक रॉकेट विमान था। इसने पहली बार 60 साल पहले उड़ान भरी थी, फिर भी यह अब तक उड़ने वाला सबसे तेज मानवयुक्त विमान है। नॉर्थ अमेरिकन एक्स-15 एक पारंपरिक हवाई जहाज की तुलना में किसी बंदूक की गोली के आकार का था। रॉकेट की शक्ति से चलने वाले एक्स -15 विमान ने 1959 से अगले नौ वर्षों में 199 परीक्षण उड़ानें पूरी की थी।
नील आर्मस्ट्रांग थे एक्स-15 के पायलट
नॉर्थ अमेरिकन एक्स-15 अंतरिक्ष के किनारे तक पहुंच सकता है और फिर पृथ्वी पर वापस लौट सकता था। अमेरिकी स्पेसक्राफ्ट को इसी विमान की तकनीक के आधार पर बनाया गया था। अमेरिकी इंजीनियरों ने एक्स-15 से मिले डेटा के जरिए स्पेसक्राफ्ट में कई तरह के बदलाव भी किए थे। एक्स-15 को नील आर्मस्ट्रांग सहित सिर्फ 12 पायलटों की एक स्पेशल टीम ने ही उड़ाया था। नील आर्मस्ट्रांग ने ही 1969 में चंद्रमा पर पहली बार उतरकर इतिहास रचा था। नासा के आर्मस्ट्रांग फ्लाइट रिसर्च सेंटर के मुख्य इतिहासकार क्रिश्चियन गेलजर ने सीएनएन के साथ इंटरव्यू में कहा था कि एक्स -15 पायलटों में से एक, बिल डाना ने एक बार मुझसे कहा था कि यह विमान नहीं, बल्कि एक गोली थी। इतने हमें वो स्पीड दी, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी।
3 अक्टूबर 1967 को अमेरिकी पायलट विलियम जे नाइट ने इस विमान को 102,100 फीट की ऊंचाई पर मैक 6.7 की स्पीड से उड़ाकर इतिहास रच दिया था। इसी के साथ इस विमान ने आज तक के इतिहास में सबसे तेज स्पीड से उड़ने का विश्व रिकॉर्ड कायम कर दिया। X-15 प्रोग्राम के दौरान , 12 पायलटों ने कुल 199 उड़ानें भरी थीं। इनमें से 8 पायलटों ने 13 कंबाइंड उड़ानें भरी थीं, जिसमें विमान को 80 किमी से अधिक की ऊंचाई पर उड़ाया गया था। इस फ्लाइट में शामिल 12 पायलटों को तुरंत मिलिट्री एस्ट्रोनॉट की पदवी दे दी गई थी। बाकी के पायलटों को X-15 विमान की अंतिम उड़ान के 35 साल बाद 2005 में नासा के एस्ट्रोनॉट्स विंग से सम्मानित किया गया।
X-15 विमान को वाल्टर डोर्नबर्गर के एक कॉन्सेप्ट हाइपरसोनिक अनुसंधान विमान के लिए डिजाइन किया गया था। इस विमान को बनाने की मंजूरी X-15 एक हाइपरसोनिक अनुसंधान विमान के लिए नेशनल एडवाइजरी कमेटी फॉर एरोनॉटिक्स (NACA) ने दी थी। इस विमान के एयरफ्रेम के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल 30 दिसंबर 1954 को, जबकि रॉकेट इंजन के लिए 4 फरवरी 1955 को जारी किया गया था। X-15 को दो कंपनियों ने मिलकर बनाया था।इसके बावजूद लगभग 200 उड़ानों में से केवल दो की ही क्रैश लैंडिग हुई थी। इनमें से एक दुर्घटना में एक पायलट माइकल एडम्स की मौत हो गई। 15 नवंबर, 1967 को एडम्स अपने विमान को वायुमंडल में प्रवेश करवाते समय स्पिन में फंस गए और उनका विमान टूट गया। इसके बावजूद एक्स-15 के पायलट इतने ट्रेंड थे कि वे हालात विपरीत होने के बावजूद सुरक्षित लैंडिंग करने में कामयाब होते थे। इनमें से पहली नॉर्थ अमेरिकन एविएशन थी, जिसे नवंबर 1955 में एयरफ्रेम का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया। वहीं, रिएक्शन मोटर्स को 1956 में इंजन बनाने के लिए अनुबंधित किया गया था। एक्स-सीरीज़ के बाकी विमानों की तरह एक्स -15 को बी -52 मदर शिप के विंग के नीचे लगाकर उड़ान भरने के लिए डिजाइन किया गया था।
वर्तमान में उड़ान भरने वाले अधिकांश विमान 320 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड पर आने के बाद रनवे पर उतरने की तैयारी करते हैं। वहीं, एक्स-15 इसी काम को 2400 किलोमीटर प्रति घंटे की सुपरसोनिक स्पीड पर करता था। ऐसे में एक्स-15 विमान को सुपरसोनिक स्पीड से उतारने के दौरान कई बार हालात बेकाबू हो जाते थे। इसे सामान्य टरमेक रनवे पर उतारना हमेशा खतरनाक होता था। इसके बावजूद लगभग 200 उड़ानों में से केवल दो की ही क्रैश लैंडिग हुई थी। इनमें से एक दुर्घटना में एक पायलट माइकल एडम्स की मौत हो गई। 15 नवंबर, 1967 को एडम्स अपने विमान को वायुमंडल में प्रवेश करवाते समय स्पिन में फंस गए और उनका विमान टूट गया। इसके बावजूद एक्स-15 के पायलट इतने ट्रेंड थे कि वे हालात विपरीत होने के बावजूद सुरक्षित लैंडिंग करने में कामयाब होते थे।