कौन है फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर?

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आपने हाल ही के दिनों में मोहम्मद जुबेर के बारे में तो सुना ही होगा! सुप्रीम कोर्ट ने फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को यूपी में दर्ज सभी छह मामलों में अंतरिम जमानत दे दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने जुबैर के खिलाफ यूपी में दर्ज सभी मामलों को दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल को ट्रांसफर कर दिया है। बड़ी बात यह है कि जुबैर के ट्वीट की जांच के लिए यूपी सरकार द्वारा बनाई गई एसआईटी को भी SC ने खत्म कर दिया है। जुबैर 28 जून से जेल में बंद थे। दो दिन पहले ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ‘ऐसा लगता है कि यह एक ‘दुष्चक्र’ है, एक मामले में जमानत मिलते ही मोहम्मद जुबैर (Zubair Bail) के खिलाफ एक और प्राथमिकी दर्ज हो जाती है। श्रीमान सॉलिसिटर, सभी FIR का कंटेंट एक जैसा लगता है।’ कथित रूप से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के मामले में जुबैर के खिलाफ यूपी में छह अलग-अलग मामले दर्ज हैं। दो केस हाथरस में, एक सीतापुर, एक लखीमपुर खीरी, एक मुजफ्फरनगर और एक गाजियाबाद में केस दर्ज किए गए हैं।

इससे पहले, जुबैर ने सुप्रीम कोर्ट से यूपी में दर्ज सभी एफआईआर को रद्द करने का अनुरोध किया था। उन्होंने SIT गठित करने के सरकार के फैसले को भी चुनौती दी थी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने जुबैर की अंतरिम बेल की याचिका पर सोमवार को यूपी सरकार को नोटिस जारी किया था।

जुबैर की वकील वृंदा ग्रोवर ने सुप्रीम कोर्ट से हाथरस कोर्ट में सुनवाई पर रोक लगाने की मांग थी क्योंकि वहां जुबैर की जान को खतरा है। उन्होंने कहा कि जैसे ही अदालत ने उन्हें सीतापुर में दर्ज प्राथमिकी में अंतरिम जमानत दी, तो एक और एफआईआर में वारंट आ गया। याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी प्राथमिकी, उस FIR का विषय हैं, जिसकी जांच दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा कर रही है। जांच के लिए यूपी के मामलों को एसआईटी को हस्तांतरित किया गया है।

सोमवार को जब सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर के खिलाफ एफआईआर पर सवाल खड़े किए और सब एफआईआर के कंटेट एक जैसे होने की बात कही तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्होंने ये सभी प्राथमिकी नहीं देखी हैं। इस पर पीठ ने कहा था कि हम इस पर परसों (यानी 20 जुलाई को) सुनवाई कर सकते हैं ताकि आप भी निर्देश ले सकें और प्राथमिकी देख सकें। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि इन प्राथमिकियों के संबंध में याचिकाकर्ता के खिलाफ जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाया जाए।

क्या है 7 मामलों की स्टेटस रिपोर्ट

जुबैर के खिलाफ कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने, न्यूज एंकर पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी करने, हिंदू देवताओं का अपमान करने और भड़काऊ पोस्ट करने के आरोप में उत्तर प्रदेश के सीतापुर, लखीमपुर खीरी, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर और हाथरस जिलों में अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई है।

केस नंबर 1

जगह- दिल्ली

आरोप- 2018 में एक ट्वीट के जरिए धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप

स्टेटस – 15 जुलाई को जमानत मिली

केस नंबर 2

जगह- सीतापुर

आरोप- नरसिंहानंद सरस्वती, बजरंग मुनि और आनंद स्वरूप को कथित तौर पर नफरत फैलाने वाला कहकर भावनाएं आहत करने का आरोप

स्टेटस- जुबैर को अंतरिम जमानत मिली थी, शीर्ष अदालत ने पिछले सप्ताह अगले आदेश तक बढ़ा दिया

केस नंबर 3

जगह- लखीमपुर खीरी

आरोप- ट्वीट कर चैनल के बारे में लोगों को भ्रमित करने का आरोप

स्टेटस – 17 जुलाई को कोर्ट ने जमानत देने से इनकार किया

केस नंबर 4

जगह- गाजियाबाद

आरोप- मुस्लिम शख्स का वीडियो ट्वीट किया, जो कह रहा था कि उसे दाढ़ी काटने और जय श्री राम का नारा लगाने के लिए मजबूर किया गया

स्टेटस- जांच जारी है

केस नंबर 5

जगह- मुजफ्फरनगर

आरोप- स्थानीय व्यक्ति को कथित तौर पर जान से मारने की धमकी

स्टेटस- चार्जशीट फाइल, कोर्ट में ट्रायल पेंडिंग

केस नंबर 6

जगह- हाथरस (सिकंदराराऊ कोतवाली)

आरोप- 10 जून को जुमे की नमाज के बाद पुरदिल नगर में कथित तौर पर हिंसा भड़काने का आरोप

स्टेटस- जांच जारी है, दो दिन पहले एसआईटी प्रभारी ने अधिकारियों से जानकारी ली थी

केस नंबर 7

जगह- हाथरस (कोतवाली सदर)

आरोप- धर्म के आधार पर दुश्मनी बढ़ाने के लिए ट्वीट

स्टेटस- पिछले गुरुवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत मिली

पिछले दिनों दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से कहा था कि ऑल्ट न्यूज वाले जुबैर को पाकिस्तान और सीरिया जैसे देशों से फंडिंग आती थी। इसके आधार पर उन्हें जमानत न देने का विरोध किया गया था। सरकारी वकील ने कहा था कि आरोपी सबूत मिटाने में माहिर है। कहा गया कि मोबाइल से कई सबूत मिटा दिए गए जिससे जांच में दिक्कत आ रही है। पुलिस अधिकारी उनके बेंगलुरु वाले घर पर भी गए थे। दिल्ली में जुबैर पर सबूत मिटाने और गलत तरीके से विदेशी फंडिंग का मामला भी दर्ज है।