बिहार में एक ऐसा समय भी आया था जब गुंडाराज चलता था! बिहार की राजनीति बाहुबलियों के बिना अधूरी है उन्हीं में एक है बाहुबली विधायक सुनील पांडे जिनके नाम से कभी खौफ खाता रहा है बिहार । बताते हैं कि इन्होंने अहिंसा पर पीएचडी की थी लेकिन हिंसा की दुनिया में इनका लंबा इतिहास भी मौजूद रहा है, इसलिए इनका नाम भी डॉक्टर डॉन पड़ा। सुनील पांडे को यूपी पुलिस ने अपराधियों को सरंक्षण देने और हत्या की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। यूपी के मिर्जापुर जिले में गुरुवार को पुलिस ने पूर्व विधायक और बाहुबली माफिया सुनील पांडे को अपराधियों को सरंक्षण और हत्या की साजिश रचने के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है।दरअसल 15 अगस्त को बिहार के बक्सर निवासी धनजी पासवान ने विध्यांचल थाने में तहरीर दी थी की अष्टभुजा पहाड़ी पर खाना बनाते समय हुए विवाद में कन्हैया प्रसाद को अज्ञात व्यक्तियों ने गोली मार दी है और तीन-चार गाड़ियों से फरार हो गए। सूचना पर एक्टिव हुई पुलिस ने इस मामले में 6 लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया था। इधर पुलिस ने घायल कन्हैया को इलाज के लिए वाराणसी भेज दिया लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इस मामले में पुलिस ने बाहुबली सुनील से भी पूछताछ की और आखिर में उन्हें भी गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया
बाहुबली नरेंद्र उर्फ सुनील पांडे
सुनील पांडे का जन्म बिहार के रोहतास जिले के नावाडीह गांव में 1966 को जन्म हुआ था। इनके पिता कमलेश पांडे बालू के ठेके का काम करते था। पढ़ाई में ठीक-ठाक सुनील को इंजीनियर बनाने के लिए बेंगलुरु भी भेजा था, लेकिन वहां साथियों के साथ विवाद हो गया। झगड़ा बढ़ा तो सुनील ने एक दोस्त पर चाकू से हमला कर दिया और इंजीनियर की पढ़ाई अधूरी छोड़कर रोहतास लौट आए।
रसूखदार परिवार में पले-बढ़े सुनील का मन पढ़ाई में न लग कर कुछ अलग करने के लिए विचलित होने लगा। कहते हैं कि इस बीच इनका संबंध शहाबुद्दीन के करीबी सिल्लू मियां से हो गया। वह कुछ दिनों में सिल्लू मियां के खास हो गए, और बड़े स्तर पर बालू के ठेके लेने लगे। धीरे-धीरे उनका दबदबा बढ़ता ही गया। लेकिन वर्चस्व में टकराव के चलते सिल्लू मियां और सुनील अलग होकर काम करने लगे। अलग होने के कुछ समय के बाद सिल्लू मियां की हत्या हो गई। हत्या के मामले में सुनील का नाम तो आया लेकिन सबूत न मिलने से वह आरोप से बरी हो गए और बालू का काम खुद देखने लगे।
90 के दशक में बिहार जातियों में बटा था, जातीय हिंसा और उन्माद के दौर में हर वर्ग के लोग अपने लोगों और समाज की रक्षा करने के लिए एक सेना बनाने लगे थे। ऐसे में ही ब्रम्हेश्वर सिंह ने रणबीर सेना का गठन किया था। माना जाता है कि ब्रह्मेश्वर सिंह से सुनील के करीबी संबंध रहे हैं। पटना के एक वरिष्ठ पत्रकार बताते हैं कि इनका रोहतास जिले के आसपास के इलाके में काफी प्रभाव रहा है। इन पर रणबीर सेना के मुखिया की हत्या का भी आरोप लगा था। लोग दबी जुबान से इसकी चर्चा भी करते हैं।
सुनील पांडे ने साल 2000 में राजनीति में कदम रखा और समता पार्टी से पहली बार तरारी से विधायक भी चुन लिए गए। उसके बाद वह तीन बार और विधायक बने। इस तरह सुनील कुल चार बार विधायक चुने गए।
जिले के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पर रोहतास जिले में करीब आधा दर्जन मुकदमे दर्ज हैं। इनका संबंध भी रणवीर सेना रहा है। साथ ही यह भी बताया कि 2022 में सपना चौधरी के स्टेज कार्यक्रम में इन्होंने ही गोली चलाई थी। वह मामला भी चर्चा का विषय बना था।
बिहार की राजनीति को करीब से देखने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि साल 2005 में जब नीतीश की सरकार बनी उसके बाद से माफियाओं पर अंकुश लगना शुरू हो गया जिसके कारण आज इस तरह के लोग शांत ही हो गए और व्यापार वगैरह करने लगे।जिले के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पर रोहतास जिले में करीब आधा दर्जन मुकदमे दर्ज हैं। इनका संबंध भी रणवीर सेना रहा है। साथ ही यह भी बताया कि 2022 में सपना चौधरी के स्टेज कार्यक्रम में इन्होंने ही गोली चलाई थी। वह मामला भी चर्चा का विषय बना था। अब इसे संयोग ही कहा जाएगा कि एक ही दिन बाहुबली राजन तिवारी और सुनील पांडे को एक ही साथ अलग-अलग जगहों से गिरफ्तार किया है।