Thursday, September 19, 2024
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आखिर क्यों हो रही है पाकिस्तान के बलूचिस्तान में मौतें? जानिए

हाल ही में पाकिस्तान के बलूचिस्तान में कई लोगों की मौतें देखी गई… सिर्फ एक महीने के अंदर 200 से ज्यादा मौतें सिर्फ पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ही हो गई… जिसके बाद कई सवाल खड़े हुए कि आखिर यह हिंसा हो क्यों रही है और इसके पीछे कौन है? तो आज हम आपको इसी बारे में जानकारी देंगे! 

आपको बता दें कि पाकिस्तान का बलूचिस्तान बेहद अशांत क्षेत्र है। यहां हाल के समय में पाकिस्तान विरोधी हिंसा के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई है। पिछले दिनों बलूचिस्तान में दो विभिन्न मामलों में बलूच बंदूकधारियों ने करीब 40 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बलूचिस्तान में पिछला अगस्त का महीने पिछले 6 साल का सबसे घातक महीना रहा है। अगस्त महीने में सबसे ज्यादा हिंसा के मामले आए हैं। पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट एंड सिक्योरिटी स्टडीज (PICSS) के अनुसार अगस्त के महीने में पाकिस्तान में सरकार विरोधी हिंसा के मामलों में खतरनाक ढंग से बढ़ोतरी हुई है।बता दें कि रिपोर्ट्स में भी इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि न सिर्फ हिंसा बल्कि लोगों के गायब होने यानी अगवा करने की घटनाएं भी सामने आई हैं। क्वेटा, केच, अवारान और खुज़दार में गायब होने के मामले सबसे ज्यादा सामने आए हैं। बलूचिस्तान में आतंकी हमलों के कारण स्थिति शोचनीय बनी हुई है। इस कारण यह पिछले 6 साल का सबसे ज्यादा अशांत महीना बन गया है। अगस्त में बलूचिस्तान में सबसे अधिक मौतें होने के मामले सामने आए हैं। PICSS की सोमवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार अगस्त के महीने में हिंसा की घटनाओं में पाकिस्तान में कम से कम 254 लोग मारे गए। इनमें 92 नागरिक, 108 आतंकवादी और 54 सशस्त्र सैनिक शामिल थे। इसके अतिरिक्त अलग अलग घटनाओं में करीब 150 लोग घायल हुए। इनमें 88 के करीब आमजन थे।

पाकिस्तान में हाल के समय में आतंकी घटनाओं में ​काफी बढ़ोतरी हुई है। यही कारण है कि पाकिस्तान में हिंसा की घटनाओं में सबसे ज्यादा 83 आतंकी घटनाएं हुई हैं। इनमें 175 लोगों की जान गई है। इनमें 47 के करीब सुरक्षाकर्मी, 92 आम लोग शामिल थे। वहीं 36 आतंकवादी भी मारे गए। इसके अलावा हिंसा की घटनाओं में 123 लोग घायल हुए। इन घायलों में 35 सुरक्षाकर्मी और 88 आम नागरिक रहे हैं। इस तरह पिछले 6 साल में यानी जुलाई 2018 के बाद से अगस्त सबसे ‘खतरनाक’ महीने के रूप में माना गया है।

बलूचिस्तान में हिंसा का इतिहास देखा जाए तो 1948 से पाकिस्तान सरकार के खिलाफ बलूच विद्रोहियों ने हिंसा का रास्ता पकड़ा। सरकार कि खिलाफ बलूचिस्तान में प्रतिरोध की भावना इन दिनों चरम पर पहुंच गई है। बलूच विद्रो​ही पूरे दमखम के साथ पाकिस्तान के सुरक्षा जवानों को निशाना बना रहे हैं। बलूच विद्रोहियों की पूरी फौज है, जिसे बलूचिस्तान लिबरेशन फोर्स यानी बीएलए के नाम से जाना जाता है। बीएलए के इन हमलों ने पाकिस्तान सरकार की टेंशन बढ़ा दी है।

बलूच मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्ट्स में भी इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि न सिर्फ हिंसा बल्कि लोगों के गायब होने यानी अगवा करने की घटनाएं भी सामने आई हैं। क्वेटा, केच, अवारान और खुज़दार में गायब होने के मामले सबसे ज्यादा सामने आए हैं। बलूचिस्तान में आतंकी हमलों के कारण स्थिति शोचनीय बनी हुई है। अ​स्थिरता और मानवाधिकारों के हनन से पाकिस्तान की शहबाज सरकार चिंतित है। अलगाववादी समूहों और सरकार के बीच चल रहे संघर्ष के कारण मानवाधिकार की स्थिति गंभीर है। यही कारण है कि हिंसा के मामले चरम पर हैं। यानी सीधी सी बात यह है कि एक आतंकी देश में अब आतंकवादी घटनाएं होने लगी है… जिसका कारण खुद वह देश है! बता दे कि बलूचिस्तान के पास पूरे देश का 40% से ज्यादा गैस प्रोडक्शन होता है. ये सूबा कॉपर, गोल्ड से भी समृद्ध है. पाकिस्तान इसका फायदा तो लेता है, लेकिन बलूचिस्तान की इकनॉमी खराब ही रही. बलूच लोगों की भाषा और कल्चर बाकी पाकिस्तान से अलग है! यही नहीं पाकिस्तान में हिंसा की घटनाओं में सबसे ज्यादा 83 आतंकी घटनाएं हुई हैं। इनमें 175 लोगों की जान गई है। इनमें 47 के करीब सुरक्षाकर्मी, 92 आम लोग शामिल थे। वहीं 36 आतंकवादी भी मारे गए। इसके अलावा हिंसा की घटनाओं में 123 लोग घायल हुए। वे बलूची भाषा बोलते हैं, जबकि पाकिस्तान में उर्दू और उर्दू मिली पंजाबी चलती है. बलूचियों को डर है कि पाकिस्तान उनकी भाषा भी खत्म कर देगा, जैसी कोशिश वो बांग्लादेश के साथ कर चुका. सबसे बड़ा प्रांत होने के बावजूद इस्लामाबाद की राजनीति और मिलिट्री में इनकी जगह नहीं के बराबर है.

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