आखिर क्यों उठते हैं राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल?

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यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल क्यों उठते रहते हैं! भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी एक बार फिर से सुर्खियों में बने हुए हैं। स्वामी ने इस बार राहुल गांधी की नागरिकता का मुद्दा उठाया है। स्वामी राहुल की नागरिकता के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गए हैं। बीजेपी नेता ने याचिका में गृह मंत्रालय को यह निर्देश देने की अपील की कि वह कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने के अनुरोध संबंधी उनके अभ्यावेदन पर फैसला करे। यह पहली बार नहीं है जब स्वामी ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोला है। स्वामी कांग्रेस के लिए अगस्ता वेस्टलैंड से लेकर नेशनल हेराल्ड केस में परेशानी खड़ी कर चुके हैं। वे राहुल गांधी के साथ ही सोनिया गांधी को भी अदालत तक पहुंचा चुके हैं। कांग्रेस से स्वामी की अदावत काफी पुरानी रही है। महज 24 साल की उम्र में हार्वर्ड से पीएचडी करने वाले स्वामी का इंदिरा गांधी से भी छत्तीस का आंकड़ा रहा है। बात 1968 की है। उस समय अमर्त्य सेन ने स्वामी को दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ाने का न्योता दिया था। स्वामी ने उनका निमंत्रण स्वीकार कर दिल्ली में पढ़ाना शुरू कर दिया। एक साल बाद 1969 में स्वामी ने आईआईटी दिल्ली जॉइन कर लिया। इंदिरा गांधी से नाराजगी की वजह से 1972 में उन्हें आईआईटी की नौकरी गंवानी पड़ी। मामला अदालत तक पहुंचा। आखिरकार 1991 में फैसला स्वामी के पक्ष में आया। फैसले के बाद वह एक दिन के लिए आईआईटी दिल्ली गए। इसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

स्वामी कांग्रेस पार्टी को विदेशी लोगों का गुट बता चुके हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस कोई पार्टी नहीं बल्कि विदेशी लोगों का गुट है। इसमें सब लोग एक गुलाम हैं। स्वामी का कहना है कि जब तक कांग्रेस से नेहरू परिवार की छुट्टी नहीं हो जाती तब तक कांग्रेस का कोई भविष्य नहीं है। साल 2012 में स्वामी ने चुनाव आयोग से कांग्रेस पार्टी की मान्यता रद्द करने की मांग की थी। उन्होंने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को लोन देने का हवाला देते हुए पार्टी की मान्यता रद्द करने की मांग की थी। स्वामी का कहना था कि आयकर अधिनियम (1961) की धारा 13ए और आरपीए (1951) अधिनियम की धारा 29ए से 29सी के अनुसार कोई भी राजनीतिक पार्टी किसी भी कम्पनी को ब्याज या ब्याज मुक्त ऋण नहीं दे सकती है। वहीं, कांग्रेस ने इसे भावनात्मक मुद्दा बताया था।

स्वामी राहुल गांधी को लेकर अक्सर आक्रामक रहते हैं। वह राहुल गांधी को बेवकूफ से लेकर नशा करने वाला तक बता चुके हैं। इस साल एक यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने राहुल गांधी को बेवकूफ बताया था। स्वामी ने जुलाई 2019 में राहुल गांधी को नशेड़ी बताया था। स्वामी ने कहा था कि राहुल गांधी कोकीन लेते हैं। उनका कहना था कि राहुल गांधी का यदि डोप टेस्ट किया जाए तो वे फेल हो जाएंगे। इसके बाद स्वामी के खिलाफ केस भी दर्ज हुआ था। बिहार में एनएसयूआई ने बीजेपी सांसद के खिलाफ केस दर्ज कराया था। यह केस बिहार के मोतिहारी सिविल कोर्ट में दर्ज हुआ था। इतना ही नहीं स्वामी राहुल की डिग्री पर भी सवाल उठा चुके हैं। 2019 में ही स्वामी ने एक ट्वीट में कहा था कि कैम्ब्रिज सर्टिफिकेट के अनुसार राहुल गांधी का नाम राउल विंसी है। स्वामी ने कहा था कि राहुल नेशनल इकोनॉमिक प्लानिंग एंड पॉलिसी में फेल हो गए थे। उन्होंने एक सर्टिफिकेट भी पोस्ट किया था।

स्वामी अगस्ता वेस्टलैंड मामले को लेकर भी सोनिया गांधी के खिलाफ आक्रामक रहे हैं। एक इंटरव्यू के दौरान स्वामी ने कहा था कि स्वामी ने कहा कि मैं यह मान सकता हूं कि सोनिया गांधी दोषी हैं। लेकिन, इसे आपकी संतुष्टि के लिए साबित करने की प्रक्रिया में मुझे कानूनी प्रणाली से गुजरना होगा। मैं तब तक कोई मामला नहीं लेता जब तक मुझे यकीन न हो जाए कि व्यक्ति दोषी है। स्वामी का कहना था कि अगस्ता वेस्टलैंड मामले में जांच एजेंसी को सोनिया गांधी से पूछताछ करनी चाहिए। बीजेपी नेता ने कहा था कि बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल का पत्र स्पष्ट रूप से सोनिया गांधी की ओर इशारा करता है। उनका कहना था कि यह कांग्रेस अध्यक्ष की संलिप्तता की ओर इशारा करने वाला एकमात्र सबूत नहीं है। स्वामी का कहना था कि लेटर में कहा गया है कि सौदे के पीछे वही मुख्य ताकत हैं।

कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाले सुब्रहमण्यम स्वामी ने बोफोर्स के मुद्दे पर राजीव गांधी का साथ दिया था। एक समय में वे राजीव गांधी के करीबी दोस्तों में शामिल थे। स्वामी ने बोफोर्स का मुद्दा उछलने के दौरान सार्वजनिक रूप से कहा था कि राजीव ने इस मामले में एक भी पैसा नहीं लिया है। स्वामी ये दावा करते रहे हैं कि वे राजीव के साथ घंटों समय बीताते थे। इतना ही नहीं वे राजीव गांधी के बारे में काफी कुछ जानते हैं।