उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीटों को अचानक से क्यों संभालने लगे अमित शाह?

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हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीटों को अचानक से संभालने लगे हैं! उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दो चरणों का मतदान हो चुका है। अब तीसरे चरण में 10 सीटों पर 7 मई को वोट डाले जाने हैं। वैसे तो सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और विपक्ष इन दोनों ही चरणों में अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। लेकिन दोनों ही चरणाें में घटे वोटिंग प्रतिशत ने सभी दलों के माथे पर चिंता की लकीरें पैदा कर दी हैं। यूपी में सभी 80 सीटों पर जीत के दावे कर रही भारतीय जनता पार्टी भी परेशान दिख रही है। यही कारण है चुनाव के बीच पार्टी के ‘चाणक्य’ माने जाने वाले अमित शाह ने मोर्चा संभाल लिया है। अमित शाह यूपी में रैलियों और तमाम आयोजनों में शामिल होने के साथ ही संगठन के कील-कांटे दुरुस्त करने के लिए एक्शन मोड में हैं। लखनऊ के सत्ता के गलियारे में अमित शाह के खुद मोर्चा संभालने को लेकर कई तरह की चर्चाएं भी आम हैं। सबसे ज्यादा चर्चा पार्टी के प्रदेश संगठन के पिछले दो चरणों मे प्रदर्शन को लेकर केंद्रीय नेतृत्व में नाराजगी को लेकर है। पार्टी स्तर पर जो फीडबैक हाईकमान तक गया, उसमें ये बताया गया कि भले ही पहले दो चरणों में वोटिंग प्रतिशत गिरा हो लेकिन भाजपा के वोटर पहुंच रहे हैं। लेकिन दिल्ली से मिली जानकारी के अनुसार पार्टी नेतृत्व यूपी में पार्टी संगठन से ज्यादा खुश नहीं है। उसका मानना है कि खासतौर पर पहले चरण में जिस तरह का ग्राउंड पर एक्शन दिखना चाहिए था वो नहीं दिखा। अभी तक भाजपा के विजयी सफर में उसकी वोटरों को बूथ तक ले जाने की रणनीति सबसे बड़ी ताकत रही है, लेकिन पश्चिम के 8 महत्वपूर्ण सीट, जहां पिछले चुनाव में भाजपा सिर्फ 3 सीटें ही जीत सकी थी, वहां संगठन उतना एक्शन में नहीं था, जितना होना चाहिए था। इसके अलावा ग्राउंड लेवल पर समन्वय का भी अभाव दिखा। इसके अलावा पार्टी संगठन की तरफ से ‘अपनों’ की नाराजगी दूर करने के पर्याप्त उपाय नहीं किए गए।

संगठन की इसी कमजोरी को दूर करने के लिए अमित शाह ने खुद मोर्चा संभाल लिया। दरअसल यूपी में 2014 और 2019 की प्रचंड जीत में अमित शाह का अहम रोल रहा। वह यहां की हर सीट की गुणा-गणित से लेकर जातिगत समीकरण, धार्मिक समीकरण अच्छे से समझते रहे हैं। यही कारण रहा कि दूसरे चरण की वोटिंग होने के ऐन बाद अमित शाह कानपुर पहुंचे और यहां अवध क्षेत्र और कानपुर-बुदेलखंड क्षेत्र की 23 लोकसभा सीटों के संयोजकों एवं सह संयोजकों की बैठक की। इसमें तीसरे और चौथे चरण की 23 सीटों पर बूथ जीता-चुनाव जीता का मंत्र दिया गया।

बैठक में साफ निर्देश दिया गया कि मतदाताओं के घर-घर जाकर मिलिए और उन्हें आयुष्मान योजना का फार्म भी देना न भूलें। पन्ना प्रमुख घर-घर संपर्क करें। वोटिंग हो जाने तक लोगों से संवाद जरूरी है। लोकसभा संयोजकों व जिलाध्यक्षों को निर्देश दिया गया कि उन्हें भाजपा का स्टीकरण हर दरवाजे पर लगाना है। जानकारी के अनुसार कानपुर में करीब 7 चरणों में दर्जनों कार्यकर्ताओं के साथ अमित शाह ने बैठक की। इसमें लोकल नेता भी शामिल थे। उनकी बैठक में सबसे ज्यादा फोकस नाराजगी दूर करने और पार्टी प्रत्याशी को जिताने के लिए एकजुट होने पर रहा।

पिछले दिनों अमित शाह के काशी दौरे (वाराणसी लोकसभा चुनाव) में भी यही देखने को मिला। यहां उन्होंने काशी क्षेत्र के भाजपा पदाधिकारियों के साथ लंबी बैठक की। बता दें कि पार्टी नेतृत्व यूपी में पार्टी संगठन से ज्यादा खुश नहीं है। उसका मानना है कि खासतौर पर पहले चरण में जिस तरह का ग्राउंड पर एक्शन दिखना चाहिए था वो नहीं दिखा। अभी तक भाजपा के विजयी सफर में उसकी वोटरों को बूथ तक ले जाने की रणनीति सबसे बड़ी ताकत रही है, लेकिन पश्चिम के 8 महत्वपूर्ण सीट, जहां पिछले चुनाव में भाजपा सिर्फ 3 सीटें ही जीत सकी थी, वहां संगठन उतना एक्शन में नहीं था, जितना होना चाहिए था। इसमें हर बूथ पर 300 से ज्यादा वोट हासिल करने का लक्ष्य रख दिया गया है। भाजपा कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने विधानसभा, ब्लॉक, मंडल, बूथ स्तर पर अलग-अलग वर्गों से जुड़े चौपाल कार्यक्रम, जनसंपर्क और अन्य साधनों से लोगों तक पहुंचें। उनसे अपील करें और बूथ तक लाने की जिम्मेदारी उठाएं।

कानपुर के बाद अमित शाह का काशी दौरा हुआ। यहां भी उन्होंने मैराथन बैठकों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रिकॉर्ड मतों से जिताने की रणनीति बनाई। इस दौरान नरेंद्र मोदी के भव्य रोड शो को लेकर रणनीति बनाई गई। जानकारी के अनुसार अब अमित शाह अगला दौरा लखनऊ का है और यहां भी इसी तरह की बैठकों का दौर जारी रहेगा।