तेलंगाना में मां बाप ने अपने ही बच्चे को मार डाला! जब उसका जन्म हुआ होगा तो माता-पिता ने मिठाइयां बांटी होंगी। घर में सोहर गाए गए होंगे। हर तरफ खुशियों भरा माहौल होगा। उसकी बहन गदगद होगी। उसे साथ खेलने के लिए एक भाई मिल गया था। बड़े लाड़-प्यार से माता-पिता ने बच्चे को पाला होगा। बड़े अरमान सजाए होंगे कि बुजुर्ग होने पर ये बच्चा उनकी देखभाल करेगा, उनका ख्याल रखेगा। लेकिन उनके अरमानों पर ऐसा पानी फिरा कि 26 साल के अपने जवान बेटे को मारने की सुपारी दे दी। आखिर अपने जिगर के टुकड़े से बूढ़े माता-पिता इतने दुखी हुए कि भाड़े के चार हत्यारों को सुपारी देकर एकलौते बेटे की हत्या करवा दी और बन बैठे कातिल मां-बाप।
अब सवाल उठता है कि आखिर उस कलियुगी बेटे ने अपने माता-पिता को कितना सताया होगा कि उन्होंने अपने जिगर के टुकड़े को मरवाने जैसा कदम उठा लिया। इन बुजुर्गों को आखिर उसके अपने ने कितना दर्द दिया कि उन्होंने वो कदम उठा लिया जिसकी कल्पना तक कोई नहीं कर सकता है। जिसके जन्म के समय जश्न में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी गई। हर बर्थडे पर उसका पसंदीदा गिफ्ट लाकर दिया । लेकिन जब वह बड़ा हुआ तो कुसंगति में पड़ गया। उसके कदम ऐसे बहके कि फिर वह कभी सुधर नहीं सका। अपने बूढ़े मां-बाप को तंग करने लगा और फिर कलियुग की सबसे बड़ी खबर सामने आ जाती है।
सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल क्षत्रिय राम और उनकी पत्नी रानी बाई अपने एकलौते बेटे साई राम से इतना परेशान थे कि उनका जीना दूभर हो गया था। उनका बेटा हर रोज उनसे शराब पीने के लिए पैसा मांगता था। तेलंगाना के खम्मम का यह मामला दहलाने वाला है। मृतक पुत्र माता-पिता से शराब पीने के लिए पैसा नहीं मिलने पर उन्हें मारते-पीटते थे। बेटे को ठीक करने के लिए क्षत्रिय राम ने उसे सुधारगृह (Rehabilitation) भी भेजा लेकिन मृतक अपनी आदतों से बाज नहीं आया था। वह सुधारगृह से आने के बाद भी माता-पिता को परेशान करने लगा। उनसे पैसे मांगता था। उनका जीना मुहाल कर दिया था। क्षत्रिय राम की एक बेटी भी है जो अमेरिका में रहती है। अपनी भाई की हरकतों से वो भी परेशान रहती थी। लेकिन किसी ने भी ऐसा नहीं सोचा होगा कि जिस जिगर के टुकड़े के जन्म होने पर पूरा परिवार जश्न में डूबा था उसी लड़के को उसके माता-पिता मरवा देंगे।
हाल के दिनों में बुजुर्गों पर अत्याचार की बड़ी कहानियां सामने आई हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (National Crime Records Bureau) के 2021 के आंकड़े के अनुसार देश के कई राज्यों में बुजुर्गों के खिलाफ अपराध बढ़े हैं। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में उम्रदराज लोग सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं। तमिलनाडु, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में बुजुर्गों की हत्या के मामले में सबसे ज्यादा हैं। देश में 60 साल या उससे ज्यादा उम्र वाले बुजुर्गों के खिलाफ हजारों केस दर्ज किए गए थे। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 6,190 केस दर्ज किए गए थे। मध्य प्रदेश इस मामले में दूसरे नंबर पर था जबकि तेलंगाना में 2021 में 1,952 केस दर्ज किए गए थे। 2021 में तमिलनाडु (191), महाराष्ट्र (181), मध्य प्रदेश (121), उत्तरप्रदेश (101) में बुजुर्गों के हत्या के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे। बुजुर्गों पर गंभीर अपराध के मामले में महाराष्ट्र टॉप पर रहा था। महाराष्ट्र में 334 मामले में दर्ज हुए थे। मध्य प्रदेश (231), गुजरात (75), केरल (62), छत्तीसगढ़ (41) और पंजाब (33) केस सामने आए थे।
2011 की जनगणना के मुताबिक देश में 60 साल से ऊपर के 7.7 करोड़ बुजुर्ग थे जो देश की कुल आबादी के 7.5 प्रतिशत थे। मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस ऐंड एम्पावरमेंट की बुजुर्गों के लिए एनुअल ऐक्शन प्लान (2022-23) के मुताबिक, 2021 में बुजुर्गों की तादाद करीब 14 करोड़ थी और जनसंख्या में उनकी हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से ऊपर।
इस कानून के तहत बच्चों/रिश्तेदारों के लिए माता-पिता/वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल करना, उनके स्वास्थ्य, रहने-खाने जैसी बुनियादी जरूरतों की व्यवस्था करना अनिवार्य किया गया है।
बेटे-बेटी के साथ-साथ बालिग पोते-पोतियों की भी यह जिम्मेदारी है। ये बेटे-बेटी चाहें बुजुर्ग की जैविक संतान हों या फिर सौतेली या फिर गोद ली हुईं, उन सब पर ये लागू होता है। उनकी जिम्मेदारी है कि वह माता-पिता के लिए उचित भोजन, कपड़े, आवास, इलाज आदि जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करें।
बहू, दामाद और बेटी के बच्चों को भी इसके दायरे में लाने की तैयारी है। 2019 में इसे लेकर सरकार ने एक संशोधन विधेयक भी लाया था जिसमें 2007 के कानून की खामियों को दूर करने की कोशिश की गई थी।
बुजुर्ग के रिश्तेदारों में उसके सभी कानूनी वारिस (नाबालिग को छोड़कर) आएंगे जो उसके बाद उसकी संपत्ति के कानूनन हकदार हैं।
अगर बच्चे या रिश्तेदार अपनी ये जिम्मेदारी नहीं निभा रहे तो वे सजा के हकदार होंगे। दोषी पाए जाने पर उन्हें 3 महीने की जेल या 5000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।