हाल ही में बीजेपी और आप के पार्षद आमने-सामने हो गए! दिल्ली के मेयर चुनाव को लेकर रार बढ़ गई है। इसे लेकर एमसीडी सदन में जोरदार हंगामा हुआ। धक्कामुक्की हुई। कुर्सी-माइक फेंके गए। विकास का दावा करने वाले मेजों पर उछल-उछलकर बाहें लहराते दिखे। सारी हदें पार हो गईं। हालात कंट्रोल करने के लिए मार्शलों को हस्तक्षेप करना पड़ा। उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से नियुक्त 10 एल्डरमैन मनोनीत पार्षद को पहले शपथ दिलाने को लेकर हंगामा शुरू हुआ। इस पूरे फसाद के लिए भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। आखिर इसकी जड़ में क्या है? इसमें उपराज्यपाल वीके सक्सेना का क्या रोल है? ‘एल्डरमैन’ क्या होते हैं? आइए, यहां इन सभी पहलुओं के बारे में समझते हैं। 10 ‘एल्डरमैन’ को पहले शपथ दिलाने के साथ ही एमसीडी सदन गरमा गया। आप पार्षदों के तीखे विरोध के बीच नवनिर्वाचित दिल्ली नगर निगम एमसीडी की पहली बैठक शुक्रवार को मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव के बिना ही स्थगित कर दी गई। हालात तब बेकाबू हुए जब पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा ने शपथ के लिए पहले एल्डरमैन को बुलाया। एल्डरमैन की नियुक्ति पर सवाल उठाने वाली आप ने इस पर आपत्ति जताई। वे विरोध करते हुए वेल तक पहुंच गए।
एल्डरमैन उस व्यक्ति को कहते हैं जिन्हें किसी क्षेत्र में विशेषज्ञता होती है। दिल्ली म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन ऐक्ट 1957 के अनुसार, एलजी कॉरपोरेशन में 25 साल से ऊपर के 10 व्यक्तियों को नॉमिनेट कर सकते हैं। इस तरह की उम्मीद की जाती है कि इन्हें नगरपालिका प्रशासन का अनुभव होता है। हालांकि, मेयर इलेक्शन में एल्डरमैन वोट नहीं कर सकते हैं। वार्ड कमिटी मेंबर के तौर पर उनके पास 12 एमसीडी जोन के लिए एक-एक प्रतिनिधि चुनने को वोट करने की शक्ति होती है।
मेयर चुनाव में आप और बीजेपी की लड़ाई की जड़ में बहुत से कारणों में एल्डरमैन को चुनने का तरीका भी शामिल है। एमसीडी के एल्डरमैन उपराज्यपाल चुनते हैं। एलजी ने पहले 10 लोगों के नामों के साथ नोटिफिकेशन जारी किया था। फिर संशोधित लिस्ट जारी की। इसमें दो नामों को हटा दिया गया क्योंकि वे पद के लिए अयोग्य थे। ओरिजनल लिस्ट में विनोद कुमार, लक्ष्मण आर्य, मुकेश मन, सुनीत चौहान, राज कुमार भाटिया, मोहन गोयल, संजय त्यागी, राजपाल राणा, मनोज कुमार और रोहताश कुमार का नाम था।
एलजी की ओर से नामित सदस्यों पर आप ने आपत्ति जताई है। उसका आरोप है कि एलजी के चुने सभी एल्डरमैन बीजेपी के हैं। उसने नॉमिनेशन प्रक्रिया में हेराफेरी का आरोप लगाया है। उसका कहना है कि पहले एल्डरमैन के लिए कैंडिडेट की लिस्ट दिल्ली सरकार एलजी को देती थी। उसने एलजी के अपनाए तरीके को असंवैधानिक करार दिया है। गरमागरमी का माहौल गुरुवार से ही बनने लगा था। इस दिन दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने एमसीडी मेयर चुनाव के मद्देनजर छह जनवरी को होने वाली पहली सदन की पहली बैठक के लिए बीजेपी पार्षद सत्या शर्मा को पीठासीन अधिकारी के रूप में नामित किया था। इस नियुक्ति पर आप ने आपत्ति जताई थी। बीजेपी पर आरोप लगाया था कि वह सभी लोकतांत्रिक परंपराओं और संस्थानों को नष्ट करने पर उतारू है।
इसके उलट एलजी ऑफिस ने AAP के आरोपों का खंडन किया है। उसने दावा किया है कि इस मामले पर एलजी राज्य सरकार का परामर्श लेने के लिए बाध्य नहीं है। डीएमसी एक्ट उपराज्यपाल को एल्डरमैन चुनने का अधिकार देता है। यह भी बताया गया है कि डीएमसी एक्ट में ‘सरकार’ शब्द को बदलकर ‘केंद्र सरकार’ किया गया है। 2022 के संशोधन में ऐसा किया गया है। सात दिसंबर को ‘आप’ ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के 250 में से 134 वार्ड में जीत दर्ज की थी। ऐसा करके उसने बीजेपी के 15 साल तक चले शासन पर विराम लगा दिया था। चुनाव में बीजेपी ने 104 वार्ड में जीत दर्ज की थी। जबकि कांग्रेस नौ सीटों पर जीती थी। एमसीडी में 250 निर्वाचित पार्षद शामिल हैं। दिल्ली में बीजेपी के सात लोकसभा सांसद और ‘आप’ के तीन राज्यसभा सदस्य और दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष की ओर से नामित 14 विधायक भी मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए होने वाले चुनावों में हिस्सा लेंगे।
बैठक की शुरुआत बीजेपी पार्षद सत्या शर्मा को एमसीडी मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी के रूप में शपथ दिलाने के साथ हुई। शर्मा के ‘एल्डरमैन’ मनोज कुमार को शपथ लेने के लिए आमंत्रित करने पर ‘आप’ विधायक और पार्षद विरोध करने लगे। कई विधायक और पार्षद नारे लगाते हुए सदन में आसन के करीब पहुंच गए। ‘आप’ पार्षदों के पीठासीन अधिकारी की मेज सहित अन्य मेज पर खड़े होकर नारेबाजी करने के बीच शपथ दिलाने की प्रक्रिया रोक दी गई। बीजेपी के पार्षद भी मेज के आसपास जमा हो गए। इस दौरान उनके और ‘आप’ पार्षदों के बीच तीखी जुबानी जंग देखने को मिली। दोनों के बीच झगड़ा रुकवाने के लिए मार्शलों की मदद लेनी पड़ी।