केदारनाथ में हाल के दिनों में एक और हेलीकॉप्टर हादसा हुआ है, जिसके बाद फायदा या नुकसान की बात शुरू हो चुकी है! उत्तराखंड के केदारनाथ धाम से झकझोरने वाले घटना सामने आई है। केदारनाथ के दामन पर एक बार फिर से हादसे का दाग लगा है। बाबा केदारनाथ के दर्शन करने के बाद हेलिकॉप्टर से लौट रहे यात्री दुर्घटना का शिकार हो गए। खराब मौसम की वजह से हुए हादसे में पायलट सहित 7 लोगों की मौत हो गई। धमाके के साथ हेलिकॉप्टर में आग लग गई और पहाड़ पर गिरकर टुकड़े-टुकड़े हो गया। यहां पहला हादसा नहीं हो रहा है। केदारनाथ में पहले भी हेलिकॉप्टर क्रैश हो चुका है। उड़ान में समस्या आती रही है। अभी हाल ही में ऑडिट रिपोर्ट में हेलिकॉप्टर की उड़ान में गड़बड़ी पाई गई थी। केदारनाथ में हुए हेलिकॉप्टर हादसे पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तक ने शोक प्रकट किया है। मरने वालों में कर्नाटक, झारखंड के लोग शामिल हैं। मृतकों में पायलट अनिल सिंह के साथ ही यात्री पूर्वा रम्या, कार्तिक बोराद, सुजाता, उर्वी, प्रेम कुमार, काला के तौर पर शिनाख्त हुई है। दुर्घटना का शिकार हुआ हेलिकॉप्टर आर्यन कंपनी से जुड़ा हुआ था। केदारनाथ से वापस लौटते वक्त गरुड़ चट्टी के पास यह क्रैश हो गया।
उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा) के सीईओ सी. रविशंकर ने बताया कि क्रैश में मैजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि घने कोहरे के बीच हेलिकॉप्टर ने उड़ान भरी थी। खराब मौसम की वजह से यह हादसा हुआ। हेलिकॉप्टर में आग लग गई। पूरे हादसे की जांच की जा रही है। जांच के बाद डीजीसीए और केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। अभी अस्थायी तौर पर हेली सर्विस रोकी गई।
कुछ महीने पहले ही ऑडिट में इस बात का खुलासा हुआ था कि उड़ान में सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। दरअसल, 31 मई को एक मामला सामने आया था, जब हेलिकॉप्टर की हार्ड लैंडिंग कराई गई थी। उस वक्त अप्रिय घटना होते-होते बची थी। इसके बाद नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) की तरफ से ऑडिट कराया गया था। जून के पहले सप्ताह में स्पॉट चेकिंग के बाद फिर 13 से 16 जून के बीच ऑडिट हुआ था।
इस ऑडिट में यह पाया गया कि ऑपरेटर्स ने टेक्निकल लॉग बुक में फ्लाइंग रेकॉर्ड्स को उचित तरीके से मेनटेन नहीं किया है। उन्हें सुरक्षा नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया गया था। इसके बाद अगस्त महीने में पांच हेलिकॉप्टर संचालकों पर 5-5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। डीजीसीए ने साथ ही दो ऑपरेटर्स को भी निलंबित कर दिया था। लेकिन विमान कंपनियों और ऑपरेटर्स की नींद बार-बार हो रहे हादसों पर भी नहीं टूट रही थी।
DGCA की ऑडिट में उड़ान में गड़बड़ी और सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना भी लगाया जा चुका है। इसके साथ ही केदारनाथ के मौसम और उच्च दबाव क्षेत्र की वजह से हवाई उड़ान में समस्याएं आती रहती हैं। मई की घटना भी इसी वजह से हुई थी। आज हुए हादसे के पीछे भी खराब मौसम एक वजह रहा। कोहरे के कारण पूरी तरह से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। हाल यह था कि क्रैश के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान भी हल्की बर्फबारी होती रही।
केदारनाथ में पहले भी कई बार हेलिकॉप्टर हादसे हो चुके हैं। यहां सबसे बड़ा हादसा 25 जून 2013 को हुआ था, जब केदारनाथ में आई त्रासदी के बाद सेना का एक एमआई-17 हेलिकॉप्टर राहत और बचाव के काम में लगा था। इसी दौरान खराब मौसम और कोहरे के बीच गौरीकुंड और रामबाड़ा के बीच घनी पहाड़ियों में क्रैश हो गया। इस घटना में पायलट सहित 20 जवान शहीद हो गए थे।
ऐसे ही 2010 में केदारनाथ धाम में एक प्राइवेट हेलिकॉप्टर के पंखे से कटकर एक स्थानीय व्यक्ति की मौत हो गई। 2013 में 21 जून को एक प्राइवेट हेलिकॉप्टर गरुड़चट्टी के पास पहाड़ी से टकराकर क्रैश हो गया।केदारनाथ में पहले भी कई बार हेलिकॉप्टर हादसे हो चुके हैं। यहां सबसे बड़ा हादसा 25 जून 2013 को हुआ था, जब केदारनाथ में आई त्रासदी के बाद सेना का एक एमआई-17 हेलिकॉप्टर राहत और बचाव के काम में लगा था। इसी दौरान खराब मौसम और कोहरे के बीच गौरीकुंड और रामबाड़ा के बीच घनी पहाड़ियों में क्रैश हो गया। इस घटना में पायलट सहित 20 जवान शहीद हो गए थे। 2013 में एमआई हेलिकॉप्टर के क्रैश के बाद 24 जुलाई को केदार घाटी में एक हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया। इसमें एक कोपायलट और एक इंजिनियर की मौत हो गई थी। अप्रैल 2018 को सेना का एमआई-17 बिजली के तार से उलझकर क्रैश हो गया। 23 सितंबर 2019 को केदारनाथ में हेलिपैड पर यूटी एयर हेली कंपनी का हेलिकॉप्टर टेक ऑफ करते हुए क्रैश हो गया।