अब आने वाले समय में मालदीव के राष्ट्रपति भारत आने वाले हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या अब मालदीव के राष्ट्रपति का चीन से भरोसा उठ गया है और क्या वो अब भारत पर भरोसा करने लगे हैं? आज हम आपको इसी बारे में पूरी जानकारी देंगे!
आपको बता दें कि इस महीने मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू अपनी पहली आधिकारिक यात्रा पर भारत आ रहे हैं। इससे पहले भारत और मालदीव के बीच कुछ गलतफहमियां दूर हुई हैं। भारत ने मालदीव से अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है। इससे दोनों देशों के रिश्तों में सुधार आया है। भारत और मालदीव के रिश्ते पहले से बेहतर हुए हैं। भारत ने अपने सैन्य कर्मियों को वापस बुला लिया है। ये सैनिक भारत सरकार के राहत हेलीकॉप्टरों और विमानों का संचालन करते थे। इनकी जगह अब नागरिक कर्मचारी काम कर रहे हैं। इससे दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय दौरे फिर से शुरू हो गए हैं। मुइज्जू ने भारत से अपने सैनिकों को वापस बुलाने पर जोर दिया था। उन्होंने कहा था कि वह किसी भी देश को मालदीव की संप्रभुता में हस्तक्षेप करने या उसे कमजोर करने की अनुमति नहीं देंगे।
हालांकि, भारत और मालदीव के रिश्तों में आई नजदीकी चीन से दूरी बनाने की कीमत पर नहीं आई है। यह बात पिछले हफ्ते बीजिंग के साथ व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ावा देने के लिए किए गए समझौते से साफ है। इसके अलावा दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए बातचीत भी जारी है। श्रीलंका के दौरे पर, मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर ने भारत और चीन के साथ अपने देश के संबंधों के बारे में बात की। उन्होंने स्वीकार किया कि मुइज्जू द्वारा भारतीय सैनिकों को वापस भेजने के प्रयासों के बाद भारत के साथ संबंधों में चुनौतियां आई थीं। एक मालदीवियन अखबार ने जमीर के हवाले से कहा, ‘हमारी सरकार की शुरुआत में, हमें (भारत के साथ) कुछ खट्टे-मीठे अनुभव हुए, आप जानते हैं।’ उन्होंने कहा कि भारतीय सैनिकों की वापसी के बाद ये गलतफहमियां दूर हो गई हैं। दिलचस्प बात यह है कि जिस दिन मुइज्जू के कार्यालय ने भारत यात्रा की घोषणा की, उसी दिन मालदीव के मीडिया ने यह भी बताया कि इस साल की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने वाले दो मंत्रियों ने सरकार से इस्तीफा दे दिया है। जमीर ने कहा, ‘चीन और भारत दोनों के साथ हमारे अच्छे संबंध हैं और दोनों देश मालदीव का समर्थन करना जारी रखते हैं।’ उन्होंने ऐसे समय में दोनों देशों के समर्थन के लिए धन्यवाद दिया, जब अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट एजेंसियां देश के आर्थिक हालातों के बारे में चेतावनी दे रही थीं।
जमीर ने कहा कि मालदीव की आईएमएफ की मदद लेने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने अपने देश के सामने मौजूदा आर्थिक चुनौतियों को अस्थायी बताते हुए खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, ‘हमारे द्विपक्षीय साझेदार हैं जो हमारी आवश्यकताओं और हमारी स्थिति के प्रति बहुत संवेदनशील हैं। मुझे नहीं लगता कि यह ऐसा समय है, जहां हम अभी आईएमएफ के साथ जुड़ेंगे। हमारे सामने जो समस्या है वह बहुत अस्थायी है क्योंकि वर्तमान में हमारे भंडार में गिरावट आई है।’ यानी सीधी सी बात यह है कि मालदीव अब भारत के साथ भी रिश्ते अच्छा बनाना चाहता है! यही नहीं मालदीव के मीडिया आउटलेट अधाधू के साथ रविवार को एक विशेष साक्षात्कार में राष्ट्रपति मुइज्जू ने कहा कि लोगों ने उन्हें वोट दिया क्योंकि वे उनकी विदेश नीति में भरोसा करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि देश को शांति, विकास और सुरक्षा की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार की विदेश नीति सभी देशों के साथ मिलकर काम करने की है और यहां अस्थिरता के लिए कोई जगह नहीं है।
जब मुइज्जू से पूछा गया कि क्यों वे इंडिया आउट प्रस्ताव को निरस्त करेंगे, तो राष्ट्रपति ने सीधे तौर पर कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा, ‘मैंने अभी अपनी नीति, मालदीव सरकार की नीति बताई है। मैंने नीति को स्पष्ट कर दिया है।’ इस बीच इंडिया आउट आंदोलन के नेताओं में से एक पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने घोषणा की है कि अभियान जारी रहेगा, क्योंकि उन्हें विश्वास नहीं है कि भारतीय सैन्यकर्मी पूरी तरह से मालदीव से चले गए हैं। यामीन ने कहा है कि भारतीय सैन्य उपस्थिति का मुद्दा हल नहीं हुआ है और वे इंडिया आउट अभियान जारी रखेंगे। उन्होंने सत्ता में आने के बाद इंडिया आउट प्रस्ताव रद्द नहीं करने के लिए मुइज्जू सरकार पर हमला भी बोला। मुइज्जू की विपक्षी एमडीपी के अध्यक्ष और पूर्व विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने कहा कि इंडिया आउट अभियान लोगों को धोखा देने के लिए बनाया गया है। उन्होंने अभियान चलाने के लिए मुइज्जू सरकार से माफी की मांग की।