संविधान की बातें करने वाले ओवैसी क्यों पलटे अपनी बातों से?

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ओवैसी हमेशा संविधान की बातें करते रहते हैं! ऑल इंडिया मजलिस-ए इत्तेहादुल मुसलमीन AIMIM के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी को आप जिस किसी भी मंच से बोलते हुए सुनेंगे, बात-बात में संविधान, कानून, भाईचारा, सद्भाव, शांति जैसे शब्द आपके कानों तक पहुंच रहे होंगे। तास्सुब यह दिया जाता है कि चूंकि वो बैरिस्टर हैं, इसलिए संविधान और कानून उनके जेहन गहरे समाया है। वो हर वक्त कहते हैं कि भारत के संविधान में अटूट आस्था है। यह अलग बात है कि उसी संविधान का रक्षक देश का सर्वोच्च न्यायालय अगर उनकी उम्मीद के उलट फैसला दे दे तो ओवैसी आग उगलने से तनिक भी नहीं कतराते हैं। खैर, वो तो बयानों की बात है, चलता है। लेकिन क्या जमीन पर ओवैसी अलग हैं? यह सवाल पूछने के कई मौके आए, लेकिन हैदराबाद में इन दिनों जो चल रहा है, उसने अब तक का सबसे बड़ा मौका मुहैया कराया है कि पूछें- आखिर ओवैसी असल में हैं कौन?

हो क्या रहा है?

इस सवाल का कोई निर्णायक जवाब तो नहीं दिया जा सकता, लेकिन तथ्यों की पड़ताल से जवाब का एक सिरा तो पकड़ा जा ही सकता है। खैर, इसकी बात बाद में, पहले यह जान लें कि तेलंगाना पुलिस ने बीजेपी विधायक टी राजा सिंह को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्हें मंगलवार को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन कोर्ट से जमानत मिलने के बाद वो रिहा हो गए थे। कहा जा रहा है कि कुछ महीने पहले दर्ज हुए एक केस के सिलसिले में उन्हें गिरफ्तार किया गया है। कहा यह भी जा रहा है कि पुलिस ने उन्हें एहतियातन गिरफ्तार किया है क्योंकि 26 अगस्त (आज) को जुम्मा है। जुम्मे के दिन मस्जिदों में सामूहिक नमाज पढ़ने की परंपरा है, इस कारण मुस्लिम समुदाय लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है। टी राजा सिंह के खिलाफ इस समुदाय के एक-एक व्यक्ति के मन में पल रहा गुस्सा, भीड़ में कहीं बेकाबू न हो जाए, इस कारण पुलिस ने संदेश देने के लिए यह कार्रवाई की है। दूसरी तरफ, ऑल इंडिया मजलिस-ए इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बयान जारी कर अपील की है कि शुक्रवार को जुमे पर शांति कायम रखें। सवाल है कि गुस्साए लोग उपद्रव नहीं करें, यह सिर्फ राजा सिंह की गिरफ्तारी और ओवैसी की अपील से सुनिश्चित हो पाएगा? हैदराबाद में पिछले कुछ दिनों की गतिविधियों पर नजर डालेंगे तो इस सवाल का महत्व समझ में आ जाएगा।

दरअसल, तेलंगाना की गोशामहल विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक टी राजा सिंह के पैगंबर को लेकर दिए बयान पर हैदराबाद में हंगामा बरपा है। माहौल बिगड़ता देख विधायक को मंगलवार को ही गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन कुछ घंटों बाद ही उन्हें कोर्ट से जमानत मिल गई और वो रिहा हो गए। विरोध में सड़कों पर उतरे मुसलमानों की भीड़ उग्र हो गई और ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगातार बुलंद होने लगे। विरोध-प्रदर्शन की आड़ में कानून को हाथ में लेकर उपद्रव पर आमदा इस भीड़ की हिम्मत इतनी बढ़ गई कि पुलिस कमिश्नर के ऑफिस के बाहर भी ‘सर तन से जुदा’ के नारे गूंज उठे। एक बार सोचिए, यह तालिबानी नारा सड़कों पर खुलेआम लगाया जा रहा है, बिना डरे, बेहिचक। और टी राजा सिंह पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग करने वाले राजनीतिक दल AIMIM के कार्यकर्ताओं से नेताओं तक का इसके प्रति क्या रुख है, यह भी जान लीजिए। यह जानना इसलिए जरूरी है कि एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी का हैदराबाद में काफी रसूख है।

तो आइए बात करते हैं असदुद्दीन ओवैसी की। जो ओवैसी मीडिया के सामने ‘सर तन से जुदा’ के नारे की भर्त्सना करते हैं और यह नारा लगाने वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी सजा की मांग करते दिखते हैं, उन्होंने रातोंरात उपद्रवियों को ना सिर्फ पुलिस से छुड़ाया बल्कि ट्वीट कर अपनी पीठ भी खुद ही थपथपा ली। उन्होंने ट्वीट करके बताया कि हिरासत में लिए गए 90 लड़कों को छुड़ा लिया। दरअसल, तीन-चार दिनों से हैदराबाद की सड़कों पर तालिबानी नारों के बीच बेहद तनावपूर्ण माहौल में तैनात पुलिस और रैपिड ऐक्शन फोर्स (RAF) के जवानों का सब्र बुधवार रात को टूट गया जब कुछ उपद्रवियों ने उनकी तरफ पत्थरबाजी शुरू कर दी। भीड़ के हिंसक हो उठने की आशंका में रैफ जवानों ने उपद्रवियों को खदेड़ना शुरू किया और जो हाथ लगे, उन्हें पकड़कर थाने पहुंचा दिया गया। फिर क्या था, हर बात में संविधान, कानून, बाबा साहब आंबेडकर की दुहाई देने वाले हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ऐक्टिव हो गए। उन्होंने अपनी फौज मौके पर भेज दी। उनके पार्षद मुस्तफा अली मुजफ्फर शाह उपद्रवियों को छुड़ाने के लिए पूरे दलबल के साथ मैदान में उतर गए। वो सभी पुलिस से भिड़ने लगे। सभी ने पुलिस पर आंखें तरेंरी और धौंस जमाकर उपद्रवियों को उनसे छुड़ाकर ले जाने की भरपूर कोशिशें कीं। उनके प्रयासों से जो उपद्रवी छूट पाए, छूटे और जिन्हें थाने ले जाया गया, उन्हें खुद असदुद्दीन ओवैसी ने छुड़वाया। उन्होंने रात में ही पुलिस कमिश्नर को फोन किया और कमाल देखिए- फोन आते ही 90 उपद्रवी छोड़ दिए गए।

दरअसल, नेताओं का चाल, चरित्र और चेहरा किसी को समझ में नहीं आता, उनकी कथनी और करनी में कितना अंतर होगा, इसकी माप का भी कोई पैमाना आज तक नहीं बन सका। सार्वजनिक तौर पर देश-समाज के उत्थान की बात करने वाले, बात-बात में संविधान और कानून का हवाला देने वाले नेता पर्दे के पीछे कैसे-कैसे खेल कर दें, इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता है। हमारे देश में ऐसे नेताओं की कोई कमी नहीं है जिन पर ‘मुंह में राम, बगल में छुरी’ की

कहावत बिल्कुल फिट बैठती है। ऊपर की कारगुजारियां देखकर कोई भी समझ सकता है कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के चीफ और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ऐसे नेताओं की अग्रिम पंक्ति में खड़ा हैं।