कर्नाटक जैसे राज्य में सावरकर हमेशा से ही चर्चा का विषय रहे हैं! कर्नाटक में बीडी सावरकर को लेकर एक बार फिर विवाद छिड़ गया है। दो दिन पहले पूर्व सीएम येदियुरप्पा ने सावरकर रथ यात्रा का शुभारंभ किया। इसके पीछे सावरकर को लेकर जागरूकता फैलाने का मकसद बताया गया। इस दौरान येदियुरप्पा ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सावरकर को लेकर कही गई बात का जिक्र कर कांग्रेस पर निशाना भी साधा। येदियुरप्पा ने कहा कि इंदिरा गांधी ने सावरकर को भारत का महान सपूत बताया था। अब हिंदूवादी संगठन ऐलान कर रहे हैं कि गणेश चतुर्थी के मौके पर सावरकर की तस्वीर लगाई जाएगी। इसके लिए बाकायदा पोस्टर भी जारी किए गए हैं जो प्रशासन के लिए भी चुनौती बना हुआ है।
कैसे शुरू हुआ सावरकर पोस्टर विवाद?
सावरकर को लेकर कर्नाटक में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर शुरू हुआ जब शिवमोगा में हिंदू संगठन की ओर से सावरकर को पोस्टर लगाए गए। 15 अगस्त को शिवमोगा के अमीर अहमद सर्कल में हिंदू संगठन के लोगों ने वीर सावरकर का पोस्टर लगाया था। इसके बाद टीपू सुल्तान सेना ने विरोध किया और अपना झंडा लेकर पहुंच गए। दूसरे गुट ने टीपू सुल्तान के पोस्टर लगाने की कोशिश की। दोनों गुटों के बीच झड़प हो गई जिसमें एक 20 वर्षीय युवक प्रेम सिंह घायल हो गया।विवाद रोकने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। बाद में सावरकर की तस्वीर भी हटा दी गई। इलाके में तनाव को देखते हुए पूरे शहर में धारा 144 लगा दी गई। अगले दिन यहां के तुमकुरु शहर में वीर सावरकर के पोस्टर फाड़े गए।
सूरतकल और उडुपी में हिंदू महासभा की ओर से हिंदू राष्ट्रवादियों के विवादास्पद पोस्टर लगाए गए। उडुपी में भी अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक पोस्टर लगाया था जिसमें सावरकर और सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर थी और जय हिंदू राष्ट्र लिखा हुआ था। यह बैनर उडुपी के चर्चित ब्रह्मगिरी सर्कल में लगाया गया था। हिंदू महासभा की ओर से सफाई दी गई कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की बधाई देने के लिए पोस्टर लगाए गए थे जिसे बाद में हटा दिया गया।
18 अगस्त को मेंगलुरु सिटी कॉर्पोरेशन ने हिंदू महासभा की ओर से लगाए गए पोस्टर्स हटाए जिनमें नाथुराम गोडसे और सावरकर की तस्वीर थी। 20 अगस्त को उडुपी के अज्जरगढ़ स्थित वार मेमोरियल में सावरकर और बोस की तस्वीरों वाला पोस्टर लगाया गया था।विवाद बढ़ते देख दक्षिण कन्नड़ के जिला प्रशासन ने जिले से सभी विवादित पोस्टरों को हटाने के आदेश दिए थे। प्रशासन ने स्थानीय निकाय और ग्राम पंचायत के अधिकारियों को पुलिस की मदद से सभी पोस्टर हटाने को कहा।
22 अगस्त को देवनागरी में हिंदू महासभा गौरी गणेश सेवा समिति की ओर से पोस्टर लगाए गए। इसमें भगवान गणेश को बीच में रखते हुए बाल गंगाधर तिलक और वीर सावरकर की तस्वीरें लगाई गईं। साथ ही ऐलान किया गया कि गणेश पंडालों में सावरकर की तस्वीरें भी लगाई जाएंगी। समिति के अध्यक्ष राकेश रामामूर्ति ने कहा कि हमने गणेश चतुर्थी के पोस्टरों पर तिलक और सावरकर की तस्वीरों को शामिल किया है। कुछ शरारती तत्व इसका विरोध कर रहे हैं लेकिन हमें इसकी परवाह नहीं है। यह भी कहा गया कि राज्य में कम से कम 15 हजार जगहों पर वीर सावरकर और तिलक के पोस्टर लगाए जाएंगे।विवाद के बीच ही कर्नाटक की श्रीराम सेना के प्रमुख प्रमोद मुथालिक का आपत्तिजनक बयान सामने आया। उन्होंने कहा कि अगर किसी ने सावरकर के पोस्टर को छुआ तो उसके हाथ काट दिए जाएंगे।
इतना ही नहीं कर्नाटक के विजयपुरा जिले में कांग्रेस के रीजनल हेड ऑफिस में भी सावरकर की तस्वीरें लगाई गईं। बीजेपी जिला यूथ प्रेसिडेंट बसवराज हूगरा ने कहा कि उनके कार्यकर्ताओं ने ही ये पोस्टर लगाए हैं। उन्होंने कहा कि ‘हुबली में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सावरकर की तस्वीरें जलाई थीं। कांग्रेस बार-बार मुद्दे खड़े कर रही है। तस्वीरें लगाना तस्वीरें जलाने से तो बेहतर है।सावरकर की इज्जत कीजिए। उनके इतिहास के बारे में पढ़िए।’
विनायक दामोदर सावरकर इतिहास की विवादित शख्सियत के रूप में शुमार रहे हैं। वह एक ऐसा चेहरा हैं जिन्हें उनके समर्थक हीरो तो वहीं उनके आलोचक विलेन मानते हैं। इतिहास सावरकर को स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, वकील, समाज सुधारक और हिंदुत्व का अग्रणी चेहरा बताता है। उन्हें हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना का जनक भी कहा जाता है। एक पक्ष सावरकर को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का मुख्य सेनानी और क्रांतिकारी बताता है जबकि दूसरा पक्ष सावरकर की कट्टर हिंदुवादी विचारधारा के लिए आलोचना करता है। साथ ही उन पर अंग्रेजों से माफी मांगने और पेंशन लेने का आरोप लगाता है।