हाल के दिनों में शपथ ग्रहण करते समय मलिकार्जुन खरगे भावुक नज़र आए! चेहरे में गंभीरता, एकटक निहारती आंखें, हाथों में जिम्मेदारी का प्रमाण पत्र और दोनों तरफ गांधी परिवार… कांग्रेस के नए बॉस की यह आज की तस्वीर है। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में जीते मल्लिकार्जुन खरगे ने आज औपचारिक रूप से पदभार संभाल लिया। जिस वक्त मुस्कुराते हुए पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री उन्हें प्रमाण पत्र सौंप रहे थे, दोनों छोर पर खड़े पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत सभी मुस्कुरा रहे थे लेकिन खरगे का चेहरा शांत था। शायद उन्हें जिम्मेदारी का अनुभव हो रहा होगा। उन्हें यह पद ऐसे समय में मिला है जब कांग्रेस की हालत पतली है। लगातार चुनावों में वह हार रही है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से मुकाबला करने के लिए उसके पास फिलहाल कोई रणनीति नहीं दिख रही है। शाह-मोदी की भाजपा की सफल जोड़ी को टक्कर देने की जिम्मेदारी सबसे पुरानी पार्टी ने दक्षिण के दिग्गज दलित नेता मल्लिकार्जुन खरगे के कंधों पर डाली है। सुबह-सुबह महात्मा गांधी और नेहरू को यादकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के ‘सोलिल्लादा सरदारा’ मल्लिकार्जुन खरगे ने अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाल ली। एस निजालिंगप्पा के बाद वह अखिल भारतीय कांग्रेस के अध्यक्ष बनने वाले कर्नाटक के दूसरे नेता हैं। सियासी जानकारों की मानें तो आज के समय में कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी ‘कांटों का ताज’ से कम नहीं है।
खरगे की ट्विटर प्रोफाइल में कांग्रेस अध्यक्ष का पद जुड़ चुका है। कांग्रेस पार्टी के ट्विटर हैंडल से अध्यक्ष लिखा जाना शुरू हो गया है। इस बीच, मल्लिकार्जुन खरगे ने सोनिया के साथ एक तस्वीर शेयर करते हुए कहा है कि वह हमेशा हमारी शक्ति का स्रोत बनी रहेंगी।कांग्रेस पार्टी ने नए अध्यक्ष की ताजपोशी के लिए ‘पार्टी रीलॉन्च’ जैसा इवेंट आयोजित किया था। प्रदेश के मुख्यमंत्रियों, दिग्गज नेताओं के अलावा दक्षिण में भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे राहुल गांधी भी दिल्ली पहुंचे। जबकि चुनाव के समय मतदान उन्होंने वहीं कैंप में दिया था। शायद राहुल गांधी नए कांग्रेस चीफ के पद संभालने को पूरी तवज्जो देना चाहते थे। इस मौके पर सोनिया गांधी ने कहा, ‘मैं बहुत प्रसन्न हूं। सबसे अधिक संतोष इस बात का है कि आपने नेता अपने-अपने विवेक से जिन्हें खरगे को अध्यक्ष चुना है, वह एक अनुभवी नेता हैं, धरती से जुड़े हुए नेता हैं, अपनी मेहनत और समर्पण से एक साधारण कार्यकर्ता से इस ऊंचाई तक पहुंचे हैं।’
आगे जिम्मेदारियों का एहसास कराते हुए सोनिया गांधी ने कहा, ‘सच कहूं तो मैं राहत महसूस कर रही हूं। आपने इतने वर्षों तक जो प्यार, सम्मान दिया है, यह मेरे लिए गौरव की बात है। मुझे इसका अहसास जीवन की आखिरी सांस तक रहेगा। यह सम्मान बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी। अपनी योग्यता और क्षमता के अनुसार जितना बन पड़ा, उतना किया। इस दायित्व से मुक्त हो जाऊंगी और यह भार मेरे सिर से उतर जाएगा और इसलिए राहत महसूस कर रही हूं। अब यह जिम्मेदारी खरगे जी के ऊपर आ गई है।’
भाजपा खरगे की उम्मीदवारी की घोषणा के समय से ही आरोप लगाती रही है कि वह गांधी परिवार के ‘रबर स्टांप’ की तरह ही काम कर पाएंगे। ऐसे में खरगे के सामने सबसे बड़ी चुनौती गांधी परिवार की छाया से पार्टी को निकालकर पुराने नरैटिव को झुठलाने की होगी। वैसे, खरगे कह चुके हैं कि गांधी परिवार की एक अहम भूमिका बनी रहेगी।दरअसल, जब 2004 में मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बने तो उसके बाद कई फैसलों और सरकार के रवैये से देश में यही संदेश गया कि तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास सत्ता का केंद्र है और मनमोहन सरकार पार्टी के प्रति जवाबदेह है। मनमोहन के सलाहकार संजय बारू के हवाले से मीडिया में यहां तक खबर आई थी कि सरकार में सोनिया गांधी का दखल इस हद तक था कि 2009 में सत्ता वापसी के बाद उन्होंने मनमोहन से पूछे बिना प्रणव मुखर्जी को वित्त मंत्री पद ऑफर कर दिया था जबकि मनमोहन चाहते थे कि सीवी रंगराजन को वित्त मंत्री बनाया जाए। बारू का मानना था कि सोनिया का पीएम पद स्वीकार न करना एक राजनीतिक रणनीति थी। ऐसी बातें गांधी परिवार के किसी सदस्य की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष पद स्वीकार करने को लेकर न हो, खरगे को यह भी देखना होगा।
दूसरी तरफ राजस्थान में पार्टी की अंदरूनी कलह को शांत करना चुनौती होगी। 2024 लोकसभा चुनाव से पहले लगातार विधानसभा चुनाव शुरू हो रहे हैं। ऐसे में ‘नई कांग्रेस’ के रहनुमा के तौर पर वह कितना कामयाब हो पाते हैं, इस पर सबकी नजरें होंगी। हर चुनाव को खरगे के टेस्ट की तरह लिया जाएगा, उन्हें इसके लिए तैयार रहना होगा।
कांग्रेस अध्यक्ष का कार्यभार संभालने के बाद खरगे ने ऐलान किया कि उदयपुर संकल्प पत्र के तहत पार्टी के 50 फीसदी पद 50 साल से कम उम्र के लोगों को सौंपने के प्रस्ताव पर अमल किया जाएगा। खरगे ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ शुरू करने के लिए राहुल गांधी की तारीफ की। साथ ही कहा कि यह यात्रा देश में नई ऊर्जा का संचार कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस झूठ और नफरत के चक्र को तोड़ेगी, मैं उन लोगों से साथ आने की अपील करता हूं जो पार्टी से नहीं जुड़े हैं लेकिन लोकतंत्र को बचाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे मालूम है कि यह एक मुश्किल समय है, कांग्रेस द्वारा स्थापित लोकतंत्र को बदलने के प्रयास किए जा रहे हैं।अपने पांच दशकों से अधिक के राजनीतिक जीवन में खरगे सत्ता के तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद गांधी परिवार के प्रति पूरी दृढ़ता के साथ वफादार बने रहे। अब वफादारी से अलग कांग्रेस को आगे ले जाने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आई है।