यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल क्यों बनाई गई है! इन दिनों बॉलीवुड फ़िल्म ‘द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल’ को लेकर काफी चर्चा है। इस फ़िल्म का सेंसरशिप तो हो चुका है लेकिन सेंसर बोर्ड इस फ़िल्म को रिलीज करने के लिए सर्टिफिकेट नहीं दे रहा है। फिल्म के मेकर्स और डायरेक्टर सेंसर बोर्ड के चक्कर लगा लगाकर थक चुके हैं लेकिन सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी या उनकी टीम से कोई भी इस फ़िल्म को लेकर कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं। Waseem Rizvi से जब पूछा गया कि सेंसर बोर्ड आखिर क्यों नहीं दे रही सर्टिफिकेट, तो उन्होंने वीडियो के जरिए जवाब दिया, ‘पाकिस्तान से जब फतवा जारी किया गया, उसके बाद हमने शिकायत दर्ज कराई है। पाकिस्तान की कट्टरपंथी संगठने चाहती हैं कि हम हार मान लें। वो चाहर रहे हैं कि हम फिल्म को रिलीज ना करें और सौदेबाजी कर लें। सबसे अहम बात फतवे में ये कि उसमें ममता बनर्जी को पाकिस्तान के लिए अच्छी हुकुमत बताया गया है। ममता बनर्जी जिस तरह के विवाद को जन्म दे रही हैं, वो इस देश के लिए खतरा है।’बात सिर्फ ये है कि बात अगर उठाई जा रही है तो उसकी कुछ न कुछ असलियत है। हमारी फिल्म शहजहां शेख जैसे किरदारों के ऊपर बनी हुई है। बंगाल में केवल एक शहजहां शेख नहीं, बंगाल में बीसों शहजहां शेख हैं। चर्चित होने का कोई इसमें मसला नहीं है। हमारी बात को, हमारे विषय को कमजोर करने के लिए ऐसी बात की जाती है।’ इसके बाद वसीम रिजवी ने कहा, ‘आप ये नहीं कह सकते कि ये फिल्म ममता बनर्जी को ध्यान में रखकर बनाई गई है। ये फिल्म दिखाती है कि बंगाल में हिंदुओं की क्या स्थिति है। रोहिंग्या को किस तरह से सरकारी सहूलियत दी जा रही है। ये फिल्म ऐसे परिवार पर बनी है जो बंगलादेश से भारत इस मकसद से आए हैं कि उनको यहां कि नागरिकता मिल जाएगी। ये बंगलादेश में हुए दंगों के वक्त पीड़ित परिवार है। फिल्म की कहानी इस बारे में है न कि ममता बनर्जी के ऊपर बनी है।’
फिल्ममेकर से जब पूछा गया कि क्या चर्चे में आने के लिए जान-बूझकर बनाई जाती हैं ऐसी फिल्में, इस पर उन्होंने कहा, ‘जब भी कोई मु्द्दा उठाया जाता है तो उसे कमजोर करने के लिए कहा जाता है कि ये विवादित है और ये चर्चा में आने के लिए उठाया गया है। बात सिर्फ ये है कि बात अगर उठाई जा रही है तो उसकी कुछ न कुछ असलियत है। हमारी फिल्म शहजहां शेख जैसे किरदारों के ऊपर बनी हुई है। बंगाल में केवल एक शहजहां शेख नहीं, बंगाल में बीसों शहजहां शेख हैं। चर्चित होने का कोई इसमें मसला नहीं है। हमारी बात को, हमारे विषय को कमजोर करने के लिए ऐसी बात की जाती है।’
फ़िल्म ‘द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल’ पश्चिम बंगाल में रोहिंज्ञाओं के अवैध प्रवास और हिंदुओं के उत्पीड़न पर आधारित एक पीरियड ड्रामा फ़िल्म है।बता दें कि उसमें ममता बनर्जी को पाकिस्तान के लिए अच्छी हुकुमत बताया गया है। ममता बनर्जी जिस तरह के विवाद को जन्म दे रही हैं, वो इस देश के लिए खतरा है।’ इसके बाद वसीम रिजवी ने कहा, ‘आप ये नहीं कह सकते कि ये फिल्म ममता बनर्जी को ध्यान में रखकर बनाई गई है। ये फिल्म दिखाती है कि बंगाल में हिंदुओं की क्या स्थिति है। रोहिंग्या को किस तरह से सरकारी सहूलियत दी जा रही है। ये फिल्म ऐसे परिवार पर बनी है जो बंगलादेश से भारत इस मकसद से आए हैं कि उनको यहां कि नागरिकता मिल जाएगी। इसमें देश के एक सबसे बड़े कंट्रोवर्शियल मुद्दे को उठाकर इस फ़िल्म के निर्माता वसीम रिजवी और फ़िल्म के निर्देशक सनोज मिश्रा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से अनचाहे ही बैर मोल ले लिया है। इनके खिलाफ पाकिस्तान के करांची स्थित एक आतंकवादी संगठन ने फतवा तक जारी कर दिया है और फ़िल्म को रिलीज ना करने की धमकी दे रखी है। इस फ़िल्म में यजुर मारवाह, अर्शिन मेहता गौरी शंकर , जितेंद्र नारायण सिंह, अल्फिया शेख, दीपक कम्बोज, देव फौजदार, गरिमा कपूर, रीना भट्टाचार्य, डॉक्टर रामेंद्र चक्रवर्ती, नरेश शर्मा, अवध अश्विनी, रॉनव वर्मा, आशीष राजपूत, अभिषेक मिश्रा, मयूर, अनुज दीक्षित, अनिल अंजुलीन, दीपक सुथा, श्रीवन आदर्श, नित महल और प्रीति शुक्ला भी हैं।