आने वाले समय में भारत के खेमे में एडवांस्ड ड्रोन शामिल होने वाले हैं! अमेरिका से भारत को 31 MQ-9B ड्रोन मिलने को लेकर जो कंफ्यूजन दिख रहा था वह दूर हो गया है। अमेरिकी सरकार ने भारत को ड्रोन बेचने को मंजूरी दे दी है। अमेरिका की डिफेंस सिक्योरिटी कोऑपरेशन एजेंसी ने इससे जुड़ा सर्टिफिकेट जारी कर इसे अमेरिकी कांग्रेस को नोटिफाई भी कर दिया है। यह डील करीब 3.99 बिलियन डॉलर की होगी। MQ-9B हाई एल्टीट्यूट लॉग एंड्योरेंस आर्म्ड अनमैन्ड एरियल वीइकल है। यानी यह लंबे वक्त तक हवा में रह सकता है और बेहद ऊंचाई में काम कर सकता है और यह रिमोटली ऑपरेट होता है। अमेरिकी कांग्रेस अब इस प्रस्तावित बिक्री का रिव्यू करेगी और इसके लिए उसके पास 30 दिन का वक्त है। अमेरिकी कांग्रेस के रिव्यू के बाद अमेरिका और भारत के बीच यह डील की जाएगी। जब कॉन्ट्रैक्ट हो जाएगा उसके तीन साल बाद यूएवी की डिलीवरी शुरू होगी। भारत को मिलने वाले 31 ड्रोन आर्म्ड होंगे और डील में ड्रोन के अलावा 170 एजीएम-114R हेलिफायर मिसाइल, 16 M36E9 हेलिफायर कैपटिव एयर ट्रेनिंग मिसाइल, 310 GBU-39B लेजर स्मॉल डायामीटर बॉम्ब, 8 GBU-39B गाइडेड टेस्ट वीइकल और लाइव फ्यूज भी शामिल होंगे। पिछले साल जून में रक्षा मंत्रालय ने अमेरिका से 31 MQ-9B यूएवी लेने को मंजूरी दी थी। अमेरिकी कंपनी जनरल अटॉमिक्स से 31 यूएवी लिए जाने हैं।जिससे भारत की स्वदेशी इंडस्ट्री को भी आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। इंडियन नेवी ने 2020 में जनरल अटोमिक्स से दो प्रीडेटर ड्रोन लीज पर लिए थे, जो अभी भी नेवी के पास हैं। इसकी अहमियत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जब लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर चीन के साथ तनाव चरम पर था तब प्रीडेटर ड्रोन को निगरानी के लिए वहां भेजा गया था। इनमें से 15 सी-गार्डियन हैं जो इंडियन नेवी को मिलेंगे और 16 स्काई गार्डियन हैं।इंडियन ओशन रीजन यानी हिंद महासागर रीजन की जिम्मेदारी नेवी के पास है। भारत की साइज से करीब तीन गुना बढ़े हिंद महासागर रीजन पर निगरानी रखना एक चुनौती भरा टास्क है। क्योंकि ईस्ट कोस्ट से करीब 5000 किलोमीटर आगे तक तो वेस्ट कोस्ट से करीब 8000 किलोमीटर आगे तक की पूरी निगरानी करनी होती है। लगातार निगरानी नहीं रखी जाएगी तो पता नहीं चलेगा कि दुश्मन के शिप की क्या मूवमेंट है। अमेरिका से 31 MQ-9B यूएवी लेने को मंजूरी दी थी। इन 16 में से 8 इंडियन आर्मी को मिलेंगे और 8 इंडियन एयरफोर्स को।जनरल अटोमिक्स से दो प्रीडेटर ड्रोन लीज पर लिए थे, जो अभी भी नेवी के पास हैं। इसकी अहमियत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जब लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर चीन के साथ तनाव चरम पर था तब प्रीडेटर ड्रोन को निगरानी के लिए वहां भेजा गया था। G20 लीडरशिप समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी प्रेजिडेंट जो बाइडन के बीच हुई बातचीत में भी इस डील को लेकर चर्चा हुई थी।
ड्रोन भारत में ही असेंबल किए जाएंगे। ड्रोन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी जनरल अटोमिक्स भारत में ग्लोबल मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरऑल फैसिलिटी भी बनाएगी। जिससे भारत की स्वदेशी इंडस्ट्री को भी आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। इंडियन नेवी ने 2020 में जनरल अटोमिक्स से दो प्रीडेटर ड्रोन लीज पर लिए थे, जो अभी भी नेवी के पास हैं। इसकी अहमियत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जब लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर चीन के साथ तनाव चरम पर था तब प्रीडेटर ड्रोन को निगरानी के लिए वहां भेजा गया था।
इंडियन ओशन रीजन यानी हिंद महासागर रीजन की जिम्मेदारी नेवी के पास है। भारत की साइज से करीब तीन गुना बढ़े हिंद महासागर रीजन पर निगरानी रखना एक चुनौती भरा टास्क है। क्योंकि ईस्ट कोस्ट से करीब 5000 किलोमीटर आगे तक तो वेस्ट कोस्ट से करीब 8000 किलोमीटर आगे तक की पूरी निगरानी करनी होती है। लगातार निगरानी नहीं रखी जाएगी तो पता नहीं चलेगा कि दुश्मन के शिप की क्या मूवमेंट है। अमेरिका से 31 MQ-9B यूएवी लेने को मंजूरी दी थी। अमेरिकी कंपनी जनरल अटॉमिक्स से 31 यूएवी लिए जाने हैं। इनमें से 15 सी-गार्डियन हैं जो इंडियन नेवी को मिलेंगे और 16 स्काई गार्डियन हैं। इन 16 में से 8 इंडियन आर्मी को मिलेंगे और 8 इंडियन एयरफोर्स को। G20 लीडरशिप समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी प्रेजिडेंट जो बाइडन के बीच हुई बातचीत में भी इस डील को लेकर चर्चा हुई थी।हिंद महासागर रीजन से ही भारत की ऊर्जा जरूरतों और कमर्शल सामान का ट्रांसपोर्ट होता है। दूसरे देशों की प्राइमरी एनर्जी की जरूरत यहीं से होकर जाती है। हिंद महासागर रीजन की निगरानी में नेवी को मिलने वाले नए 15 प्रीडेटर ड्रोन अहम होंगे।