यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या बॉलीवुड के डायरेक्टर का पद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संभालेगा या नहीं! हॉलिवुड में AI के खिलाफ चली लंबी हड़ताल के बावजूद बीते एक साल में AI का प्रभाव भी खूब बढ़ा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से कई शॉर्ट फिल्मों का लेखन-निर्देशन हुआ है। हाल ही में दुनिया की पहली AI जनरेटेड फिल्म ‘नेक्स्ट स्टॉप पेरिस’ का ट्रेलर लॉन्च हुआ है। AI को फिल्म मेकिंग के विभिन्न पहलुओं में जिस तरह से इस्तेमाल किया जा रहा है, उसके बाद बहस जोर पकड़ चुकी है कि क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डायरेक्टर की कुर्सी हथिया लेगा? एक पड़ताल। हाल ही में ‘एवेंजर्स: इन्फिनिटी वॉर’ और ‘एवेंजर्स:एंडगेम’ के निर्देशक जोई रूसो ने कहा कि वो दिन दूर नहीं जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लाइट,कैमरा एक्शन बोल कर फिल्मों के डायरेक्शन की बागडोर संभाल लेगा। रूसो ब्रदर ने साफ-साफ कहा, ‘आज की GEN Z (1997 और 2012 के बीच पैदा हुई जनरेशन) के लिए नई तकनीक बहुत मायने रखती है। संभावना यही है कि आगे दो साल में AI का उपयोग फिल्मों में भी बढ़-चढ़कर होगा। AI टेक्नोलॉजी की एक कमांड पर मुझे और मर्लिन मुनरो को लेकर बनाई जा सकेगी फिल्म।’ उस वक्त भी कम हंगामा नहीं हुआ था, जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा लिखित और निर्देशित फिल्म ‘द सेफ जोन’ chatGPT की मदद से बनाई गई थी। हाल ही में दुनिया की पहली AI जनरेटेड फिल्म ‘नेक्स्ट स्टॉप पेरिस’ भी खूब चर्चित रही। सिटाडेल’ से चर्चा में आए रूसो ने AI पर अपनी चिंता जाहिर की। हॉलीवुड ही क्यों बॉलिवुड के भी कई निर्देशक AI को लेकर फिक्रमंद नजर आते हैं। डायरेक्टर अली अब्बास जफर ने AI को एक चुनौती का नाम देते हुए कहा है कि यह किसी दानव से कम नहीं और हमें इसका सामना करना होगा। वहीं, फिल्मकार विक्रमादित्य मोटवाने का कहना है, ‘निश्चित रूप से एक खतरा है, एक अस्तित्वगत खतरा। AI कमाल की चीजें भी कर सकता है और आपकी फिल्म का बजट भी कम कर सकता है। यह फिल्म मेकिंग की और भी कई चीजें करने में सक्षम है। यह भी सच है कि इसके बाद बहुत से लोगों की नौकरी जा सकती है। इसलिए, हमें एक संतुलन बनाना होगा। मैंने निजी तौर पर इसका इस्तेमाल नहीं किया और मैं ऐसा नहीं करना चाहता। शायद मैं इस मामले में थोड़ा पुराने जमाने का हूं।’
विजुअल इफेक्ट्स के अलावा राइटिंग में तो AI का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो ही रहा है और भविष्य में फिल्म निर्माण के अन्य डिपार्टमेंट में इसकी घुसपैठ बढ़ती जाएगी। ऐसे में आनंद एल राय जैसे जाने-माने निर्देशक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ कदमताल करने को तैयार हैं। वे कहते हैं, ‘नहीं मुझे नहीं लगता कि AI निर्देशक के लिए कोई खतरा हो सकता है। अंततः ये ह्यूमन इंटेन्ड से आगे जाने की ताकत नहीं रखता। इसे अपना कम्पटीशन मानने के बजाय अपना साथी मान लीजिए। हमें AI की तकनीक को समझना होगा। मैं इसे अपना ऑपोजिशन नहीं मान रहा, मैं समझ रहा हूं। किसी भी तकनीक के जरिए खुद को अपग्रेड तो करना ही चाहिए। मैं इसे सीखूंगा और ये मेरा हिस्सा बनेगी। ये मेरी फिल्म मेकिंग का एक साथी होगा, जो मेरी फिल्म को बेहतर दिखाएगा। आखिरकार हमें ये समझने की जरूरत है कि AI को कमांड देने वाले हम इंसान ही होंगे।’ वहीं निर्देशक विशाल भारद्वाज भी आनंद एल राय से इत्तेफाक रखते हुए कहते हैं, ‘मैं AI को आजमाना चाहता हूं। हमें इससे लड़ने के बजाय इसको अडॉप्ट करना होगा। कंप्यूटर के आने के बाद भी सभी को लगा था कि नौकरियां चली जाएंगी, लेकिन आज इंसान मशीन पर काम कर रहा है। यदि AI इतना ही स्मार्ट होता, तो वे अगले शेक्सपियर या टैगोर बन जाते।मगर हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि ये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है, ये मानव मस्तिष्क से मेल नहीं खा सकता। आपको कभी भी उस तरह के रिजल्ट्स नहीं मिल सकते।’
AI जनरेटेड फिल्म नेक्स्ट स्टॉप पेरिस के ट्रेलर लॉन्च के बाद ट्रेलर को काफी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा। लोगों का कहना था कि AI की मदद से बनाई गई इस फिल्म में सुधार की काफी गुंजाइश है। फिल्म निर्माण वर्व डिजिटल टेक्नॉलजी के AI एक्सपर्ट और वीएफएक्स प्रॉड्यूसर रूपेश गुजर टाइटैनिक 3D, ट्रांसफॉर्मर, रोडसाइड जैसी हॉलीवुड की तकरीबन 50 फिल्में और बॉलिवुड में श्रीकांत कर चुके हैं। वे कहते हैं, ‘मैं मानता हूं कि फिल्म निर्माण एक रचनात्मक प्रक्रिया है, जिसमें मानव भावना, सांस्कृतिक समझ, और व्यक्तिगत दृष्टिकोण की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और जब हम AI की बात करते हैं, तो उसे ह्यूमन इंटेलिजेंस की जरूरत है। मगर इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि यह निर्देशकों के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। थोड़ा कम अनुभव वाला निर्देशक एक अनुभवी निर्देशक की तुलना में AI की मदद से बेटर निर्देशक बन सकता है। हालांकि AI को ड्राइव करने के लिए भी किसी व्यक्ति की जरूरत है। आप उसे सही कमांड देंगे, तो वो सही रिजल्ट देगा। मेरे हिसाब से इस टेक्नॉलजी को अपना कर निर्देशक अपने काम में और तेजी ला सकता है। आपको इस तकनीक को अडॉप्ट करना ही होगा, वरना हो सकता है, आपसे कम अनुभव वाला बंदा या फिर कोई नौसिखिया आपसे आगे निकल जाए।’
कोई मिल गया, थ्री इडियट्स, धमाका, रुद्र (सीरीज), फुकरे 3 जैसी अनेकों फिल्मों में वीएफक्स क्रिएटिव हेड के रूप में काम कर चुके राजीव राजशेखरन कहते हैं, ‘यों देखा जाए, तो फिल्म मेकिंग से जुड़े लेखन, कैमरामैन और अन्य तकनीकी डिपार्टमेंट से जुड़े लोगों को तो खतरा है ही। अब जैसे एक निर्देशक फिल्म की पूरी प्लानिंग करता है, तो AI की मदद से प्री प्रोडक्शन की प्लानिंग, स्क्रिप्ट राइटिंग, विजुअल इफेक्ट्स, पोस्ट प्रॉडक्शन एडिटिंग आदि की जा सकती है। कम समय और लागत के कारण छोटे बजट की फिल्मों के लिए फायदा हो सकता है, मगर मगर AI निर्देशक की कुर्सी तक सीधे नहीं पहुंच पाएगा, क्योंकि क्रिएटिविटी के साथ-साथ निर्देशक में एक लीडरशिप क्वालिटी होती है। निर्देशक का विजन निर्देशक ही जान सकता है। अभी तक AI किरदारों के इमोशन को नहीं पकड़ पाया है। AI से आप स्क्रिप्ट लिखवा सकते हैं, मगर भावना नहीं। मुझे नहीं लगता कि निर्देशकों को AI से डरने की जरूरत है। मगर वे इसे लेकर लापरवाह भी नहीं बने रह सकते।’