यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या अब बीजेपी राज्यसभा की जंग जीत पाएगी या नहीं! लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद राज्यसभा की 10 सीटें खाली हो गई हैं। राज्यसभा सचिवालय की तरफ से इन रिक्त हुई सीटों की अधिसूचित कर दिया गया है। इस सीटों के सदस्यों ने हाल ही में लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की है। ऐसे में आगामी राज्यसभा चुनाव में एक बार फिर से एनडीए बनाम इंडिया में मुकाबला देखने को मिलेगा। दो राज्यों महाराष्ट्र और हरियाणा में ये टक्कर कड़ी होगी। हालांकि, पांच राज्यों में उच्च सदन की रिक्त सीटों पर भाजपा के उम्मीदवारों के जीतने की संभावना है। चुनाव आयोग ने अभी तक इन 10 सीटों के लिए राज्यसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं की है। हालांकि, जिन 10 सीटों पर चुनाव होंगे उनमें से 7 भाजपा, 2 कांग्रेस और एक राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पास थी। कांग्रेस और राजद दोनों ही इंडिया ब्लॉक के प्रमुख घटक हैं। लोकसभा चुनाव जीतने वालों में बीजेपी के राज्यसभा सांसदों में तीन केंद्रीय मंत्री असम से सर्बानंद सोनोवाल, मध्यप्रदेश से ज्योतिरादित्य सिंधिया और महाराष्ट्र से पीयूष गोयल शामिल हैं। वहीं, खाली सीटों में से असम, बिहार और महाराष्ट्र में दो-दो और हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और त्रिपुरा में एक-एक सीट है।
असम की दोनों राज्यसभा सीटों और त्रिपुरा, मध्य प्रदेश और राजस्थान में एक-एक सीट को बरकरार रखने के लिए भाजपा के पास संबंधित विधानसभाओं में पर्याप्त संख्या है। बिहार में, भाजपा और राजद दोनों एक-एक सीट जीतने में सक्षम होंगे। विधानसभा में एनडीए और इंडिया गठबंधन की संख्या पर्याप्त है। हालांकि, महाराष्ट्र और हरियाणा में खाली सीटों के लिए होने वाले चुनावों में भाजपा को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा की मौजूदा ताकत अब घटकर 87 हो गई है। भाजपा के पास जहां 41 सदस्य हैं, वहीं कांग्रेस के पास 29 सदस्य हैं। कांग्रसे के मुलाना विधायक वरुण चौधरी अंबाला से लोकसभा के लिए चुने गए। दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जेजेपी, जिससे भाजपा ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नाता तोड़ लिया था, के पास 10 विधायक हैं। दूसरी तरफ, पांच निर्दलीय विधायक और इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) और हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) के एक-एक विधायक हैं। बादशाहपुर से निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद का पिछले महीने निधन हो गया था। एक अन्य निर्दलीय विधायक रंजीत सिंह ने भाजपा में शामिल होने और हिसार से इसके टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अपनी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। वह कांग्रेस के जय प्रकाश से हार गए थे।
हरियाणा में निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत और एचएलपी विधायक गोपाल कांडा के समर्थन के कारण भाजपा की संख्या 43 हो जाती है। शेष 44 विधायक कम से कम कागजों पर तो विपक्षी खेमे में दिखाई देते हैं, जिनमें कांग्रेस के 29 और जेजेपी के 10 विधायक शामिल हैं। शेष चार निर्दलीय विधायकों में से तीन विधायकों सोमबीर सांगवान (दादरी), रणधीर सिंह गोलेन (पुंडरी) और धर्मपाल गोंडर (नीलोखेड़ी) ने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया है। मेहम से एक और निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने न तो भाजपा को और न ही कांग्रेस को समर्थन दिया है। इनेलो के अभय चौटाला ने भी अभी तक किसी पार्टी को समर्थन देने का ऐलान नहीं किया है। कांग्रेस को उम्मीद है कि अगर उसे सभी विपक्षी विधायकों का समर्थन मिल गया तो वह हरियाणा में भाजपा को हरा सकती है, हालांकि यह संभव नहीं दिखता। जून 2022 में हरियाणा से दो सीटों के लिए होने वाले राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के पास पर्याप्त संख्या थी, लेकिन उसके तत्कालीन उम्मीदवार अजय माकन क्रॉस वोटिंग के कारण फिर भी जीत नहीं सके थे।
महाराष्ट्र में भी बीजेपी के लिए मुकाबला कठिन होने वाला है क्योंकि उसके दोनों एनडीए सहयोगी – एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजीत पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) – ने केंद्र में नई एनडीए सरकार में कैबिनेट बर्थ न मिलने पर असहमति जताई है। सात लोकसभा सीटें जीतने वाली शिवसेना इस बात से नाखुश है कि कम सीटों वाले अन्य एनडीए सहयोगियों को कैबिनेट बर्थ मिल गई है। एनसीपी को एक राज्य मंत्री (एमओएस) पद की पेशकश की गई थी, जिसे उसने स्वीकार नहीं किया क्योंकि पार्टी कैबिनेट पद चाहती थी। शिवसेना को एक राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पद मिला है। महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन में कांग्रेस, शरद पवार की एनसीपी (सपा) गुट और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) शामिल हैं। कांग्रेस के जिन नेताओं के लोकसभा में चुने जाने से राज्यसभा में दो सीटें खाली हुई हैं उनमें के सी वेणुगोपाल राजस्थान और दीपेंद्र हुड्डा हरियाणा शामिल हैं।