Monday, December 23, 2024
HomeIndian Newsक्या नीतीश कुमार के आने से बीजेपी को होगा फायदा?

क्या नीतीश कुमार के आने से बीजेपी को होगा फायदा?

यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या बीजेपी को नीतीश कुमार के आने से फायदा होगा या नहीं! आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सभी सियासी पार्टियों ने तैयारी तेज कर दी है। समाजवादी पार्टी ने तो उम्मीदवारों की पहली लिस्ट भी जारी कर दी। उधर केंद्र में सत्ता संभाल रही बीजेपी इस बार ‘मिशन 400 पार’ पर काम कर रही है। इसके लिए पार्टी नेता अगले महीने अहम बैठक की तैयारी में हैं, जिसमें देशभर से आए बीजेपी नेताओं को चुनावी रणनीति के मद्देनजर फाइनल ब्लूप्रिंट सौंपा जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि सत्ताधारी पार्टी लोकसभा चुनाव में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती। पार्टी को भरोसा है कि देश का मूड उसके पक्ष में है। बावजूद इसके बीजेपी आलाकमान 2004 के आम चुनाव वाली गलती नहीं करना चाहती। अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा और वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की ऊंची छलांग से केंद्र की सत्ताधारी बीजेपी को बड़ी उम्मीदें जगी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मतदाताओं को यह विश्वास दिलाया है कि कैसे उनकी सरकार लगातार विकास के मुद्दे पर काम कर रही। इसके साथ ही बीजेपी हिंदुत्व के मुद्दे पर भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रही। आगामी आम चुनाव में स्ट्रॉन्ग नजर आ रही बीजेपी इस सबके बावजूद कोई कमी नहीं रहने देना चाहती। यही वजह है कि बीते दिनों बिहार में जिस तरह से सियासी घटनाक्रम हुआ पार्टी नेतृत्व ने उसे बड़ी गंभीरता से संभाला। नीतीश कुमार के आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन में रहने से बीजेपी को बिहार में वो स्विंग मिलता नहीं दिख रहा था जैसा 2019 में जेडीयू के साथ रहने पर मिला था। यही वजह है कि पार्टी ने नीतीश के एनडीए में लौटने पर कोई देरी नहीं की।

बीजेपी ने एक बार फिर नीतीश की जेडीयू से गठबंधन किया और बिहार में एनडीए गठबंधन की सरकार बन गई। नीतीश कुमार को फिर सीएम पद दिया गया। बीजेपी के रणनीतिकारों ने नीतीश कुमार को साथ लाने का फैसला इसलिए लिया क्योंकि उनके मिशन 400 पार सीट के लिए बिहार अहम राज्य है। पार्टी की नजर बिहार के अलावा महाराष्ट्र, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल पर भी है। यहां के चुनावी नतीजे भी अहम माने जा रहे। 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान इन सभी राज्यों में एनडीए गठबंधन ने 123 सीट अपने नाम किया था। जब अगस्त 2022 में जेडी (यू) गठबंधन से बाहर हो गई, तो एनडीए ने अपने 17 सांसद खो दिए। ग्राउंड सर्वे में भी बीजेपी के लिए भारी नुकसान का संकेत दिया गया। इसमें पार्टी केवल 24 सीटों पर जीत हासिल करती नजर आ रही थी। उधर जेडीयू की भी हालत खास अच्छी नहीं बताई जा रही थी। पार्टी नेताओं का आंकलन यही था कि अगर जेडीयू महागठबंधन के साथ रहते हुए चुनाव में गई तो उनके सांसदों की संख्या 5-6 से ज्यादा नहीं होगी। सीटों की स्थिति देखते हुए दोनों पार्टियों के फिर से एक साथ आने का मतलब समझ में आया। बीजेपी के लिए हिंदी भाषी राज्य बिहार पर फोकस बढ़ाना बेहद जरूरी था। ऐसे में नीतीश की एनडीए वापसी सही समय पर हुई।

बीजेपी नेताओं ने तर्क दिया कि 22 जनवरी को राम मंदिर अभिषेक के बाद बिहार में सियासी गणित बदला। बीजेपी सूत्रों ने ये भी बताया कि यह पीएम मोदी ही थे जिन्होंने पहल की और नीतीश कुमार से बात की। उन्हें एनडीए में वापस आने के लिए कहा। बीजेपी नेतृत्व ने आकलन किया कि बिहार में लगभग 15 फीसदी वोट बेस वाला जेडीयू, नीतीश कुमार के बाद बिखर सकता है। अगर बीजेपी ने जेडीयू को अपने साथ जोड़े नहीं रखा तो आरजेडी कम से कम उसके समर्थन वाले वोटर बेस के बड़े हिस्से पर कब्जा कर सकती है। एक बार नीतीश कुमार की लीडरशिप खत्म हुई तो इससे आरजेडी और मजबूत हो सकती है। खास तौर पर 2025 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए गंभीर खतरा पैदा हो जाता।

उधर बीजेपी ने कर्नाटक में भी अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कवायद शुरू किया है। 2019 में लोकसभा की 28 में से 25 सीटें बीजेपी ने जीतीं थीं। हालांकि, पिछले साल के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की शानदार जीत से इस टैली के प्रभावित होने की संभावना नजर आ रही। यही वजह है कि पार्टी उन नेताओं को वापस लाने के लिए बातचीत कर रही, जिन्होंने असेंबली चुनावों से पहले पार्टी छोड़ दी थी। लगभग एक दर्जन नेता बीजेपी से बाहर चले गए थे। उनमें सबसे प्रमुख जगदीश शेट्टार को पिछले हफ्ते ही पार्टी अपने पाले में वापस ले आई है।

इन सबके बावजूद बीजेपी के शीर्ष नेताओं को 2004 में पार्टी की हार अब भी याद है। उस समय पार्टी नेतृत्व को ये उम्मीद थी की बीजेपी बड़ी जीत दर्ज करेगी, बावजूद इसके वह हार गई थी। उन्होंने समग्र माहौल को अपनी चुनावी रणनीति के आधार पर नहीं लिया। उस समय लीडरशिप ने प्रत्येक राज्य में राजनीतिक स्थिति का विश्लेषण किया लेकिन रिजल्ट अनुकूल नहीं आए। 2004 में बीजेपी के ‘पक्ष में सकारात्मक माहौल’ के बावजूद अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार सत्ता में लौटने में विफल रही थी। उसी स्थिति और कारणों को देखते हुए बीजेपी के एक नेता ने दावा किया कि मौजूदा नेतृत्व उस गलती को दोहराना नहीं चाहता और आगामी लोकसभा चुनाव में कोई मौका नहीं लेना चाहता।

Disclaimer:

Mojo Patrakar may publish content sourced from external third-party providers. While we make every reasonable effort to verify the accuracy, reliability, and completeness of this information, Mojo Patrakar does not guarantee or endorse the views, opinions, conclusions, or authenticity of content provided by these third-party entities. Such content is presented solely for informational purposes, and it is not intended to substitute professional advice or to serve as a comprehensive basis for decision-making.

Mojo Patrakar expressly disclaims any liability for errors, omissions, or inaccuracies that may arise from third-party content, as well as any reliance readers may place upon it. Users are strongly encouraged to conduct independent verification and consult with qualified professionals as necessary before making any decisions based on information obtained through Mojo Patrakar.

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments