आने वाले समय में बच्चे अब बिना बैग बस्ते के विद्यालय जाया करेंगे! केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत तय किए लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अगले पांच वर्षों के रोड मैप पर मंथन शुरू किया है। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को हुई समीक्षा बैठक में कहा कि राज्यों और केंद्र दोनों को ही शिक्षा इकोसिस्टम को मजबूत बनाने और एक- दूसरे राज्यों में बेस्ट प्रैक्टिस को आगे बढ़ाने के लिए एक टीम के रूप में काम करना चाहिए। उन्होंने पूरे देश में स्कूली शिक्षा के समग्र विकास के लिए अगले पांच वर्षों के रोडमैप के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के विजन का एक प्रमुख स्तंभ है और राज्यों को इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के करीब चार वर्षों में देश में शिक्षा इकोसिस्टम ने तेजी से प्रगति की है। इस मौके पर केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी भी मौजूद रहे। शिक्षा मंत्री ने कहा कि भारत एक युवा देश है। हमारी चुनौती 21वीं सदी की दुनिया के लिए वैश्विक नागरिक तैयार करना है, जो तेजी से बदल रही हैं क्योंकि यह सदी प्रौद्योगिकी की ओर से संचालित हो रही है। उन्होंने आगे कहा कि यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि एक ऐसी शिक्षा प्रणाली सुनिश्चित की जाए, जो जमीनी और आधुनिक दोनों ही हो। स्कूलों में टेक्नोलोजी पर ध्यान देना होगा। हमें रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए अपनी कौशल क्षमताओं को भी बढ़ाना चाहिए। राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने कहा कि एनईपी 2020 सबसे महत्वाकांक्षी और प्रगतिशील नीति दस्तावेज है। उन्होंने कहा कि सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को शत-प्रतिशत तक ले जाना होगा।
शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार ने कहा कि समीक्षा बैठक का मुख्य उद्देश्य एनईपी 2020 की समीक्षा करना और इसका राज्यों में कार्यान्वयन करने के साथ-साथ मंत्रालय की प्रमुख योजनाओं की प्रगति को देखना भी है। समग्र शिक्षा, पीएम श्री, पीएम पोषण, उल्लास जैसी योजनाओं को नीति के साथ समायोजन करना होगा। बैठक के दौरान पांच साल के एक्शन प्लान, 100 दिन के एक्शन प्लान, सभी राज्यों के लिए समग्र शिक्षा के तहत बुनियादी ढांचे पर चर्चा होगी। स्मार्ट क्लासेज समय की जरूरत हैं। स्कूलों परिसर को तंबाकू मुक्त बनाने की दिशा में मिलकर काम करना होगा।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने स्कूलों में Bagless Days (बिना स्कूल बैग) को लेकर तैयार की गई गाइडलाइंस की समीक्षा की है। स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार ने एनसीईआरटी की यूनिट की ओर से तैयार गाइडलाइंस पर सीबीएसई, एनसीईआरटी, केंद्रीय विद्यालय संगठन, नवोदय विद्यालय संगठन के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। यह तय किया गया है कि समीक्षा के बाद अब जल्द ही इन दिशा- निर्देशों को अंतिम रूप दिया जाएगा।
स्कूली शिक्षा के लिए जारी किए गए नैशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (NCF) में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि क्लासरूम टीचिंग केवल किताबों की दुनिया ही नहीं है बल्कि छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों के एक्सपर्ट्स से भी मिलवाना चाहिए। स्कूलों के वार्षिक कैलेंडर में 10 Bagless Days होंगे यानी इन दस दिन छात्र बिना बैग और किताबों के स्कूल जाएंगे। इन दिनों में छात्रों को फील्ड विजिट करवाई जाएगी। यह सिफारिश की गई है कि इन दस दिनों में छात्रों को स्थानीय पारिस्थितिकी के बारे में जागरूक करने, उन्हें पानी की शुद्धता की जांच करना सिखाने, स्थानीय वनस्पतियों और जीवों को पहचानने और स्थानीय स्मारकों का दौरा करवाया जाए।
शिक्षा नीति में यह कहा गया है कि कक्षा 6-8 के सभी छात्रों के लिए दस दिन बिना बैग के स्कूल जाना जरूरी होगा। इस दौरान छात्र लोकल स्किल एक्सपर्ट्स के साथ इंटर्नशिप करेंगे और पारंपरिक स्कूल व्यवस्था से बाहर की गतिविधियों में भाग लेंगे। बैगलेस डेज़ के दौरान कला, क्विज़, खेल और कौशल-आधारित शिक्षा जैसी विभिन्न गतिविधियां शामिल होंगी।बैठक के दौरान पांच साल के एक्शन प्लान, 100 दिन के एक्शन प्लान, सभी राज्यों के लिए समग्र शिक्षा के तहत बुनियादी ढांचे पर चर्चा होगी। स्मार्ट क्लासेज समय की जरूरत हैं। स्कूलों परिसर को तंबाकू मुक्त बनाने की दिशा में मिलकर काम करना होगा। छात्रों को कक्षा के बाहर की गतिविधियों से समय-समय पर अवगत कराया जाएगा, जिसमें ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पर्यटन स्थलों की यात्रा, स्थानीय कलाकारों और शिल्पकारों के साथ बातचीत और स्थानीय कौशल आवश्यकताओं के अनुसार उनके गांव, तहसील, जिले या राज्य के भीतर विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों का दौरा शामिल है।