क्या सिंगापुर तक बुलेट ट्रेन चला पाएगा चीन?

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चीन ने सिंगापुर तक बुलेट ट्रेन चलाने की तैयारी पूरी कर ली है! चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग ने पिछले सप्‍ताह मलेशिया की यात्रा की। चीनी प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका देश दक्षिण पूर्व एशिया के देशों मलेशिया, लाओस और थाइलैंड में अपने रेलवे के प्रॉजेक्‍ट को आपस में जोड़ना चाहता है। इसके लिए चीन एक अध्‍ययन कराना चाहता है ताकि क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ाया जा सके। चीन अपने बेल्‍ट एंड रोड प्रॉजेक्‍ट के तहत इस रेललाइन को बनाना चाहता है। ली ने मलेशिया के ईस्‍ट कोस्‍ट रेल लिंक के भूमिपूजन समारोह में हिस्‍सा लिया। चीन अगर ऐसा करने में सफल होता है तो वह सिंगापुर तक बुलेट ट्रेन दौड़ाने में सफल हो जाएगा। इससे पूरे दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में चीन का प्रभाव काफी बढ़ जाएगा।  दरअसल मलेशिया की सरकार देश की पहली हाई स्‍पीड रेलवे बनाना चाहती है जो राजधानी क्‍वालालंपुर को पड़ोसी सिंगापुर से जोड़ेगी। चीन ने इस इलाके में बीआरआई के तहत बहुत बड़े पैमाने पर निवेश किया है। उसकी कोशिश है कि अफ्रीका की तरह से ही एशिया में भी आधारभूत ढांचे बनाकर अपने प्रभाव को बढ़ाया जा सके। चीन ने 10 अरब डॉलर के प्रॉजेक्‍ट की योजना बनाई है जो चीन के पूर्वी शहर कुनमिंग शहर को एशियाई देशों के रास्‍ते सिंगापुर से रेलमार्ग से जोड़ेगा। इससे चीन की मलेशिया के पश्चिमी तट पर स्थित पोर्ट कलांग तक सीधी पहुंच हो जाएगी जो रणनीत‍िक रूप से बेहद महत्‍वपूर्ण मलक्‍का स्‍ट्रेट तक चीन को रास्‍ता मुहैया करा देगा।

अभी चीन समुद्री रास्‍ते से मलक्‍का स्‍ट्रेट के जरिए दुनियाभर को अपना सामान भेजता है। इन देशों को उम्‍मीद है कि इस रेललाइन से आर्थिक विकास होगा और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। साल 2018 में मलेशिया के तत्‍कालीन राष्‍ट्रपत‍ि महात‍िर मोहम्‍मद ने कहा था कि इस प्रॉजेक्‍ट में बहुत ज्‍यादा खर्च आएगा और इसी वजह से वह इसे ठंडे बस्‍ते में डाल रहे हैं। उन्‍होंने कहा था, ‘मेरा मानना है कि चीन खुद भी चाहता है कि मलेशिया एक दिवालिया देश नहीं बने।’ इसके बाद साल 2020 में एक और समझौता हुआ जिसमें चीन ने खर्च को कम कर लिया और फिर रेल प्रॉजेक्‍ट पर काम शुरू हुआ।

दक्षिण पूर्व एशियाई देशों को कनेक्‍ट करने के लिए तीन रेललाइन बिछाने की योजना है। इसमें पहला- पश्चिमी लाइन है जो चीन को म्‍यांमार के रास्‍ते थाइलैंड से जोड़ेगी। दूसरा- मध्‍य लाइन जो लाओस के रास्‍ते थाइलैंड को जोड़ेगी। तीसरी- पूर्वी लाइन जो वियतनाम, कंबोडिया और थाइलैंड को जोड़ेगी। एक और रेल लाइन बनाई जाएगी जो थाइलैंड की राजधानी बैंकाक, मलेशिया और सिंगापुर को जोड़ेगी। यह वही इलाका है जहां पर मलक्‍का स्‍ट्रेट है जिसे चीन की दुखती रग कहा जाता है। दुनिया की फैक्‍ट्री कहे जाने वाले चीन को हमेशा यह खौफ रहता है कि मलक्‍का स्‍ट्रेट पर उसे भारत और अमेरिका की सेना घेर सकती हैं। मलक्‍का स्‍ट्रेट से ही दुनिया का 30 फीसदी व्‍यापार होता है।

इसी वजह से चीन वैकल्पिक रास्‍ते तलाश रहा है। चीन ग्‍वादर पाकिस्‍तान और म्‍यांमार में रेललाइन बिछाने या सड़क बनाने की कोशिश कर रहा है ताकि उसकी हिंद महासागर तक सीधे पहुंच हो जाए। मलेशिया में हाई स्‍पीड ट्रेन दौड़ाने की चीन की कोशिश में कई बाधाएं आ रही हैं। अब तक केवल लाओस से चीन के बीच ही हाई स्‍पीड ट्रेन प्रॉजेक्‍ट ही आगे बढ़ पाया है। मलेशिया की तरह से थाइलैंड भी बहुत ज्‍यादा खर्च की वजह से इससे बच रहा है और उसे चीन से भी मदद लेने में भी चिंता हो रही है। यह प्रॉजेक्‍ट पहले साल 2028 में पूरा होना था अब यह लटक सकता है। यही नहीं इस प्रॉजेक्‍ट से फायदा होने पर भी विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं। बता दें कि हंबनटोटा प्रॉजेक्‍ट समेत चीन के बनाए कई प्रॉजेक्‍ट दुनिया में सफेद हाथी साबित हुए हैं। बता दें कि उसकी कोशिश है कि अफ्रीका की तरह से ही एशिया में भी आधारभूत ढांचे बनाकर अपने प्रभाव को बढ़ाया जा सके। चीन ने 10 अरब डॉलर के प्रॉजेक्‍ट की योजना बनाई है जो चीन के पूर्वी शहर कुनमिंग शहर को एशियाई देशों के रास्‍ते सिंगापुर से रेलमार्ग से जोड़ेगा। इससे चीन की मलेशिया के पश्चिमी तट पर स्थित पोर्ट कलांग तक सीधी पहुंच हो जाएगी जो रणनीत‍िक रूप से बेहद महत्‍वपूर्ण मलक्‍का स्‍ट्रेट तक चीन को रास्‍ता मुहैया करा देगा। बाद में चीन लोन के बल पर इन प्रॉजेक्‍ट पर पूरी तरह से कब्‍जा कर लेता है और फिर अपनी मनमानी करता है। चीन की कोशिश है कि इस आर्थिक चाल का फायदा उठाते हुए दक्षिण चीन सागर पर अपनी पकड़ को मजबूत किया जाए।