आने वाले समय में अब कोचिंग सेंटर्स फेक विज्ञापन नहीं दे पाएंगे! फर्जी सक्सेस रेट और कोर्स के बारे में आधी-अधूरी जानकारी वाले विज्ञापनों से छात्रों को गुमराह करने वाले कोचिंग संस्थानों की नकेल कसी जाएगी। केंद्र सरकार ने बुधवार को इससे जुड़ी गाइडलाइंस जारी कीं। कोचिंग संस्थानों को विज्ञापनों में साफ बताना होगा कि वे कौन से कोर्स ऑफर कर रहे हैं, कोर्स कितनी अवधि का है, पढ़ाने वालों की क्या क्वॉलिफिकेशन है और रिफंड पॉलिसी क्या है। सेलेक्शन रेट, सफल छात्रों और एग्जाम रैंकिंग की जानकारी में भी गड़बड़झाला नहीं होना चाहिए। संस्थान एग्जाम में पास होने, ज्यादा नंबर मिलने और जॉब गारंटी के बारे में फर्जी दावे नहीं करेंगे। संस्थानों को अपने इंफ्रास्ट्रक्चर, संसाधनों और सुविधाओं के बारे में भी स्पष्ट जानकारी देनी होगी, जिससे अपर्याप्त सुरक्षा उपायों के चलते करंट लगने या पानी में डूबने से छात्रों की मृत्यु के मामलों से बचा जा सके। सेंट्रल कंस्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) की ओर से गाइडलाइंस फॉर प्रिवेंशन ऑफ मिसलीडिंग एडवर्टाइजमेंट इन कोचिंग सेक्टर, 2024 जारी की गई।कोचिंग सेंटर को नैशनल कंस्यूमर हेल्पलाइन से जुड़ना होगा, जिससे छात्रों के लिए गुमराह करने वाले विज्ञापनों या अनुचित ट्रेड प्रैक्टिस के बारे में शिकायत करने में आसानी हो। इसमें यह भी कहा गया है कि कोचिंग संस्थानों को अगर यूपीएससी सहित किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में सफल छात्रों के नाम और फोटो का उपयोग अपने विज्ञापनों में करना हो तो इसके लिए उन्हें छात्रों से परीक्षा पास करने के बाद लिखित सहमति लेनी होगी। अधिकतर मामलों में कोर्स में दाखिले के समय भरे जाने वाले फॉर्म में ही यह सहमति ले ली जाती है और छात्र दबाव में रजामंदी दे देते हैं।
CCPA की चीफ कमिश्नर और कंस्यूमर अफेयर्स सेक्रेटरी निधि खरे ने कहा, ‘कोचिंग सेक्टर में गुमराह करने वाले विज्ञापनों के मामलों पर कंस्यूमर एक्ट 2019 के तहत कार्रवाई होगी। इसके तहत जुर्माना लगाने से लेकर लाइसेंस कैंसल करने तक की कार्रवाई की जा सकती है।’
खरे ने बताया, ‘इंस्टिट्यूट्स को विज्ञापनों में साफ बताना होगा कि जिन सफल लोगों के नाम और फोटो वे दे रहे हैं, उन्होंने उनके यहां कौन सा कोर्स किया था और वह पेड था या फ्री। कई कोचिंग संस्थान ऐसे सफल कैंडिडेट्स के नाम और फोटो अपने विज्ञापनों में दे देते हैं, जिन्होंने उनके यहां केवल इंटरव्यू के लिए गाइडेंस ली होती है और अधिकतर मामलों में यह फ्री गाइडेंस होती है, लेकिन यह बात छिपा ली जाती है और अपने महंगे कोर्स के लिए छात्रों को लुभाया जाता है। कई बार एक छात्र की सफलता का दावा कई संस्थान करने लगते हैं।’
गाइडलाइंस के मुताबिक, अगर कोई डिसक्लेमर हो, तो विज्ञापन में उसे प्रमुखता से और दूसरी जानकारी वाले फॉन्ट में ही दिया जाना चाहिए जिससे कंस्यूमर फाइन प्रिंट से गुमराह न हों। नई गाइडलाइंस कोचिंग से जुड़े हर व्यक्ति पर लागू होंगी और कोचिंग सेंटर सहित उसकी सेवाओं का विज्ञापन करने वाले नामचीन लोग भी इसके दायरे में आएंगे। ऐसे लोगों की जवाबदेही बनेगी कि जिन दावों का वे विज्ञापन कर रहे हैं, वे सही हैं। दावे गलत पाए जाने पर कोचिंग संस्थानों के साथ ऐसे लोग भी जिम्मेदार माने जाएंगे। हर कोचिंग सेंटर को नैशनल कंस्यूमर हेल्पलाइन से जुड़ना होगा, जिससे छात्रों के लिए गुमराह करने वाले विज्ञापनों या अनुचित ट्रेड प्रैक्टिस के बारे में शिकायत करने में आसानी हो।
इन गाइडलाइंस के मुताबिक, एकेडमिक सपोर्ट, गाइडेंस, इंस्ट्रक्शन, स्टडी प्रोग्राम या ट्यूशन या इस तरह की गतिविधियों को कोचिंग माना जाएगा और इनके मामले में ही नियम लागू होंगे, लेकिन काउंसलिंग, स्पोर्ट्स, डांस, थिएटर जैसी एक्टिविटीज इसके दायरे में नहीं होंगी। ये गाइडलाइंस ऐसे सेंटरों पर लागू होंगी, जहां 50 से अधिक स्टूडेंट कोचिंग ले रहे हों। खरे ने कहा कि नैशनल कंस्यूमर हेल्पलाइन पर छात्रों की ओर से बढ़ती शिकायतों को देखते हुए ये गाइडलाइंस बनाई गई हैं। बता दें कि यहसंस्थान एग्जाम में पास होने, ज्यादा नंबर मिलने और जॉब गारंटी के बारे में फर्जी दावे नहीं करेंगे। संस्थानों को अपने इंफ्रास्ट्रक्चर, संसाधनों और सुविधाओं के बारे में भी स्पष्ट जानकारी देनी होगी, जिससे अपर्याप्त सुरक्षा उपायों के चलते करंट लगने या पानी में डूबने से छात्रों की मृत्यु के मामलों से बचा जा सके। उन्होंने बताया कि CCPA ने गुमराह करने वाले विज्ञापनों के मामलों में विभिन्न कोचिंग सेंटरों को 45 नोटिस जारी किए हैं। 18 कोचिंग सेंटरों पर 54 लाख 60 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।