यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या कांग्रेस बीजेपी के मोदी मय का तोड़ निकाल पाएगी या नहीं! कांग्रेस ने राहुल गांधी को फोकस करते हुए बीजेपी के MR फेक्टर माहौल का काउंटर नैरेटिव तैयार करने के लिए अब 14 जनवरी से भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकालने का फैसला किया है। बीजेपी का MR समीकरण मतलब है M= मोदी मय R=राम मय। ‘राम मय’ और ‘मोदी मय’ के काउंटर नरैटिव को कांग्रेस ने भले ही इसे चुनावी यात्रा करार नहीं देते हुए सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक मुद्दों पर न्याय यात्रा कहा है। लेकिन, विश्लेषक स्पष्ट रूप से इसे भारत जोड़ो यात्रा .2 के रूप में लोकसभा इलेक्शन कैंपेन ही निरूपित कर रहे हैं। अभी भी तालमेल की तलाश कर रहे इंडिया गठबंधन को कांग्रेस इस यात्रा के बहाने यह मैसेज भी देना चाह रही है कि विपक्ष का प्राइम मिनिस्टर मैंटेरियल राहुल गांधी ही है। दरअसल, लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस देशभर में फिर एक यात्रा निकाल रही है। पार्टी ने मणिपुर के इंफाल से मुंबई तक भारत जोड़ो यात्रा.2 का रोड मैप जरूर जारी कर दिया है। लेकिन जिन मुद्दों को लेकर वह यात्रा के लिए निकल रही है उसका रोड मैप फिलहाल बिल्कुल भी स्पष्ट नहीं है। विभिन्न जांच एजेंसियों के घेरे में आए गांधी परिवार, कमजोर पड़ रही कांग्रेस और केंद्र सरकार के विरोध के लिए भारत जोड़ो यात्रा निकाली गई थी। मध्य प्रदेश के संदर्भ में बात करें तो जिन क्षेत्रों से राहुल गांधी निकले थे, वहां चुनावी सफलता या विशेष छाप नहीं छोड़ पाए।वहीं कमजोर संसाधनों वाली कांग्रेस के पास मुद्दों लेकर जनता तक पहुंचने के लिए समय नहीं बचेगा। समाजवादी पार्टी के नेता आईपी सिंह ने चुनाव के मुहाने पर आयोजित हो रही इस यात्रा पर टिप्पणी की ‘द्वारे आई बारात तो समधन चली स्नान’. दूसरे, इसमें इंडिया गठबंधन के नेताओं के समावेश नहीं होने से यह कांग्रेस और राहुल गांधी की ही यात्रा मानी जाएगी। लेकिन, हताश व निराश कांग्रेस में एक नई जान जरूर फूंकने में सफल हुए थे। उनकी यात्रा के बाद पूरे देश की बात करें तो मिला जुला असर देखने को मिला। लेकिन मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान ने उन्हें स्पष्ट रूप से नकार दिया। मध्य प्रदेश में तो कांग्रेस 66 सीटों पर ही सिमट गई।
ज्यादातर बस के माध्यम से होने वाली यह यात्रा मध्य प्रदेश में 7 दिन के दौरान मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी, अशोक नगर, गुना, राजगढ़, आगर मालवा उज्जैन और रतलाम की 698 किलोमीटर यात्रा तय कर राजस्थान में प्रवेश करेगी।
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता आशीष अग्रवाल ने तंज कसते हुए कहा कि यात्रा का नाम बदलने से कुछ नहीं होने वाला। कांग्रेस ने वर्षों से जनता के साथ अन्याय किया है। उसके लिए तो उसे क्षमा यात्रा निकालना चाहिए। प्रतिपक्ष के उप नेता हेमंत कटारे ने कहा कि यह यात्रा जनता से सीधे जोड़ने का माध्यम है। जनता के मन की बात सुनकर उसके अनुरूप चलेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक कदम बढ़ कर टिप्पणी की है कि राहुल गांधी की यात्रा लोकतंत्र के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस यात्रा के दौरान 67 दिनों तक कांग्रेस अपने बचे खुचे संसाधनों को झोंक देगी। यात्रा की समाप्ति के ठीक बाद लोकसभा चुनाव रहेंगे। जहां अभी से चुनाव के एक्टिव मोड पर आ चुकी भाजपा मध्य प्रदेश जीतने से बेहद उत्साहित है, और वह इस यात्रा के दौरान ही बूथ लेवल तक पहुंच चुकी होगी। वहीं कमजोर संसाधनों वाली कांग्रेस के पास मुद्दों लेकर जनता तक पहुंचने के लिए समय नहीं बचेगा। समाजवादी पार्टी के नेता आईपी सिंह ने चुनाव के मुहाने पर आयोजित हो रही इस यात्रा पर टिप्पणी की ‘द्वारे आई बारात तो समधन चली स्नान’. दूसरे, इसमें इंडिया गठबंधन के नेताओं के समावेश नहीं होने से यह कांग्रेस और राहुल गांधी की ही यात्रा मानी जाएगी। हालांकि मध्य प्रदेश में सपा को छोड़ इंडिया गठबंधन से जुड़ी ज्यादा पार्टियां नहीं है।
इस तरह से यात्रा और राहुल गांधी को मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद टूट चुकी कांग्रेस का मनोबल बढ़ाने की बड़ी चुनौती होगी। यहां 29 में से 28 सीटों पर भाजपा काबिज है। लेकिन, हताश व निराश कांग्रेस में एक नई जान जरूर फूंकने में सफल हुए थे। उनकी यात्रा के बाद पूरे देश की बात करें तो मिला जुला असर देखने को मिला। लेकिन मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान ने उन्हें स्पष्ट रूप से नकार दिया। मध्य प्रदेश में तो कांग्रेस 66 सीटों पर ही सिमट गई।इस तरह की यात्राओं से लाभ तो होता है, लेकिन कितना ,यह समय बताएगा।