यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या धनखड़ राज्यसभा के सभापति पद से हटाए जाएंगे या नहीं! शुक्रवार को राज्यसभा में एक बार फिर जया बच्चन उखड़ गईं। उन्होंने सीधे सभापति जगदीप धनखड़ की टोन पर सवाल उठा दिया। जया ने कहा कि आपकी टोन ठीक नहीं है। इतना सुनते ही धनखड़ भी नाराज हो गए। उन्होंने जया के बहाने विपक्ष को भी सुनाया। इसके बाद एनडीए और विपक्ष के बीच सभापति जगदीप धनखड़ को लेकर जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष तो इस बीच वॉकआउट भी कर गया। जया बच्चन से हुई बहस के बाद पूरा विपक्ष जगदीप धनखड़ के खिलाफ लामबंद हो गया है। एनडीए जहां धनखड़ के साथ खड़े है तो वहीं इंडिया गठबंधन उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर विचार कर रहा है। यही नहीं, जगदीप धनखड़ को हटवाने की तैयारी में उपराष्ट्रपति के खिलाफ प्रस्ताव पर I.N.D.I.A ब्लॉक के 87 सांसदों के हस्ताक्षर भी कर दिए हैं। विपक्ष का कहना है कि यह कोई पहली बार नहीं है और धनखड़ का रवैया उनके प्रति सही नहीं है। विपक्ष करी नाराजगी का मुख्य कारण सपा सांसद जया बच्चन की जगदीप धनखड़ से हुई तीखी नोंकझोंक थी। इसकी शुरुआत भाजपा सांसद घनश्याम तिवारी द्वारा विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे पर की गई टिप्पणी से हुई, जिसके बाद धनखड़ और सपा सांसद जया बच्चन आपस में भिड़ गए। जया ने सभापति की टिप्पणी के ‘अस्वीकार्य लहजे’ का विरोध किया और कहा कि वह कुर्सी पर बैठे ‘सहयोगी’ हैं। जिसके बाद नाराज धनखड़ ने विपक्ष पर सदन को बाधित करने और देश को अस्थिर करने का आरोप लगाया। जल्द ही, मामला सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच व्यापक टकराव में बदल गया। विपक्ष ने सभापति पर पक्षपात करने का आरोप लगाया। धनखड़ ने तर्क दिया कि तिवारी ने अपनी टिप्पणी में केवल खड़गे की प्रशंसा की थी, लेकिन विपक्ष ने दावा किया कि वह भाजपा सांसद को बचाने की कोशिश कर रहे थे।
जया बच्चन ने कहा कि वह एक कलाकार हैं और शरीर की भाषा और हाव-भाव समझती हैं। ‘मुझे माफ़ करें लेकिन आपकी आवाज़ स्वीकार्य नहीं है। हम सहकर्मी हैं, सर। आप कुर्सी पर बैठे हो सकते हैं, और मुझे याद है कि जब मैं स्कूल जाती थी…’ उन्होंने कहा। स्पष्ट रूप से नाराज़ जगदीप धनखड़ ने उन्हें बीच में टोका। धनखड़ ने आगे कहा कि आप कोई भी हो सकते हैं, आप एक सेलिब्रिटी हो सकते हैं, आपको शिष्टाचार समझना होगा। कभी भी यह धारणा न रखें कि केवल आप ही प्रतिष्ठा बनाते हैं। हम प्रतिष्ठा के लिए जीते हैं, कुछ नहीं करते।
विपक्ष राज्यसभा में जगदीप धनखड़ के खिलाफ गोलबंदी कर रहा है। इसके लिए वह सभापति के खिलाफ निंदा प्रस्ताव भी लाने पर विचार कर रहा है। इसे कांग्रेस के नेता अजय माकन के बयान से भी समझा जा सकता है। अजय माकन ने कहा कि राज्यसभा एक ऐसा सदन है जो अन्य विधानसभाओं के लिए मापदंड निर्धारित करता है। उस सदन में सभापति को पक्षपातपूर्ण नहीं देखा जाना चाहिए। अकेले कांग्रेस को ऐसा नहीं लगता है। सभी विपक्षी दलों को लगता है कि उनका व्यवहार एक पक्ष के प्रति पक्षपातपूर्ण है। महिला सांसदों और बाकी पुरुष सांसदों को लगता है कि उनकी आवाज दबाई जाती है, विपक्ष के नाते उन्हें अपनी बात कहने का मौका कम मिलता है। उनके किसी भी कहे पर धनखड़ तुरंत ऐक्शन ले लेते हैं वहीं सत्ता पक्ष से सवाल नहीं किया जाता है। मुख्यत: महिला सांसदों को लगता है कि उनसे धनखड़ अच्छे से बात नहीं करते।
धनखड़ से विपक्षी सांसदों की तकरार का यह कोई पहला मामला नहीं है। आप के दोनों सांसदों संजय सिंह और राघव चड्ढा वाला मामला याद ही होगा। इसके अलावा टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन और कल्यान चटर्जी पर भी कार्रवाई हुई थी। आप सांसद संजय सिंह को सभापति के निर्देशों का बार-बार उल्लंघन करने के लिए पिछले साल संसद के मानसून सत्र के शेष समय के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था। बाद में उनकी सदस्यता बहाल हुई थी। राघव चड्डा के केस में उन्हें पिछले साल 11 अगस्त को संसद के मानसून सत्र के अंतिम दिन नियमों के घोर उल्लंघन, कदाचार, अवज्ञाकारी रवैये और अवमाननापूर्ण आचरण के लिए निलंबित कर दिया गया था। डेरेक ओ ब्रायन के खिलाफ धनखड़ ने कई बार कार्रवाई की है। विपक्ष का यही गुस्सा है कि धनखड़ सिर्फ विपक्ष को निशाना बनाते हैं।
एनडीए दल के नेता विपक्ष से उलट जगदीप धनखड़ के साथ खड़े हैं। कल राज्यसभा में जेपी नड्डा ने अपनी सीट से उठकर धनखड़ के समर्थन में कई बातें कहीं। यही नहीं उन्होंने विपक्ष के रवैये से आहत होकर निंदा प्रस्ताव भी पेश किया। यह किसी के छुपा नहीं है कि जगदीप धनखड़ एनडीए के नेताओं के वोट से ही उपराष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठे हैं। विपक्ष तो मार्गरेट अल्वा को अपना उम्मीदवार बनाकर लाया था। एनडीए किसी भी हाल में नहीं चाहेगा कि विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाकर धनखड़ की कुर्सी हिला दे। एनडीए की तरफ से बीजेपी सांसद जेपी नड्डा ने कहा कि सदन में आज जो घटनाक्रम हुआ वो निंदनीय है और चिंताजनक है। ये प्रजातंत्र के मूल्यों का एक तरह से हनन है। मैं चाहूंगा कि ये सदन विपक्ष के खिलाफ निंदा प्रस्ताव को जरूर पारित करे। आज जो घटना घटी है और जिस तरह से विपक्ष का व्यवहार रहा है, वो बहुत ही असंसदीय, अमर्यादित और अनुशासनहीन रहा है। सत्ता पक्ष यह कोशिश करेगा कि यह साबित किया जाए दिखाया जाए कि विपक्ष ही गड़बड़ कर रहा है और सदन सही तरीक से न चलने के पीछे उनकी कोई साजिश है।