यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या अब भारत अपनी रणनीतिक नीतियों की वजह से पाकिस्तान को ठिकाने लगाएगा या नहीं! जब कोई देश जंग लड़े बिना ही अपनी प्लानिंग या कहिए गुप्त रणनीति से ही विरोधी पर हावी हो जाता है तो उसे कूटनीति यानी डिप्लोमेसी कहते हैं। चाणक्य को भारतीय कूटनीति का मास्टर माना जाता है। उन्होंने कूटनीति के 4 सिद्धांत बताए थे- साम यानी समझा कर, दाम यानी मूल्य या पैसे देकर, दंड यानी शक्ति का इस्तेमाल करके और आखिर में भेद यानी भय दिखाकर। ऐसा लग रहा हिंदुस्तान की सरकार अब पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को घेरने के लिए इसी ‘चाणक्य नीति’ का सहारा ले रही। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि हाल के दिनों में सामने आए घटनाक्रम इस बात की तस्दीक कर रहे कि कैसे पाकिस्तान हर मोर्चे पर अलग-थलग पड़ चुका है। पाकिस्तान किसकदर बैकफुट पर नजर आ रहा ये वहां के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की ओर से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में दिए गए हालिया संबोधन से समझा जा सकता है। पाकिस्तान के पीएम ने कहा कि भारत लगातार अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है। उनको डर है कि इसका इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ किया जा सकता है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से इस पर ध्यान देने की अपील की। ‘आतंक का पनाहगाह’ पाकिस्तान जिस तरह से खौफ में नजर आ रहा वो चौंकाने वाला है। कहीं न कहीं भारत इस बात को समझ रहा तभी तो साम वाला दांव आजमाते हुए पड़ोसी मुल्क को उन्हीं की भाषा में समझाने की कोशिश की है।
पाकिस्तान के पीएम विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को यूएनजीए में ही जवाब दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ अब उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को खाली कराने का मुद्दा सुलझाना है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सीमा पार आतंकवाद की नीति कभी सफल नहीं होगी। उसके किए गए कर्मों का उसे निश्चित परिणाम मिलेंगे। पाकिस्तान की बुराइयां अब उसके अपने समाज को निगल रही हैं। पाकिस्तान की सीमा-पार आतंकवाद की नीति कभी सफल नहीं होगी और उसे किसी भी प्रकार की माफी नहीं दी जा सकती।
इससे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी पाकिस्तान को जोरदार जवाब दिया। जम्मू-कश्मीर की चुनावी रैली के दौरान शनिवार को योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पाकिस्तान जल्द ही तीन हिस्सों में बंट जाएगा और उसका अस्तित्व खत्म हो जाएगा। पाकिस्तान को बैकफुट पर धकेलने के लिए भारत की ओर से केवल जुबानी अटैक ही नहीं किए जा रहे, कई कूटनीतिक दांव भी केंद्र सरकार चल रही। जैसे कि पाकिस्तान की धरती पर खेल को लेकर होने वाले कोई भी अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भारतीय टीम शिरकत नहीं कर रही।योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 1960 की सिंधु जल संधि की समीक्षा के आदेश देते समय, भारत सरकार ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पानी और आतंकवाद एक साथ नहीं बह सकते। अब तक, पाकिस्तान भीख का कटोरा लिए हुए था, लेकिन जल्द ही यह पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसेगा। सीएम योगी ने आगे कहा कि बलूचिस्तान भी पाकिस्तान का हिस्सा नहीं रहना चाहता। पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भी पाकिस्तान के शासन को खारिज कर रहा है। वो भूख से मरने के बजाय, जम्मू और कश्मीर में शामिल होने की इच्छा जता रहे।
जहां केंद्र की सत्ताधारी बीजेपी के दो नेताओं ने पाकिस्तान को पीओके छिनने का डर दिखाया, वहीं केंद्रीय रक्षा मंत्री और दिग्गज बीजेपी नेता राजनाथ सिंह ने अलग ही तरीके से पड़ोसी मुल्क को घेरा। उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान ने भारत के साथ दोस्ताना संबंध रखा होता तो भारत उसे बड़ा राहत पैकेज देता। राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि मेरे पाकिस्तानी दोस्तों, हमारे बीच तनावपूर्ण संबंध क्यों हैं, हम पड़ोसी हैं। अगर हमारे बीच अच्छे संबंध होते, तो हम आईएमएफ से अधिक पैसे देते। राजनाथ सिंह ने कहा कि पीएम मोदी ने 2014-15 में जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की थी। ये अब 90,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह पैकेज पाकिस्तान के आईएमएफ से मांगी गई राहत पैकेज से कहीं अधिक है। इस तरह भारत ने पाकिस्तान को दाम यानी फंडिंग वाले दांव से भी घेरने की कोशिश की है।
इस तरह हिंदुस्तान लगातार ‘चाणक्य नीति’ के जरिए पाकिस्तान को न केवल अलग-थलग करने की राह पर जुटा है। इसी बीच पड़ोसी मुल्क को एक और बड़ा झटका उस समय लगा जब उसके ‘मित्र’ राष्ट्र ने ही संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान का साथ छोड़ दिया। पाकिस्तान से दोस्ती और भारत विरोधी रुख के लिए चर्चित तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगान ने पाकिस्तान को बड़ा झटका दिया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में दिए अपने वार्षिक भाषण में उन्होंने गाजा युद्ध को लेकर जमकर हमला बोला लेकिन कश्मीर का जिक्र तक नहीं किया। साल 2019 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब एर्दोगान ने संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर के मुद्दे से किनारा किया है। इससे पहले खलीफा एर्दोगान ने साल 2023, साल 2022, साल 2021 और साल 2020 में कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में उठाया था। तुर्की के इस बदले रुख से पाकिस्तान परेशान जरूर हुआ होगा।
पाकिस्तान को बैकफुट पर धकेलने के लिए भारत की ओर से केवल जुबानी अटैक ही नहीं किए जा रहे, कई कूटनीतिक दांव भी केंद्र सरकार चल रही। जैसे कि पाकिस्तान की धरती पर खेल को लेकर होने वाले कोई भी अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भारतीय टीम शिरकत नहीं कर रही। पाकिस्तान की धरती पर होने वाले कोई भी बड़े समिट में भारतीय नेता या अधिकारी शामिल नहीं होते। भारत सरकार ने पाकिस्तान के सीधे तौर पर कोई संबंध इसलिए तोड़ रखा है क्योंकि वो लगातार आतंकवाद का सपोर्ट करता रहा है। जब तक पाकिस्तान इससे खुद को अलग पेश नहीं करता स्थिति में कोई बदलाव मुमकिन नहीं है। ऐसे में पाकिस्तान की सरकार को अपने रवैये में बदलाव लाने पर विचार करना जरूरी हो गया है।