आज हम आपको बताएंगे कि क्या आने वाले समय में भी शेख हसीना की भारत रक्षा करेगा या नहीं! जब बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल हो रही थी, तब भारत को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कार्रवाई करनी पड़ी। शेख हसीना उस समय अपना देश छोड़ रही थीं। सुरक्षा एजेंसियों ने हर संभावना के लिए तैयारी की क्योंकि हसीना वायु सेना के एक जेट विमान से भारत की ओर बढ़ रही थीं। दोपहर करीब तीन बजे, भारतीय वायु सेना के रडार ने बांग्लादेश से भारतीय सीमा की ओर एक कम उड़ान वाला विमान आते हुए देखा। भारत ने हाई प्रोफाइल यात्री के बारे में जागरूक सुरक्षा कर्मियों ने विमान को भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति दी। सुरक्षा प्रदान करने के लिए, पश्चिम बंगाल के हाशिमारा वायु सेना बेस से 101 स्क्वाड्रन के दो राफेल लड़ाकू विमानों को बिहार और झारखंड के ऊपर तैनात किया गया। विमान ने अपने तय किए गए रास्ते पर उड़ान भरी। वहीं, जमीन पर मौजूद एजेंसियों ने लगातार नजर रखी। विमान और भारत के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के बीच लगातार संपर्क बना रहा।
वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी और थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने स्थिति पर कड़ी नजर रखी। इसके बाद एक हाई लेवल बैठक बुलाई गई। इसमें खुफिया एजेंसियों के प्रमुख, जनरल द्विवेदी और इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जॉनसन फिलिप मैथ्यू शामिल हुए। जब शाम करीब साढ़े पांच बजे हसीना का जहाज़ हिंडन एयर बेस पर उतरा, तो उनका स्वागत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने किया। दोनों ने एक घंटे तक बैठक की जिसमें बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति और हसीना की आगे की योजनाओं पर चर्चा हुई। इसके बाद डोभाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति को जानकारी दी। दिन भर प्रधानमंत्री को पूरी जानकारी दी जाती रही थी।
हसीना के इस्तीफे और देश छोड़ने के बाद सोमवार से बांग्लादेश में अफरा-तफरी मच गई थी। नौकरी कोटे के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुए थे जो बाद में हसीना के खिलाफ पूरे पैमाने पर आंदोलन बन गए थे। इन प्रदर्शनों पर जबरदस्त कार्रवाई के बाद हसीना ने इस्तीफा दे दिया था। जैसे ही हसीना के इस्तीफे की खबर फैली, उग्र भीड़ सड़कों पर उतर आई। इसी बीच बांग्लादेश के प्रदर्शनकारियों की मांग है कि शेख हसीना के खिलाफ मुकदमा चलाया जाए और कानून के अनुसार सजा दी जाए। हालांकि, प्रदर्शनकारियों की इस मांग पर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने चुप्पी साध रखी है। बांग्लादेश के मुस्लिम कट्टरपंथियों और विपक्षी नेताओं ने भारत में शेख हसीना का घेराव करने का भी आह्वान किया था। शेख हसीना भारत में कब तक रुकेंगी, इसे लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आई है। कुछ लोगों ने उनके पिता और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की प्रतिमा को तोड़ दिया। राष्ट्र के नाम संबोधन में सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने घोषणा की कि एक अंतरिम सरकार बनाई जाएगी और उन्होंने देश की पूरी जिम्मेदारी लेते हुए अधिकांश राजनीतिक दलों के सदस्यों से मुलाकात की है।
बता दे कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के गृह मामलों के सलाहकार ब्रिगेडियर जनरल सेवानिवृत्त एम सखावत हुसैन ने सोमवार को प्रदर्शनकारियों से 19 अगस्त तक सभी अवैध और अनधिकृत हथियार जमा करने को कहा, जिनमें हालिया हिंसा के दौरान एजेंसियों से लूटी गई राइफल भी शामिल हैं। यह जानकारी एक मीडिया रिपोर्ट में दी गई। ‘द डेली स्टार’ अखबार की खबर के अनुसार, हुसैन ने कहा कि अगर ये हथियार पास के थानों में नहीं जमा किए जाते तो अधिकारी तलाशी अभियान चलाएंगे और अगर किसी के पास अनधिकृत शस्त्र पाए जाते हैं तो उसके खिलाफ आरोप दर्ज किए जाएंगे। बता दें कि ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक सखावत हुसैन ने सोमवार को शेख हसीना को संबोधित करते हुए कहा, ‘हमें पता चला है कि आप देश लौटने की योजना बना रही हैं। सवाल है कि आप यहां से गई ही क्यों थीं। आप अपनी मर्जी से गईं ना कि किसी ने आप पर दबाव डाला। यह आपका देश है और हम आपका सम्मान करते हैं। आप वापस आने का फैसला करती हैं तो आपका स्वागत है। बस इतनी गुजारिश है कि वापस आकर लोगों को भड़काने या अराजकता फैलाने की कोशिश करने से बचें। आप ऐसा करती हैं तो फिर मुश्किल हो सकती है।’
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस, एम सखावत और दूसरे अहम नेताओं ने हिंदू छात्रों और युवाओं के साथ बैठक की है। इस बैठक के बाद गृह मंत्रालय में प्रेस से बात करते हुए सखावत ने हसीना की वापसी के सवासल पर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि कहा कि जातीय पार्टी के नेता हुसैन मुहम्मद इरशाद को देश छोड़ने या जेल जाने का विकल्प दिया गया था तो इरशाद ने जेल जाना चुना था। हम कहेंगे कि शेख हसीना को भी वापस लौटना चाहिए।