आने वाले समय में अब भारतीय पुलिस के पास भी हाइटेक गन हो सकती है! जर्मनी ने हाल ही में भारत को छोटे हथियार बेचने पर लगी रोक हटा दी है। यह कदम दोनों देशों के बीच रणनीतिक और सैन्य संबंध मजबूत होने का संकेत माना जा रहा है। सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। पहले, जर्मनी गैर-नाटो देशों को छोटे हथियार बेचने पर रोक लगाता था। लेकिन, अब भारत को एक अपवाद के तौर पर छूट दे दी है। इसका मतलब है कि अब जर्मनी से भारत की सेना और राज्य पुलिस को छोटे हथियार मिल सकेंगे। दूतावास से जुड़े सूत्रों के अनुसार, जर्मनी ने इस महीने की शुरुआत में भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड को उनकी MP5 सबमशीन गन के लिए अतिरिक्त पुर्जे और सामान खरीदने की अनुमति दे दी है। जर्मन कंपनी हेकलर एंड कोच ही MP5 सबमशीन गन बनाती है, जो अभी भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड और नौसेना के मार्कोस कमांडो इस्तेमाल करते हैं। सूत्रों के मुताबिक, जर्मनी ने हाल ही में अपने हथियार निर्यात के नियमों को भी आसान बना दिया है। पिछले महीने भारत की कई डिमांड को मंजूर किया है। पहले भी, छोटे हथियारों के अलावा, 95% भारतीय डिमांड मंजूर हो जाते थे, लेकिन प्रक्रिया में बहुत समय लगता था। इसी वजह से जर्मनी ने अब नियमों को आसान बनाया है। भारत और जर्मनी के आपसी संबंध मजबूत हो रहे हैं और दोनों देश रणनीतिक साझेदार बनकर उभर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, दोनों देशों के बीच सहयोग कई क्षेत्रों में बढ़ रहा है, खासकर अंतरराष्ट्रीय जल में जहाजों के स्वतंत्र आवागमन की आजादी, रास्ते के अधिकार और समुद्री कानून से जुड़े अन्य अधिकारों को लेकर। ये अधिकार संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन और अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों पर आधारित हैं। साथ ही, दोनों देशों की विदेश नीति के लक्ष्य भी काफी हद तक मिलते-जुलते हैं।
इस बढ़ते सहयोग की एक मिसाल ये भी है कि जर्मनी और भारत के बीच सैन्य सहयोग भी मजबूत हो रहा है। उदाहरण के तौर पर, इस साल अगस्त में होने वाले बहुराष्ट्रीय वायु युद्धाभ्यास ‘तंरग शक्ति’ में जर्मनी पहली बार बड़े पैमाने पर भाग लेगा। इस महीने की शुरुआत में, भारतीय नौसेना का एक दल जर्मनी के दौरे पर गया था, जहां उन्होंने जर्मनी द्वारा पेश किए जाने वाले Air Independent Propulsion System का निरीक्षण किया। यह दल स्पेनिश कंपनी नवांटिया के AIP सिस्टम का भी निरीक्षण करेगा, जो पनडुब्बी कार्यक्रम के लिए एक अन्य दावेदार है।जर्मनी अपने लड़ाकू विमानों के साथ इस अभ्यास में हिस्सा लेगा और एयरबस कंपनी द्वारा बनाए गए A-400M परिवहन विमान को भी प्रदर्शित करेगा। भारतीय वायुसेना अपने पुराने AN-32 विमानों को बदलने के लिए 18 से 30 टन तक का सामान ले जाने वाले मध्यम परिवहन विमान (MTA) की तलाश कर रही है, जिसमें कई अंतरराष्ट्रीय विमान निर्माता रुचि दिखा रहे हैं।
इसके अलावा, अक्टूबर के आखिर में जर्मनी के दो जहाज-संभवत: एक फ्रिगेट और एक टैंकर जहाज, भारत आने वाले हैं। ये जहाज भारत आने के बाद भारतीय नौसेना के साथ कुछ नौसैनिक युद्धाभ्यास में भी शामिल होंगे।सबमशीन गन के लिए अतिरिक्त पुर्जे और सामान खरीदने की अनुमति दे दी है। जर्मन कंपनी हेकलर एंड कोच ही MP5 सबमशीन गन बनाती है, जो अभी भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड और नौसेना के मार्कोस कमांडो इस्तेमाल करते हैं। सूत्रों के मुताबिक, जर्मनी ने हाल ही में अपने हथियार निर्यात के नियमों को भी आसान बना दिया है। पिछले महीने भारत की कई डिमांड को मंजूर किया है। पहले भी, छोटे हथियारों के अलावा, 95% भारतीय डिमांड मंजूर हो जाते थे, लेकिन प्रक्रिया में बहुत समय लगता था। इसी वजह से जर्मनी ने अब नियमों को आसान बनाया है। जर्मनी भारत के भविष्य के हल्के टैंकों के लिए इंजन उपलब्ध कराने पर भी बातचीत कर रहा है, हालांकि यह अभी शुरुआती चरण में है और इस पर विचार किया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, जर्मनी की तरफ से भारत की नौसेना के लिए 6 आधुनिक परंपरागत पनडुब्बियों की बिक्री के लिए भारत और जर्मनी के बीच एक सरकारी-सरकारी समझौते के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। इस महीने की शुरुआत में, भारतीय नौसेना का एक दल जर्मनी के दौरे पर गया था, जहां उन्होंने जर्मनी द्वारा पेश किए जाने वाले Air Independent Propulsion System का निरीक्षण किया। यह दल स्पेनिश कंपनी नवांटिया के AIP सिस्टम का भी निरीक्षण करेगा, जो पनडुब्बी कार्यक्रम के लिए एक अन्य दावेदार है।