क्या पेजर बम जैसे आधुनिक हथियारों से बचना संभव हो पाएगा?

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यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या पेजर बम जैसे आधुनिक हथियारों से भविष्य में बचना संभव हो पाएगा या नहीं! लेबनान में हिजबुल्लाह के सदस्य मंगलवार तब चौंक गए जब उनके पेजर में विस्फोट हो गया। किसी की जेब में तो किसी के हाथ में ही पेजर विस्फोट हो गया। इस पेजर ब्लास्ट में 11 लोग मारे गए और हजारों घायल हैं। हिजबुल्लाह ने इसके पीछे इजरायल को जिम्मेदार ठहराया है। बताया जा रहा है कि ये पेजर मूल रूप से हिजबुल्लाह के कम्युनिकेशन के लिए थे,लेकिन इजरायली एजेंसी ने इनको विस्फोटक में बदल दिया। हिजबुल्लाह के एक अधिकारी ने बताया कि इस घटना के पीछे इजराइल का हाथ है। हिजबुल्लाह के सदस्यों के पास जो नए पेजर थे, उनमें लिथियम बैटरी थी जो फट गई। लिथियम बैटरी जब अधिक गर्म होती है तो धुआं छोड़ती है, पिघलती है और यहां तक कि उसमें आग भी लग जाती है। हिजबुल्लाह के सदस्य पेजर का इस्तेमाल खास नजर से बचने के लिए कर रहे थे। भारत में 90 के दशक में पेजर का इस्तेमाल होता था लेकिन कुछ ही साल बाद यह पूरी तरह चलन से बाहर हो गया। अब सवाल यह भी है कि क्या ऐसे हमलों से बचा जा सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक इन पेजर को इस साल अप्रैल-मई के महीने में ताइवान से लेबनान भेजा गया था। ऐसे में इस बात की पूरी गुंजाइश है कि इसकी तैयारी कई महीने पहले ही कर ली गई थी। जिन पेजर में विस्फोट हुआ उनमें 3 ग्राम के करीब विस्फोटक लगा हुआ था। इसे पेजर में लगी बैटरी के बगल में विस्फोटक लगाया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक दोपहर के वक्त इन पेजर्स पर एक संदेश आया और इस मैसेज ने पेजर में लगे विस्फोटक को एक्टिवेट कर दिया।

हिजबुल्लाह के सदस्यों को आपसी बातचीत के लिए मोबाइल फोन की जगह पेजर का इस्तेमाल करने को कहा गया था। मोबाइल से दूर रहने को कहा गया था और यह आशंका जाहिर की गई थी कि ऐसा करते हैं तो इजरायल उन्हें आसानी से निशाना बना सकता है। पेजर छोटा कम्युनिकेशन डिवाइस होता है जिनका इस्तेमाल मोबाइल फोन के आने से पहले एक दूसरे को मैसेज भेजने के लिए किया जाता था। आसान शब्दों में इसे समझें तो एसएमएस भेजने का एक उपकरण। पेजर पर कोई मैसेज आता है तो लाइट ब्लिंक होती है जिसके बाद यूजर को नए मैसेज के बारे में पता चलता है।

पेजर के अंदर एक छोटा विस्फोटक लगाकर दूर से ही एक्टिवेट किया गया। यह एक्टिवेशन किसी रेडियो सिग्नल के जरिए भी किया जा सकता है। एक बार जब विस्फोटक को एक्टिवेट किया जाता है तो यह एक शक्तिशाली विस्फोट पैदा करता है जो पेजर और आसपास की चीजों को नष्ट कर देता है। पेजर बम के इस्तेमाल के पीछे कई कारण हो सकते हैं। सबसे पहले इसका इस्तेमाल टारगेट किलिंग के लिए किया जा सकता है। यह एक बेहद खतरनाक तरीका है क्योंकि जिसे टारगेट किया गया उसे पता भी नहीं चल पाता कि उसे मारा कैसे गया। दूसरे, इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर विध्वंस के लिए भी किया जा सकता है। कई पेजर बमों को एक साथ रखकर किसी बिल्डिंग को भी उड़ाया जा सकता है।

पेजर विस्फोट या इस प्रकार के ब्लासट से जुड़े कई खतरे हैं। सबसे बड़ा खतरा यह है कि इसका पता लगाना काफी मुश्किल होता है। क्योंकि यह एक छोटे से डिवाइस के अंदर छिपा होता है, इसलिए इसे पहचान पाना लगभग नामुमकिन है। दूसरा खतरा यह है कि इसे अनजाने में एक्टिवेट किया जा सकता है। अगर किसी को यह पता न चले कि पेजर में विस्फोटक लगा है, तो वह इसे अनजाने में एक्टिवेट कर सकता है, जिससे एक विस्फोट हो सकता है। मेटल डिटेक्टर में आसानी से पकड़ में नहीं आता। लेबनान में इन हमलों की खबरों के बाद इस तरह के हमलों की आशंका बढ़ गई है।

बता दे कि लेबनान में हुए हमलों का आरोप इजरायल पर है। ये अटैक उस ओर इशारा करते हैं कि एआई के दौर में यह और कितना खतरनाक हो सकता है। ऐसे अटैक हो सकते हैं जिनकी कल्पना भी जल्द नहीं की जा सकती। इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स को छूने से भी इस वक्त लेबनान में लोग डर रहे हैं।आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दखल हर फील्ड में बढ़ता जा रहा है। जरूरी नहीं कि किसी देश पर हमला करने के लिए मिसाइल या तोप का इस्तेमाल हो। मानव इतिहास में युद्ध का एक अंधकारमय अध्याय रहा है। सदियों से मनुष्य ने अधिक शक्तिशाली हथियार बनाने में अपना समय लगाया है। तलवार और धनुष से लेकर तोप और मिसाइल तक, युद्ध के तरीके लगातार विकसित होते रहे हैं। लेकिन अब, एक नई तकनीक ने युद्ध के परिदृश्य को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है वह है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मशीनों को इंसानों की तरह सोचने और सीखने की क्षमता प्रदान करती है। AI का उपयोग अब युद्ध में कई तरह से किया जा रहा है, जैसे कि ड्रोन, साइबर युद्ध, लॉजिस्टिक्स और युद्ध सिमुलेशन। ये हथियार बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के अपने टारगेट को पहचान उन पर हमला कर सकते हैं। AI से लैस ड्रोन अब युद्ध के मैदान में निगरानी, हमला और तलाशी जैसे कई काम कर सकते हैं। AI युद्ध के कुछ फायदे भी हैं और कुछ नुकसान भी। AI से लैस हथियार अधिक सटीक माने जा रहे हैं। आम नागरिकों के हताहत होने की संभावना कम होती है। AI से लैस सिस्टम बहुत तेजी से फैसले ले सकते हैं। लेकिन, इनके गलत हाथों में जाने का खतरा हमेशा बना रहता है। AI युद्ध के नैतिक पहलुओं के बारे में कई सवाल उठते हैं, जैसे कि एक मशीन को किसी इंसान को मारने का फैसला लेने देना कितना उचित है।

AI युद्ध के भविष्य को पूरी तरह से बदल सकता है। AI से लैस रोबोट और ड्रोन युद्ध के मैदान में आम हो सकते हैं। साइबर युद्ध एक प्रमुख युद्ध का मैदान बन सकता है। AI युद्ध को अधिक मुश्किल और अप्रत्याशित बना सकता है। एआई से युद्ध के तरीके भी बदले हैं। एआई से संचालित ड्रोन और रोबोट अब आम होते जा रहे हैं। एआई डेटा का विश्लेषण करके दुश्मन की गतिविधियों का पूर्वानुमान लगा सकता है और रणनीति बनाने में मदद कर सकता है। साइबर हमले अब युद्ध का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं और एआई का उपयोग इन हमलों का पता लगाने और उनसे बचाव के लिए किया जा रहा है।