यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या ममता बनर्जी मुस्लिम समुदाय का विश्वास जीत पाएगी या नहीं !लोकसभा चुनावों के बीच कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा पश्चिम बंगाल में 14 सालों में जारी हुए ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द करने पर जहां राजनीति गरमा गई है तो वहीं दूसरी तरफ कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले से सियासी नफा-नुकसान का आकलन शुरू हो गया। राज्य की सत्ता पर काबिज तृणमूल कांग्रेस को कलकत्ता हाईकोर्ट से नुकसान हो सकता है। राज्य में अभी भी छठवें और सातवें चरण में 17 सीटों पर वोटिंग होनी हैं। इनमें 12 सीटें टीएमसी और पांच सीटें बीजेपी के पास हैं। पश्चिम बंगाल में टीएमसी के वोट बैंक में एक बड़ा हिस्सा मुस्लिम आबादी का है। कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले का असर लोकसभा चुनावों के लिए बची सीटों की वोटिंग में दिख सकता है। कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद करीब पांच लाख ओबीसी सर्टिफिकेट प्रमाण रद्द हो गए हैं। BJP समुदाय के 15 फीसदी वोट को लक्ष्य बना कर चल रही है और इसके लिए बीते कुछ समय में पसमांदा मुसलमानों को लेकर पार्टी का खास फोकस रहा है। हाईकोर्ट ने नए सर्टिफिकेट जारी करने पर भी तुंरत प्रभाव से रोक लगा दी है, हालांकि कोर्ट के फैसले पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अमल करने से मना कर दिया है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि पश्चिम बंगाल सरकार इस हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है। हाईकोर्ट ने राज्य में 2010 के बाद जारी हुए ओबीसी सर्टिफिकेट को रद्द किया है। कोर्ट ने यह फैसला बिना पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के बिना ही मुस्लिमों को ओबीसी शामिल को असंवैधानिक माना है। राज्य में जिन सीटों पर वोटिंग बाकी है। उनमें काफी सीटों पर मुस्लिम वोट काफी निर्णायक स्थिति में हैं। हाईकोर्ट के फैसले पर लेफ्ट के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि वह ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द किए जाने के कारणों को देखने के बाद प्रतिक्रिया देंगे। पश्चिम बंगाल में ओबीसी के लिए कुल 17 फीसदी आरक्षण है। यह आरक्षण दो कैटेगरी में बंटा हुआ है। इनमें पहली कैटेगरी ओबीसी-ए है। इसमें तय किए 10 फीसदी आरक्षण में कुल 81 कम्युनिटी हैं। इनमें 56 मुस्लिम समाज से हैं। ओबीसी-बी कैटेगरी में कुल सात फीसदी आरक्षण है। इसमें 99 कम्युनिटी को रखा गया है। इनमें 41 मुस्लिम हैं।
कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा ओबीसी सर्टिफिकेट को रद्द किए जाने के मुद्दे पर बीजेपी ने ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल सरकार पर निशाना साधा है। कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के कुछ घंटे बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में पार्टी की एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने इंडी अलायंस को बड़ा थप्पड़ मारा है। बता दें कि बंगाल की राजनीति पर विश्लेषक जयंत घोषाल का कहना है कि फिलहाल 30% मुस्लिम वोट बैंक कांग्रेस, CPM और मुस्लिम सेकुलर फ्रंट जैसे दलों में बिखरा है। जिस तरह से TMC सुप्रीमो ममता बनर्जी CAA के मुद्दे पर BJP के खिलाफ प्रचार कर रही हैं ऐसे में यह समुदाय तृणमूल के खाते में चला गया तो BJP को दिक्कत हो सकती है।
राजनीतिक दल भले ही मुस्लिम उम्मीदवारों को खुले हाथ से टिकट देने में हिचकते हों, लेकिन मुस्लिम वोटों की दरकार सबको है। BJP समुदाय के 15 फीसदी वोट को लक्ष्य बना कर चल रही है और इसके लिए बीते कुछ समय में पसमांदा मुसलमानों को लेकर पार्टी का खास फोकस रहा है।
पीएम मोदी ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने गैरजरूरी और गलत तरीके से मुस्लिमों को ओबीसी में आरक्षण दे दिया। पीएम मोदी ने कहा यह सिर्फ वोट बैंक की पॉलिटिक्स के लिए किया गया। बता दें कि सीताराम येचुरी ने कहा कि वह ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द किए जाने के कारणों को देखने के बाद प्रतिक्रिया देंगे। पश्चिम बंगाल में ओबीसी के लिए कुल 17 फीसदी आरक्षण है। यह आरक्षण दो कैटेगरी में बंटा हुआ है। इनमें पहली कैटेगरी ओबीसी-ए है। इसमें तय किए 10 फीसदी आरक्षण में कुल 81 कम्युनिटी हैं। पीएम मोदी ने मुस्लिमों से अपील की कि वे आने वाले चुनावों में ऐसे दलों को पहचाने जो उनके साथ वोट बैंक पॉलिटिक्स खेल रहे हैं।इसमें तय किए 10 फीसदी आरक्षण में कुल 81 कम्युनिटी हैं। इनमें 56 मुस्लिम समाज से हैं। ओबीसी-बी कैटेगरी में कुल सात फीसदी आरक्षण है। इसमें 99 कम्युनिटी को रखा गया है। इनमें 41 मुस्लिम हैं। पीएम मोदी के हमले के बाद साफ है कि बीजेपी आने वाले दिनों इस मुद्दे पर और आक्रामक सकती है। ऐसे में देखना है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी सरकार के फैसलों का कैसे बचाव करती हैं?