यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या मोदी सरकार कतर सरकार से निखिल ला पाएगी या नहीं! अमेरिका में सिख अलगाववादी की हत्या कराने की साजिश करने के आरोपी निखिल गुप्ता पर अमेरिका की अदालत में केस चलेगा। 53 वर्षीय गुप्ता को न्यूयॉर्क में खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश में शामिल होने के आरोप में अमेरिका सरकार के अनुरोध पर 30 जून, 2023 को चेक गणराज्य में गिरफ्तार किया गया था। गुप्ता को 14 जून को अमेरिका प्रत्यर्पित किया गया था। अमेरिकी अटॉर्नी जनरल मेरिक गार्लैंड के अनुसार गुप्ता पर सुपारी देकर हत्या कराने और साजिश रचने के आरोप हैं। आरोपों की जांच के लिए भारत पहले ही एक जांच समिति गठित कर चुका है। अमेरिकी जांचकर्ताओं का दावा है कि गुप्ता को एक भारतीय सरकारी एजेंट की तरफ से काम पर रखा गया था। अगर गुप्ता को दोषी करार दिया जाता है तो उसे प्रत्येक आरोप के लिए अधिकतम 10 साल कैद की सजा सुनाई जा सकती है। वहीं, गुप्ता इस मामले में खुद को बेगुनाह बता रहे हैं। अब सवाल है कि क्या मोदी सरकार निखिल गुप्ता को अमेरिका से उसी तरह छुड़ा पाएगी जिस तरह उसने कतर में फांसी की सजा पाए 8 पूर्व नौसैनिकों को भारत लाने में कामयाब रही थी। हालांकि, कतर की शासन प्रणाली और अमेरिका की शासन प्रणाली में अंतर हैं। कतर में अमीर का शासन चलता है। इसके उलट अमेरिका में लोकतांत्रिक प्रणाली है।
निखिल गुप्ता, जिन्हें ‘निक’ के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय नागरिक हैं। सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने के आरोपी गुप्ता को फिलहाल ब्रुकलिन के मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में रखा गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार निखिल गुप्ता बिजनेस और टूरिज्म के लिए चेक गणराज्य गए थे। दूसरी तरफ, चेक गणराज्य के अधिकारियों को बताया गया था कि वो एक ड्रग बिजनेसमैन हैं। इसके बाद उन्हें एयरपोर्ट पर नशीली दवाओं की स्मगलिंग का आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद चेक रिपब्लिक की अदालत ने सुनवाई के बाद निखिल गुप्ता के प्रत्यर्पण की मंजूरी दी थी।
भारतीय नौसेना के 8 पूर्व कर्मी कतर में दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टिंग सर्विसेज में काम करते थे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इन लोगों इजरायल के लिए कथित रूप से जासूसी करने के आरोप में अगस्त 2022 को गिरफ्तार किया गया था। इन लोगों पर कतर की अदालत में केस चला। गिरफ्तारी के करीब 14 महीने बाद अक्टूबर 2023 में इन लोगों को फांसी की सजा दी गई। फांसी की सजा के बाद नौसैनिकों के परिजनों ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की थी। विदेश मंत्री ने पूर्व नौसैनिकों के परिजनों को मदद का भरोसा दिया था। इसके बाद भारत ने कतर को मनाने के लिए तुर्किए की मदद लेने की कोशिश की थी। माना जाता है कि कतर और तुर्किए के बीच संबंध काफी बेहतर हैं। भारत सरकार की तरफ से पूर्व नौसैनिकों पर लगे आरोपों पर कुछ भी नहीं कहा गया है। हालांकि, भारत ने अपने नागरिकों के साथ सही व्यवहार पर जोर दिया। 28 दिसंबर 2023 को नौसैनिकों की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया।
इस साल फरवरी में कतर ने भारत के सभी आठों पूर्व नौसैनिकों को रिहा कर दिया। इस रिहाई को मोदी सरकार की कूटनीतिक सफलता बताया गया। नौसैनिकों की रिहाई से पहले पीएम मोदी ने कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल थानी से मुलाकात की थी। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार नौसैनिकों की रिहाई ऐसे समय हुई थी जब भारत ने कतर से 78 अरब डॉलर की एलएनजी डील की। नौसैनिकों की रिहाई के पीछे इस डील को भी मुख्य कारण माना गया। मोदी सरकार निखिल गुप्ता को अमेरिका से उसी तरह छुड़ा पाएगी जिस तरह उसने कतर में फांसी की सजा पाए 8 पूर्व नौसैनिकों को भारत लाने में कामयाब रही थी। हालांकि, कतर की शासन प्रणाली और अमेरिका की शासन प्रणाली में अंतर हैं। कतर में अमीर का शासन चलता है। इसके उलट अमेरिका में लोकतांत्रिक प्रणाली है।भारत और कतर के बीच यह सौदा 20 साल के लिए हुआ। कतर कुछ समय पहले तक एलएनजी लिक्विफाइड नेचुरल गैस का सबसे बड़ा निर्यातक था। हालांकि, बाद में अमेरिका ने उसे पीछे छोड़ दिया था। कतर वैश्विक बाजार में दोबारा अपने दबदबे के लिए बेचैन था। कतर इसके लिए एशिया में नए बाजार की तलाश में था। भारत के साथ हुए इस सौदे ने उसे बड़ा मौका दिया।