आपने हाल ही के दिनों में देखा होगा कि गुलाम नबी आजाद कांग्रेस से बिल्कुल जुदा हो गए हैं! कांग्रेसी बागियों का जी-23 ग्रुप पिछले कई महीनों से नेतृत्व को चुनौती दे रहा है। ताजा टकराव कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव की मतदाता सूची को वेबसाइट पर डालने को लेकर है। आनंद शर्मा, मनीष तिवारी और शशि थरूर जैसे वरिष्ठ नेताओं द्वारा मतदाता सूची को सार्वजनिक करने की मांग रखी है। जी-23 के नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी छोड़ते हुए वोटर लिस्ट को फर्जी बताया था। चर्चा भी है कि जी-23 के नेता इस मांग को बढ़ाकर पूरी चुनाव प्रक्रिया और चुनाव पर ही सवाल लगा सकते हैं? पार्टी सचिव वीरेंद्र वशिष्ठ ने इसे और जी- 23 नेताओं द्वारा मतदाता सूची पर सार्वजनिक रूप से सवाल उठाने को अनुशासनहीनता का मामला बताया है। पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है। यह चुनाव से पहले जी-23 और बाकी नेताओं के बीच बढ़ते टकराव का संकेत है। गुलाम नबी आजाद ने पार्टी छोड़ी तो सवाल उठा कि और कितने इस रास्ते जाएंगे? इसमें, बाद में कई और नेता जुड़े।
- कपिल सिब्बल-जी-23 को एकजुट करने में सबसे बड़ी पहल कपिल सिब्बल ने की थी। यूपीए सरकार में अहम मंत्रालय संभाल चुके सिब्बल ने जी-23 की ओर से एक बार प्रेस कांफ्रेंस भी की। अब वह अब कांग्रेस छोड़, समाजवादी पार्टी के समर्थन से बतौर निर्दलीय राज्यसभा में दोबारा आ चुके हैं।
- गुलाम नबी आजाद-कांग्रेस के पुराने नेता और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके गुलाम नबी आजाद भी कांग्रेस छोड़ चुके हैं। यूपीए सरकार में मंत्री रहे आजाद जी-23 के सबसे सीनियर नेताओं में थे। अब जम्मू-कश्मीर में अपनी नई पार्टी बना रहे हैं।
- आनंद शर्मा-हिमाचल प्रदेश से कांग्रेस के सीनियर नेता आनंद शर्मा भी यूपीए में सीनियर मंत्री रह चुके हैं। पिछले कुछ समय से इनके बीजेपी के संपर्क में रहने की बात कही जा रही है, लेकिन उन्होंने हमेशा इसका खंडन किया। हिमाचल में चुनाव इसी साल हैं, लेकिन वह सक्रिय नहीं हैं।
- भूपेंद्र सिंह हुड्डा
हरियाणा के पूर्व सीएम भी इस गुट का हिस्सा थे। बाद में जब पार्टी ने प्रदेश संगठन में इनकी मांग के अनुरूप बदलाव किया, तब से यह मान गए हैं। हालांकि पिछले दिनों जब हुड्डा गुलाम नबी आजाद से मिलने गए तो फिर अटकलें शुरू हुईं, लेकिन वह नाराजगी से इनकार करते हैं।
- मिलिंद देवड़ा-महाराष्ट्र के युवा नेता भी यूपीए सरकार में मंत्री रह चुके हैं। इनकी नाराजगी इस बात को लेकर थी कि इन्हें पार्टी में उचित जगह नहीं दी गई। मिलिंद देवड़ा को पिछले दिनों पार्टी ने गुजरात विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका दी। उसके बाद से माना जा रहा है कि इनकी नाराजगी दूर हो गई।
- संदीप दीक्षित-दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित के बेटे और पूर्व सांसद संदीप जी-23 के सबसे मुखर सदस्यों में थे। लेकिन पिछले कुछ समय से उन्होंने इस गुट को छोड़ने का संकेत दिया। गुलाम नबी आजाद के पार्टी छोड़ने पर संदीप दीक्षित ने चिट्ठी लिखकर उनकी आलोचना की।
- शशि थरूर-केरल से कांग्रेस सांसद शशि थरूर अपने बयानों से पिछले कुछ दिनों से विवादों में भी हैं। उन्होंने संकेत दिया है कि वह पार्टी अध्यक्ष के चुनाव में अपनी दावेदारी ठोक सकते हैं। वह चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाने वालों में भी शामिल हैं।
- पृथ्वीराज चव्हाण-महाराष्ट्र के पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण अभी भी असंतुष्ट गुट का हिस्सा माने जाते हैं। गुलाम नबी आजाद के पार्टी छोड़ने के बाद उन्होंने उनके पक्ष में बयान दिया। राहुल गांधी के भी विरोधी गुट में माने जाते हैं। उनके बीजेपी से संपर्क में रहने की बात बीच-बीच में उठती रहती है।
- वीरप्पा मोइली-कर्नाटक से सीनियर पार्टी नेता वीरप्पा मोइली भी कांग्रेस में बड़े बदलाव को लेकर जी-23 का हिस्सा बने, शुरू में कई बयान भी दिए। लेकिन बाद में उन्होंने इस गुट से किनारा कर लिया और इस गुट के खिलाफ भी बयान दिया।
- रजिंदर कौर भट्टल-कांग्रेस की वरिष्ठ नेता राजिंदर भट्टल पंजाब के पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह की करीबी मानी जाती हैं। हालांकि वह कांग्रेस में बनी रहीं, लेकिन चुनाव हार गईं। 77 साल की भट्टल पिछले कुछ दिनों से शांत हैं।
- मनीष तिवारी-कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी न सिर्फ जी-23 गुट के सक्रिय सदस्य हैं, बल्कि पार्टी और इसके कामकाज के कटु आलोचक भी बन गए हैं। माना जा रहा है कि पार्टी से देर-सबेर उनकी विदाई तय है। ये भी पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी माने जाते हैं।