यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या हमारी भारतीय पनडुब्बी चीन और पाकिस्तान को हरा पाएगी या नहीं ! रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विशाखापत्तनम में भारतीय नौसेना की दूसरी स्वदेशी पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट को लॉन्च किया। यह पनडुब्बी भारत की परमाणु क्षमता को और मजबूत करेगी और देश की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाएगी। आईएनएस अरिघाट, 6,000 टन वजनी है और यह भारत की परमाणु मारक क्षमता का अहम हिस्सा है। यह पनडुब्बी K-15 और K-4 मिसाइलों से लैस हो सकती है, जिनकी मारक क्षमता 750 किलोमीटर और 3,500 किलोमीटर है। आईएनएस अरिघाट, आईएनएस अरिहंत के बाद भारत की दूसरी स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी है। आईएनएस अरिहंत को 2018 में सेना में शामिल किया गया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आईएनएस अरिघाट भारत की परमाणु तिकड़ी को और मजबूत करेगी, परमाणु निवारण को बढ़ाएगी, क्षेत्र में रणनीतिक संतुलन और शांति स्थापित करने में मदद करेगी और देश की सुरक्षा में निर्णायक भूमिका निभाएगी। परमाणु तिकड़ी का मतलब है कि एक देश के पास जमीन, हवा और समुद्र तीनों जगहों से परमाणु हमला करने की क्षमता हो। भारत, अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन दुनिया के छह देश हैं जिनके पास परमाणु तिकड़ी है।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए, जिन्होंने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, राजनाथ सिंह ने कहा कि आज भारत एक विकसित देश बनने की ओर अग्रसर है। आज के भू-राजनीतिक परिदृश्य में विशेष रूप से रक्षा सहित, हर क्षेत्र में तेजी से विकास करना हमारे लिए आवश्यक है। उन्होंने आगे कहा कि आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ हमें एक मजबूत सेना की भी जरूरत है। हमारी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए मिशन मोड में काम कर रही है कि हमारे सैनिकों के पास भारतीय धरती पर बने उच्च गुणवत्ता वाले हथियार और प्लेटफॉर्म हों।
आईएनएस अरिघाट 6,000 टन की पनडुब्बी है, जो अब आईएनएस अरिहंत के साथ जुड़ जाएगी। ये प्रोजेक्ट 2018 में शरु हुआ था ताकि भारत को ‘परमाणु तिकड़ी’ यानी जमीन, हवा और समुद्र से परमाणु हमला करने की क्षमता को मजबूत किया जा सके। एक सूत्र ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि आईएनएस अरिघाट आकार, लंबाई और भार में आईएनएस अरिहंत के समान है, लेकिन यह ज्यादा K-15 मिसाइलें ले जा सकती है। नई पनडुब्बी कहीं ज्यादा सक्षम, कुशल और गुप्त है। K-15 भारत की पनडुब्बी से लॉन्चिंग बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) है जिसकी मारक क्षमता 750 किलोमीटर है।
अरिघाट K-4 मिसाइलें ले जाने में भी सक्षम है, जिनकी मारक क्षमता लगभग 3,500 किलोमीटर है। आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघाट दोनों ही 83 मेगावाट के दबाव वाले हल्के पानी के रिएक्टरों द्वारा संचालित हैं। उनके पतवार में लगे परमाणु रिएक्टर यह सुनिश्चित करते हैं कि वे पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों के विपरीत, जो अपनी बैटरियों को रिचार्ज करने के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने हेतु हर दो दिन में सतह पर आती हैं या स्नोर्कल करती हैं, महीनों तक जलमग्न रह सकें।
रक्षा मंत्रालय ने 29 अगस्त को जारी एक बयान में कहा कि आईएनएस अरिघाट के निर्माण में एडवांस डिजाइन और निर्माण तकनीक, रिसर्च और डेवलेपमेंट, विशेष सामग्रियों का उपयोग, जटिल इंजीनियरिंग और अत्यधिक कुशल कारीगरी का उपयोग शामिल था। रक्षा मंत्रालय ने आगे कहा कि यह स्वदेशी सिस्टम और डिवाइस से युक्त होने का गौरव प्राप्त करता है।
इसके अलावा भारत की ताकत तब और बढ़ जाएगी जब तीसरी SSBN, जो 7,000 टन का थोड़ा बड़ा पोत है, अगले साल की शुरुआत में चालू होगी। आईएनएस अरिधमन नाम से जाने वाला यह पोत परीक्षण के दौर से गुजर रहा है। यह पहले दो, अरिहंत और अरिघाट से थोड़ा बड़ा है और ज्यादा लंबी दूरी की परमाणु मिसाइलें ले जाने में सक्षम है। देश के परमाणु तिकड़ी के कमजोर समुद्री आधार वाले हिस्से को मजबूत करने के लिए एडवांस टेक्निकल वोट (ATV) प्रोजेक्ट के तहत एक चौथी SSBN का निर्माण भी किया जा रहा है। अन्य दो हिस्से – भूमि आधारित अग्नि बैलिस्टिक मिसाइलें और सुखोई-30एमकेआई, मिराज-2000 और राफेल जैसे लड़ाकू जेट जो परमाणु बम गिरा सकते हैं, कहीं अधिक मजबूत हैं।
बॉर्डर के बाद समुद्री क्षेत्र में पाकिस्तान के साथ अपने बढ़ते सैन्य संबंधों के साथ-साथ एक आक्रामक चीन, निकट भविष्य के लिए सबसे बड़ा सुरक्षा खतरा बना रहेगा। नरेंद्र मोदी के लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद एक्सपर्ट्स और अधिकारियों ने बताया कि सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए कई मोर्चों पर पहल करनी चाहिए कि भारत की परमाणु निवारक क्षमताएं और साथ ही पारंपरिक युद्ध-लड़ने वाली मशीनरी आने वाले सालों में बजटीय बाधाओं के भीतर एक एकीकृत भविष्य के लिए तैयार सेना के साथ इस चुनौती का सामना कर सकें।
भारत को अधिक मजबूत परमाणु तिकड़ी की आवश्यकता है, जो जमीन, आसमान और समुद्र से परमाणु हथियार लॉन्च करने की क्षमता रखती हो। उदाहरण के लिए, 5,000 किलोमीटर से अधिक रेंज वाली अग्नि-5 सहित बैलिस्टिक मिसाइलों को अधिक संख्या में शामिल करने की जरूरत है।