आने वाले समय में अब सैनिकों को अच्छा इलाज मिलने वाला है !भारतीय सेना के जवानों और अधिकारियों को जल्द ही दुनिया की बेस्ट टेक्नोलॉजी आधारित इलाज मिल सकेगा। इसमें ड्रोन-आधारित रोगी परिवहन, टेलीमेडिसिन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एआई और नैनो टेक्नोलॉजी शामिल हैं। इन सभी नई पहल, रिसर्च और ट्रेनिंग में सहयोग के उद्देश्य से सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा एएफएमएस ने आईआईटी हैदराबाद के साथ एक समझौता किया है। इस एमओयू का उद्देश्य नए चिकित्सा उपकरणों के विकास में इनोवेशन और रिसर्च को बढ़ावा देना है। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में सेवारत सैनिकों के लिए विशिष्ट स्वास्थ्य सुविधाओं का समाधान के साथ विस्तार करना है। जानकारी के अनुसार एमबीबीएस में कुल 42 और बीडीएस कोर्स में 3 सीटें शहीदों के बच्चों के लिए आरक्षित होती हैं. इसके अलावा शहीदों की विधवाओं को रेल यात्रा में छूट के लिए कंसेशन कार्ड भी मिलता है. अंतर्गत सशस्त्र बलों के सामने आने वाली विविध चिकित्सा चुनौतियों से निपटने के लिए आईआईटी हैदराबाद अपने जैव प्रौद्योगिकी, जैव चिकित्सा अभियांत्रिकी और जैव सूचना विज्ञान जैसे विभागों के साथ आवश्यक तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करेगा।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि समझौते के अनुसार, सहयोग के जिन प्रमुख क्षेत्रों पर चर्चा की गई है, उनमें ड्रोन-आधारित रोगी परिवहन, टेलीमेडिसिन इनोवेशन, चिकित्सा क्षेत्र में एआई का अनुप्रयोग और नैनो टेक्नोलॉजी में प्रगति कार्यक्रम शामिल हैं।एक्शन में शहीद या मिसिंग सैनिकों के बच्चों को पूरी ट्यूशन फीस मिलती है. साथ में स्कूल बस का खर्च और रेलवे पास भी मिलता है. इसके अलावा बोर्डिंग स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों की हॉस्टल फीस, हर साल 2000 रुपये कॉपी-किताब का खर्च, 2000 रुपये तक यूनिफॉर्म खर्च, कपड़े का 700 रुपये, ईसीएचएस में फ्री इलाज भी मिलता है. इसके लिए ईसीएचएस की फ्री मेंबरशिप मिलती है इनके अलावा एमओयू के अंतर्गत विद्यार्थी विनिमय कार्यक्रमों, स्नातक विद्यार्थियों के लिए अल्पकालिक पाठ्यक्रम और फैकल्टी विनिमय गतिविधियों की सुविधा दी जाएगी। सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल दलजीत सिंह और आईआईटी हैदराबाद के निदेशक प्रोफेसर बीएस मूर्ति ने इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए।
लेफ्टिनेंट जनरल दलजीत सिंह ने दूसरे और तीसरे स्तर की देखभाल यानी दोनों ही स्थितियों में सैनिकों को व्यापक चिकित्सा देखभाल देने के लिए सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा की प्रतिबद्धता पर बल दिया। उन्होंने इस तथ्य का भी जिक्र किया कि अपनी अत्याधुनिक तकनीक के लिए मशहूर आईआईटी हैदराबाद जैसे संस्थान के साथ साझेदारी करना रिसर्च और ट्रेनिंग को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्रोफेसर बीएस मूर्ति ने सशस्त्र बलों द्वारा बताई जाने वाली समस्याओं के निपटान के लिए आईआईटी हैदराबाद की प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इससे उनके सामने आने वाली चुनौतियों का तत्काल और प्रभावी समाधान सुनिश्चित होगा। यही नहीं बता दे कि रक्षा मंत्रालय द्वारा प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो पर दी गई जानकारी के अनुसार शहीदों के परिवार के बच्चों को पढ़ाई और इलाज के खर्च में छूट देती है. दी गई जानकारी के अनुसार एक्शन में शहीद या मिसिंग सैनिकों के बच्चों को पूरी ट्यूशन फीस मिलती है. साथ में स्कूल बस का खर्च और रेलवे पास भी मिलता है. इसके अलावा बोर्डिंग स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों की हॉस्टल फीस, हर साल 2000 रुपये कॉपी-किताब का खर्च, 2000 रुपये तक यूनिफॉर्म खर्च, कपड़े का 700 रुपये, ईसीएचएस में फ्री इलाज भी मिलता है. इसके लिए ईसीएचएस की फ्री मेंबरशिप मिलती है. यह सहयोग सैन्य कर्मियों के स्वास्थ्य-कल्याण को बढ़ाने के लिए एडवांस टेक्नोलॉजी और रिसर्च का लाभ उठाने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
वीर नारियों, शहीदों की विधवाओं, आश्रितों के लिए पुनर्वास महानिदेशालय द्वारा पेट्रोल पंप का आवंटन जैसी कई पुनर्वास योजनाएं भी चलाई जाती हैं. इसके अलावा शहीद सेनिकों के परिवार, आश्रितों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती है. साथ में एलपीजी गैस एजेंसी लेने में भी छूट मिलती है. इसी तरह शहीद सैनिकों के परिवारों को आर्मी ग्रुप इंश्योरेंस के तौर पर 25 लाख रुपये मिलते हैं. इसके साथ आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन, सैनिक कल्याण बोर्ड सहित कई संगठन वित्तीय मदद करते हैं. शहीदों की विधवाओं को हर महीने पेंशन भी मिलती है. इसके अलावा केंद्र सरकार 10 लाख रुपये और शहीद जिस राज्य का निवासी होता है वह राज्य भी वित्तीय मदद करता है. राज्यों की ओर से मदद के तौर पर दी जाने वाली धनराशि अलग-अलग है.जानकारी के अनुसार एमबीबीएस में कुल 42 और बीडीएस कोर्स में 3 सीटें शहीदों के बच्चों के लिए आरक्षित होती हैं. इसके अलावा शहीदों की विधवाओं को रेल यात्रा में छूट के लिए कंसेशन कार्ड भी मिलता है.