Thursday, September 19, 2024
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क्या अब अतिरिक्त फौजियों के जरिए आतंकवादियों को खत्म करेगी सरकार?

अब सरकार अतिरिक्त फौजियों के जरिए आतंकवादियों को खत्म करने के प्लान बना रही है! जम्मू क्षेत्र में लगातार हो रही आतंकी वारदातों को देखते हुए भारतीय सेना ने वहां अतिरिक्त 3,000 सैनिकों की तैनाती कर दी है। सूत्रों के मुताबिक इसी हफ्ते सेना ने जम्मू क्षेत्र में एक ब्रिगेड हेडक्वॉर्टर, तीन बटालियन और कुछ पैरा एसएफ की टीम को भी भेज दिया है। एक बटालियन में करीब 800 सैनिक होते हैं। इसी तरह एक पैरा एसएफ टीम में करीब 40 कमांडो होते हैं। इस तरह करीब 2,500 सैनिक और करीब 500 पैरा कमांडो को जम्मू भेजा गया है। इसके साथ ही सीएपीएफ (सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स) ने भी जम्मू क्षेत्र में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती कर दी है। सैनिकों की कमी और ईस्टर्न लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के साथ तनाव का असर जम्मू क्षेत्र में दिखाई दिया और वहां आतंकियों को फिर से पनपने का मौका मिला। आतंकियों ने सैनिकों की कमी का फायदा उठाते हुए खुद का खड़ा ही नहीं किया बल्कि अब जम्मू क्षेत्र में वे सिक्यॉरिटी फोर्स के लिए बड़ा सिरदर्द बन गए हैं। भारतीय सेना में करीब चार साल पहले ही एक लाख सैनिकों को कम करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। टारगेट रखा गया था कि 2027 तक यह संख्या कम हो जाएगी। संसद की रक्षा मामलों की स्टैंडिंग कमिटी को भी तब इसकी जानकारी दी गई थी कि तकनीक का इस्तेमाल बढ़ा रहे हैं इसलिए मैन पावर कम किया जा रहा है।चार साल पहले जब ईस्टर्न लद्दाख में चीन के साथ एलएसी पर तनाव बढ़ा और स्थिति हिंसक झड़प तक पहुंच गई तब यहां से यूनिफॉर्म फोर्स को हटाकर LAC पर भेज दिया गया। यहां से एक डिविजन जितने सैनिकों को कम किया गया। यानी करीब 10-12 हजार सैनिक यहां से कम हुए।

जम्मू क्षेत्र में चार साल पहले सेना की करीब चार डिविजन जितनी संख्या थी। यूनिफॉर्म फोर्स को एलएसी भेजने से यहां तीन डिविजन रह गई। यहां अभी राष्ट्रीय राइफल (आरआर) की रोमियो फोर्स और डेल्टा फोर्स है। ये पूरी तरह से काउंटर इनसर्जेंसी-काउंटर टेररिजम (सीआईसीटी) टास्क को देख रही है। एक फोर्स में एक डिविजन जितने यानी करीब 12 हजार सैनिक हैं। सेना की दो और डिविजन जम्मू क्षेत्र में है। एक डिविजन का टास्क एलओसी देखना है और दूसरी डिविजन का टास्क एलओसी भी है और सीआईसीटी भी है।

सूत्रों के मुताबिक भारतीय सेना में इस वक्त करीब 1 लाख 80 हजार सैनिकों की कमी है। कोविड की वजह से दो साल तक सैनिकों की भर्ती ही नहीं हुई। इस दौरान हर साल 60 हजार सैनिक रिटायर हुए। इस लिहाज से कोविड वाले दो सालों में करीब 1 लाख, 20 हजार सैनिक रिटायर हुए। 2022 से अग्निवीर की भर्ती हुई और पहले और दूसरे साल दोनों बार 40 – 40 हजार अग्निवीर भर्ती किए गए। इन दो सालों में करीब 1 लाख, 40 हजार सैनिक रिटायर हुए क्योंकि 2022-23 में करीब 80 हजार सैनिक रिटायर हुए जबकि भर्ती हुए 80 हजार। इस तरह सेना में करीब 1 लाख, 80 हजार सैनिकों की कमी है।

जम्मू में हुए आतंकी हमलों के बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या तकनीक सैनिकों की कमी पूरी कर सकती है? भारतीय सेना में करीब चार साल पहले ही एक लाख सैनिकों को कम करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। टारगेट रखा गया था कि 2027 तक यह संख्या कम हो जाएगी। संसद की रक्षा मामलों की स्टैंडिंग कमिटी को भी तब इसकी जानकारी दी गई थी कि तकनीक का इस्तेमाल बढ़ा रहे हैं इसलिए मैन पावर कम किया जा रहा है। लेकिन एलएसी पर तनाव बढ़ने के बाद से वहां 50 हजार सैनिक डटे हुए हैं। जम्मू से हटाकर कई सैनिकों को वहां भेजा गया। बता दें कि सैनिकों की कमी और ईस्टर्न लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ तनाव का असर जम्मू क्षेत्र में दिखाई दिया और वहां आतंकियों को फिर से पनपने का मौका मिला। आतंकियों ने सैनिकों की कमी का फायदा उठाते हुए खुद का खड़ा ही नहीं किया बल्कि अब जम्मू क्षेत्र में वे सिक्यॉरिटी फोर्स के लिए बड़ा सिरदर्द बन गए हैं। जिन जगहों पर सैनिकों की संख्या कम की गई वहां आतंकियों को फिर से पनपने का मौका मिल रहा है। वहां जिस तरह की भौगोलिक स्थितियां हैं वहां जो काम सैनिक कर सकते हैं वह काम तकनीक से नहीं हो सकता। क्या सैनिकों की संख्या कम करने के फैसले पर फिर से विचार किया जाना चाहिए?

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