आने वाले समय में अब सरकार वक्फ बोर्ड की हैसियत काम करने जा रही है! केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड संशोधन बिल आज लोकसभा में पेश होने जा रहा है। इसे लेकर लोकसभा के बिजनेस अडवाइजरी कमिटि में चर्चा हुई। जब से इस बिल के संसद में आने की बात और बिल के मसौदा सामने आया है, मुस्लिम समाज से लेकर मुस्लिम नेताओं और विपक्ष में इसे लेकर खासा रोष दिखाई दे रहा है। इसकी वजह मानी जा रही है कि संशोधित बिल के जरिए सरकार वक्फ बोर्ड की ताकत व हैसियत कम करने जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस बिल के जरिए सरकार देश के वक्फ बोर्ड्स की पूरी प्रक्रिया जवाबदेह व पारदर्शी बनाना चाहती है। हालांकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने इस बिल के मद्देनजर कहा है कि वह मौजूदा वक्फ कानून में किसी तरह का कोई बदलाव मंजूर नहीं करेगा। इस बिल को लेकर विवाद का सबसे बड़ा बिंदु वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। दरअसल, देश में कुल 32 वक्फ बोर्ड हैं। इनके बीच तालमेल के लिए केंद्र सरकार के अल्पसंयख्क मामलों के मंत्रालय की ओर से सेंट्रल वक्फ काउंसिल बनाया गया। यह वक्फ बोर्डों के कामकाज के मामलों में केंद्र सरकार को सलाह देती है। वर्ष 1995 में वक्फ एक्ट में बदलाव भी किया गया और हर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ बोर्ड बनाने की मंजूरी दी गई। है। देश के कुल वक्फ बोर्ड के पास फिलहाल आठ लाख एकड़ जमीन है। साल 2009 में यह संपत्ति चार लाख एकड़ हुआ करती थी। इन जमीनों में ज्यादातर हिस्सों में मस्जिद, मदरसा और कब्रिस्तान हैं। दिसंबर 2022 तक वक्फ बोर्ड के पास कुल 8,65,644 अचल संपत्तियां थीं। अचल सपंत्ति के लिहाज से देखा जाए तो वक्फ बोर्ड देश में रेल व सेना के बाद तीसरे सबसे बड़े जमीन के मालिक हैं।
दरअसल, 2013 में यूपीए सरकार के समय में वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन कर इन्हें असीमित अधिकार दे दिए गए थे। मौजूदा कानून के तहत केंद्र सरकार, राज्य सरकार या कोर्ट तक संपत्ति विवाद के मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं। अगर किसी जमीन को लेकर कोई विवाद होता है तो उसे साबित करने की जिम्मेदारी वक्फ बोर्ड की नहीं, बल्कि दूसरी पार्टी की होती है। बोर्ड को अपना मालिकाना हक साबित करने के लिए किसी तरह तरह का कोई सबूत या दस्तावेज नहीं देना होता। बिल लाने की वजह यह भी है कि इनके पास जितनी जमीन है और इनके द्वारा जो रेवेन्यु दिखाया जा रहा है, उनमें आपस में मेल नहीं दिखता। वक्फ बोर्ड महज साल का 200 करोड़ का राजस्व दिखाता है। इन्हीं बिंदुओं के चलते वक्फ बोर्ड के पास मौजूद इन असीम शक्तियों को लेकर कई ओर से विरोध के सुर उठते रहे। यहां तक कि सच्चर कमिटि ने भी अपनी रिपोर्ट में वक्फ बोर्ड के कामकाज में पारदर्शिता की बात कही। उल्लेखनीय है कि यूपीए सरकार में हुए बदलाव के बाद से आम मुस्लिम, गरीब मुस्लिम महिलाएं, तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के बच्चे, शिया व बोहरा जैसे समुदाय लंबे समय से मौजूदा कानून में बदलाव की मांग कर रहे थे। इन लोगों की दलील थी कि वक्फ में आज आम मुसलमानों के लिए कोई जगह नहीं है, सिर्फ रसूखदार लोगों को ही जगह मिलती है।
बिल पर मुस्लिम समुदाय के अलावा राजनीतिक स्तर पर इसका विरोध देखा जा रहा है। एआईएमआईएम चीफ व हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहते है कि वक्फ एक्ट में प्रस्तावित संशोधन वक्फ संपत्तियों को छीनने के इरादे से किया जा रहा है। उन्होंने इन संशोधनों को संविधान में दिए धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार पर प्रहार करार देते हुए कहा कि संघ की मंशा शुरू से ही वक्फ संपत्तियों को छीनने की रही है। जबकि आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने केंद्र पर निशाना साधते हुए मीडिया में कहा कि केंद्र सरकार की निगाह कहीं, निशाना कहीं और है। उन्होंने आरोप लगाया कि किसी धर्म विशेष को टारगेट करना और विवादित मुद्दों पर बहस करना असल मकसद है। असली मुद्दों पर चर्चा ना हो, इसलिए सरकार इन मुद्दों पर बहस करती है। सूत्रों के मुताबिक, लोकसभा की बिजनेस अडवाइजरी कमिटि में विपक्षी दलों द्वारा कहा गया है कि इस बिल को सदन में पेश करने के बाद इसे संसद की स्थायी समिति के पास विचार के लिए भेजा जाए।
यह बिल मोदी सरकार के तीसरे टर्म का पहला शक्ति परीक्षण होगा। जहां एक ओर विपक्ष इसे स्थायी समिति के पास भेजने की अपनी मांग पर खड़ा दिखेगा, वहीं देखना होगा कि एनडीए सरकार में बीजेपी के दो प्रमुख घटक दल जेडीयू व टीडीपी सदन के भीतर इस बिल पर अपना क्या रुख अपनाते हैं। इन दोनों ही दलों को मुस्लिम समुदाय में अपना वोट आधार है। ऐसे में उनके सरोकारों की अनदेखी कर क्या ये दोनों दल बीजेपी के साथ खड़े होना चाहेंगे? दरअसल, लोकसभा व राज्यसभा दोनों ही जगह बीजेपी के पास इतना संख्याबल नहीं है कि वह अपने दम पर बिल पास करा ले जाए। बिल को पास कराने के लिए उसे लोकसभा में जेडीयू व टीडीपी की जरूरत पड़ेगी, वहीं राज्यसभा में भी उसे एनडीए के घटक दलों का साथ चाहिए होगा।