क्या रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया टोकन को देगा मान्यता?

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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अपनी नीतियों में परिवर्तन शुरुआत से ही करता रहा है! यह आरबीआई की एक पहल है। इसके तहत सभी कंपनियों को कार्डहोल्‍डर्स की सभी मौजूदा जानकारी हटानी होगी। इस जानकारी को ‘टोकन’ से रिप्‍लेस करना होगा। पॉलिसी के अमल में आने के बाद मर्चेंट या कंपनियां कार्ड की सूचनाएं सेव नहीं कर पाएंगी। इससे कार्ड के दुरुपयोग की आशंका कम होगी। साथ ही ऑनलाइन ट्रांजैक्‍शन ज्‍यादा सिक्‍योर हो जाएगा। आरबीआई ने टोकनाइजेशन को वास्‍तविक कार्ड डिटेल को कोड में बदलने की प्रक्रिया बताया है। इन कोड को टोकन कहा गया है। यह हर ट्रांजैक्‍शन के लिए अलग होगा। इसमें ग्राहक अपने कार्ड को टोकनाइज करने के लिए एक रिक्‍वेस्‍ट भेजेंगे। जिसे यह रिक्‍वेस्‍ट भेजी जाएगी वह इसे कार्ड नेटवर्क पर संबंधित टोकन के लिए पास करेगा। मोटे शब्‍दों में समझें तो आगे चलकर आपको फ्लिपकार्ट जैसी किसी कंपनी की सेवा पाने के लिए उसके प्‍लेटफॉर्म पर कार्ड डिटेल की जगह यूनीक कोड सेव करना होना।

जिन भी इकाइयों से क्रेड‍िट और डेबिट कार्ड से लेनदेन होता है, उनमें से कई यूजर की कार्ड डिटेल सेव कर लेती हैं। इनमें ई-कॉमर्स कंपनियां, मर्चेंट स्‍टोर्स, वेबसाइट और एप शामिल हैं। कुछ मर्चेंट्स तो सेवाओं का इस्‍तेमाल करने से पहले ही कार्ड डिटेल सेव करने के लिए कहते हैं। यह ग्राहक की जानकारियों के चोरी होने का जोखिम बढ़ा देता है। पेमेंट की आसानी के लिए वेब सर्विस के डेटाबेस पर क्रेडिट और डेबिट कार्ड का डेटा स्‍टोर रहता है। इनमें कार्ड का नंबर, सीवीवी और कार्ड एक्‍सपायरी डेट शामिल है। इस डेटा के लीक होने का जोखिम होता है।

आरबीआई के कार्ड-ऑन-फाइल  टोकनाइजेशन के नियम 1 अक्‍टूबर, 2022 से लागू होने हैं। टोकन का इस्‍तेमाल करते हुए ट्रांजैक्‍शन ने रफ्तार पकड़ी है। यह बात सभी कैटेगरी के लिए कही जा सकती है। पहले इसे 30 जून 2022 से लागू किया जाना था। बाद में इसे तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया। इंडस्‍ट्री को तैयार करने के लिए इस समयसीमा को बढ़ाया गया है। कई बड़े मर्चेंट्स ने टोकनाइजेशन के नियमों का पालन भी करना शुरू कर दिया है। वे अब तब 19.5 करोड़ टोकन जारी कर चुके हैं।

आरबीआई ने कहा है कि क्रेडिट और डेबिट कार्ड यूजर्स के लिए टोकन सिस्‍टम का इस्‍तेमाल अनिवार्य नहीं होगा। अगर कार्ड यूजर टोकन सिस्‍टम को नहीं इस्‍तेमाल करने का विकल्‍प चुनते हैं तो उन्‍हें हर बार मैनुअली क्रेडिट और डेबिट कार्ड की डिटेल एंटर करनी होगी। यानी जब भी ई-कॉमर्स या मर्चेंट वेबसाइट पर वे कोई ट्रांजैक्‍शन करेंगे उन्‍हें कार्ड डिटेल डालनी होगी।

नए नियमों के लागू होने पर कार्डहोल्‍डर को प्रत्येक कार्ड के लिए एक बार रजिस्‍ट्रेशन प्रोसेस से गुजरना होगा। वो जिस भी ऑनलाइन मर्चेंट की वेबसाइट पर कार्ड का उपयोग करना चाहते हैं, उनमें से सभी पर डिटेल दर्ज करना होगा। फिर चेकआउट के दौरान टोकन बनाने की सहमति देनी होगी।आरबीआई के कार्ड-ऑन-फाइल  टोकनाइजेशन के नियम 1 अक्‍टूबर, 2022 से लागू होने हैं। टोकन का इस्‍तेमाल करते हुए ट्रांजैक्‍शन ने रफ्तार पकड़ी है। यह बात सभी कैटेगरी के लिए कही जा सकती है। पहले इसे 30 जून 2022 से लागू किया जाना था। बाद में इसे तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया। इंडस्‍ट्री को तैयार करने के लिए इस समयसीमा को बढ़ाया गया है। कई बड़े मर्चेंट्स ने टोकनाइजेशन के नियमों का पालन भी करना शुरू कर दिया है। वे अब तब 19.5 करोड़ टोकन जारी कर चुके हैं।

आरबीआई ने कहा है कि क्रेडिट और डेबिट कार्ड यूजर्स के लिए टोकन सिस्‍टम का इस्‍तेमाल अनिवार्य नहीं होगा। अगर कार्ड यूजर टोकन सिस्‍टम को नहीं इस्‍तेमाल करने का विकल्‍प चुनते हैं तो उन्‍हें हर बार मैनुअली क्रेडिट और डेबिट कार्ड की डिटेल एंटर करनी होगी। यानी जब भी ई-कॉमर्स या मर्चेंट वेबसाइट पर वे कोई ट्रांजैक्‍शन करेंगे उन्‍हें कार्ड डिटेल डालनी होगी।

नए नियमों के लागू होने पर कार्डहोल्‍डर को प्रत्येक कार्ड के लिए एक बार रजिस्‍ट्रेशन प्रोसेस से गुजरना होगा। वो जिस भी ऑनलाइन मर्चेंट की वेबसाइट पर कार्ड का उपयोग करना चाहते हैं, उनमें से सभी पर डिटेल दर्ज करना होगा।आरबीआई ने कहा है कि क्रेडिट और डेबिट कार्ड यूजर्स के लिए टोकन सिस्‍टम का इस्‍तेमाल अनिवार्य नहीं होगा। अगर कार्ड यूजर टोकन सिस्‍टम को नहीं इस्‍तेमाल करने का विकल्‍प चुनते हैं तो उन्‍हें हर बार मैनुअली क्रेडिट और डेबिट कार्ड की डिटेल एंटर करनी होगी। यानी जब भी ई-कॉमर्स या मर्चेंट वेबसाइट पर वे कोई ट्रांजैक्‍शन करेंगे उन्‍हें कार्ड डिटेल डालनी होगी। फिर चेकआउट के दौरान टोकन बनाने की सहमति देनी होगी। एक वेबसाइट पर किसी विशेष कार्ड के लिए टोकन जेनरेट किया जाएगा। एक वेबसाइट पर किसी विशेष कार्ड के लिए टोकन जेनरेट किया जाएगा।