यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या 2024 में 2004 जैसे हालात होंगे या नहीं! एक तारीख को आए एग्जिट पोल के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। सभी ने प्री-पोल सर्वे में कहा था कि भारतीय जनता पार्टी आराम से चुनाव जीत रही है। मगर किसी ने उनकी सीटें इतनी बढ़कर आने की कल्पना शायद नहीं की थी। खास तौर से चुनाव के दौरान ढेर सारी ऐसी बातें उठीं कि कई जगह कांटे का मुकाबला हो गया है! यह कहा गया कि हो सकता है बीजेपी को आसानी से 272 भी ना मिले! उस लिहाज से ये चौंकाने वाले आंकड़े हैं। सवाल उठता है कि क्या 4 जून को जब असली नतीजे आएंगे, तो चीजें बदल जाएंगी? मेरा मानना है कि नहीं। ज्यादातर एग्जिट पोल में राष्ट्रीय स्तर पर जो संख्या दी गई है, लगभग एक जैसी है। सभी ने कहा है कि BJP आराम से 320 या उससे ऊपर जा सकती है और NDA 370-375 के ऊपर। वहीं कांग्रेस अपनी सीटों में मामूली सा ही इजाफा करेगी। चूंकि सारे पोल्स में एक समानता है तो नतीजे इसके उलट आने बहुत ही मुश्किल हैं। हद से हद 10-15 सीटें इधर-उधर हो सकती हैं, पर अब यह मान लिया जाए कि BJP पूर्ण बहुमत से, और 2019 के मुकाबले में ज्यादा सीटें और वोट लेकर सत्ता में आ रही है।
दूसरी बड़ी बात हमने एग्जिट पोल में यह देखी कि BJP अपने कोर स्टेट में 2014-2019 जैसा ही प्रदर्शन कर रही है। ये राज्य हैं- हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, कनार्टक, गुजरात और मध्य प्रदेश। उसे थोड़ा-बहुत जो नुकसान हो सकता है, वह हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान, झारखंड और बिहार में हो सकता है। इसी कड़ी में आप असम और नॉर्थ ईस्ट भी जोड़ सकते हैं। मगर ये नुकसान बहुत ही छोटे होंगे। BJP बंगाल की खाड़ी के किनारे लगभग सभी राज्यों में बड़ा फायदा पाने जा रही है। मेरे ख्याल से इतने लाभ की कल्पना शायद BJP ने भी नहीं की होगी। बंगाल में माना जा रहा था कि शायद दो-चार सीटें बढ़ेंगी, वहां पर वह बड़ी जीत हासिल कर सकती है। ओडिशा-तेलंगाना में भी यही हो रहा है। आंध्र में TDP के साथ गठबंधन में काफी सीटें जीत रही है। अगर एग्जिट पोल सही होता है तो यह पहली बार होगा जब देश के हर बड़े राज्य में BJP का कम से कम एक सांसद होगा।
एग्जिट पोल बताते हैं कि कांग्रेस ने केरल और पंजाब में अपना गढ़ बचाकर रखा है। थोड़ा-बहुत उसे लाभ है तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, हरियाणा और राजस्थान में। पर मोटी बात यह है कि कांग्रेस के प्रदर्शन में खास सुधार नहीं हुआ है। सबसे बड़ा झटका लगता दिख रहा है आम आदमी पार्टी को, जिसके पास शायद कोई भी सीट ना हो, या एक-दो सीटें पंजाब से आएं। भारत राष्ट्र समिति को भी तेलंगाना में धक्का लग रहा है। बीजू जनता दल को ओडिशा में तो तृणमूल कांग्रेस को वेस्ट बंगाल में झटका लग रहा है।
यह स्थिति इस वजह से भी हुई कि शायद विपक्ष की जो रणनीति चुनाव के दौरान बन रही थी, वह सफल नहीं हुई। विपक्ष ने सितंबर 2023 से लेकर फरवरी 2024 तक अपना समय गठबंधन की इन बातों में गंवाया कि कौन बाहर जा रहा है, कौन कितनी सीटें लड़ेगा? अंतत: उसका उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। 1 जून को जो एग्जिट पोल में दिखा है अगर वह 4 जून को सच होता है तो यह भारतीय राजनीति के लिए एक बड़ा बदलाव होगा। पहला बदलाव 2014 से शुरू हुआ। जिसमें BJP जो पहले सिर्फ उत्तर-पश्चिम की पार्टी थी, वह 2019 में पूर्वोत्तर राज्यों में पहुंच गई, और 2024 में उसने अपना दायरा बढ़ा लिया। वह बंगाल की खाड़ी से सटे राज्यों और साउथ में भी चली गई। दूसरी बात, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली BJP सरकार लगातार तीसरे टर्म में जब वापस आ रही है तो हर बार अपना वोट और सीट शेयर बढ़ाती जा रही है।
यह बहुत ही अनोखी चीज है। ऐसा पहले भारत में कभी नहीं हुआ। नेहरू जी भी तीन टर्म जीतकर आए थे पर उनकी पार्टी का फैलाव बढ़ नहीं रहा था। यही चीज इंदिरा जी के साथ भी हुई। तीसरी बात, अगर ये नतीजे सही हुए तो आने वाले समय में विपक्ष के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। इसका यह मतलब नहीं है कि विधानसभा चुनाव के स्तर पर मुकाबला टक्कर का नहीं होगा और BJP आसानी से जीत जाएगी। पर नैशनल लेवल पर BJP को चुनौती देने का विपक्ष का जो सपना है, अब वह पांच साल के लिए मुल्तवी हो चुका है।