मुजफ्फरपुर आश्रय गृह कांड के बाद एक बार फिर से बिहार का लाचार कानून का खराब सिस्टम सामने आ रहा है. इसके साथ साथ नीतीश कुमार का “सुशासन बाबू” वाला तमगा बिखरते हुए दिख रहा है.अब पटना के गायघाट के उत्तर रक्षा गृह से जुड़ा यौन उत्पीड़न का नया मामला सामने आया है. इससे सियासी बवाल मच गया है. गायघाट आश्रय गृह की एक पीड़ित लड़की का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है.इसमें वह इस आश्रय गृह से लड़कियों की सप्लाई का आरोप लगा रही है. मामले को लेकर राजनीति गलियारों मे भी चर्चा का बहस तेज हो गया है . आरोप के दौर मे सरकारी जवाबदेही खोजा जा रहा है . लेकिन सरकार चुप है और विपक्ष हमलावर बना हुआ है .
पटना गायघाट स्थित उत्तर रक्षा गृह से निकल कर भागी एक लड़की ने आश्रय गृह की अधीक्षक पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उसका कहना है कि यहां रह रही लड़कियों को नशे का इंजेक्शन देकर अनैतिक कार्यों में धकेला जाता है. जो लड़की इसमें साथ नहीं देती उसे प्रताड़ित किया जाता है और खाना तक नहीं दिया जाता. इस लड़की को लेकर एक संस्था के कुछ लोग पुलिस थाने पहुंचे. वेबसाईट इस वीडियो की सत्यता का दावा नहीं करता. पटना के महिला थाना में लड़की की शिकायत की गई है, हालांकि मामले को कोर्ट खुद संज्ञान ले लिया है .
वीडियो में लड़की कह रही है कि रक्षागृह की अधीक्षिका लड़कियों को बाहर भेजती हैं. उनसे गलत काम कराया जाता है रिमांड होम में रहने वाली लड़कियों का शारीरिक-मानसिक शोषण किया जाता है, उन्हें बाहर लोगों के पास भेजा जाता है और बाहर के लोग अंदर आते हैं.लड़की यह भी कहती है कि उसने तंग आकर खुदकुशी का प्रयास किया था. वह इन लोगों के खिलाफ लड़ना चाहती थी, लेकिन उसे किसी का साथ नहीं मिला. उसने बताया कि आश्रय गृह में कई बाहरी लोग आकर लड़कियों को ले जाते थे. वायरल वीडियो में लड़की आरोप लगा रही है कि उत्तर रक्षा गृह में एक बांग्लादेशी महिला को मरने के लिए मजबूर कर दिया गया. कई बार फर्जी परिजन बनाकर पैसे लेकर महिलाओं और लड़कियों को भेज दिया जाता है.
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सुनिए, गायघाट रिमांड होम की दूसरी गवाह का ऑडियो
शेल्टर होम कांड बन गया , खुदकुशी होम
वीडियो में लड़की कह रही है कि रक्षागृह की अधीक्षिका लड़कियों को बाहर भेजती हैं.उनसे अनैतिक कार्य कराया जाता है. बड़े बड़े लोग आते है .रिमांड होम में रहने वाली लड़कियों का शारीरिक-मानसिक शोषण किया जाता है, उन्हें बाहर लोगों के पास भेजा जाता है और बाहर के लोग अंदर आते हैं. लड़की यह भी कहती है कि उसने तंग आकर खुदकुशी का प्रयास किया था.वह इन लोगों के खिलाफ लड़ना चाहती थी, लेकिन उसे किसी का साथ नहीं मिला. उसने बताया कि शेल्टर गृह में कई बाहरी लोग आकर लड़कियों को ले जाते थे. वायरल वीडियो में लड़की आरोप लगा रही है कि उत्तर रक्षा गृह में एक बांग्लादेशी महिला को मरने के लिए मजबूर कर दिया गया। कई बार फर्जी परिजन बनाकर पैसे लेकर महिलाओं और लड़कियों को भेज दिया जाता है
सरकार चुप और प्रशासन अपने लिपा पोती मे
समाज कल्याण विभाग के निदेशक राजकुमार के मुताबिक पूरे मामले की जांच की जा रही है. जांच के बाद ही आगे कुछ कहा जाएगा.इस बीच मामले में आरोप लगाने वाली लड़की को पुलिस ने बालिका गृह भेजने की बजाय उक्त संस्था के ही हवाले कर दिया . लड़की के आरोपों पर अधीक्षिका ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
निर्भया मामले की चर्चित वकील सीमा कुशवाहा ने क्या कहा
निर्भया मामले की चर्चित वकील सीमा कुशवाहा ने कहा कि पटना की सड़कों पर एक बेटी पिछले 5 दिनों से न्याय की भीख मांग रही है, लेकिन कोई नहीं सुन रहा. यह मामला भी कहीं न कहीं मुजफ्फरपुर शेल्टर होम जैसा ही है. समाज कल्याण विभाग ने बिना कोई जांच किए मामले को रफा-दफा कर दिया. जो हुआ वो 21वीं सदी के भारत पर धब्बा है.सीमा कुशवाहा ने कहा कि शेल्टर होम के पर केवल एक पीड़िता नहीं आरोप लगा रही, और भी कई बच्चियां हैं जो अपनी पीड़ा बता रही है. प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का उद्देश्य इस मुद्दे को उठाना है कि आखिर पटना में लड़कियों के साथ ऐसा क्यों हो रहा है? प्रशासन संवेदनशील नहीं है. लगातार फोन आ रहे हैं, लेकिन पहले कोई एफआईआर तक लॉज करने को तैयार नहीं. उल्टा लड़की को उदंड बता रहे हैं, उसके चरित्र पर सवाल उठा रहे हैं.
‘कोर्ट ने पूछा – क्यों नहीं हुई FIR‘
बता दें कि पटना हाईकोर्ट ने गायघाट महिला रिमांड होम मामले में स्वत: संज्ञान लिया है. अदालत ने पुलिस और राज्य समाज कल्याण विभाग को जमकर लताड़ लगाई है. कोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाया और पूछा कि मामला सामने आने के बाद भी पीड़िता के बयान पर अभी तक कोई प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज क्यों नहीं की गई. वहीं, इससे एक दिन पहले समाज कल्याण विभाग द्वारा महिला रिमांड होम को लेकर आरोप लगाने वाली युवती के ‘कैरेक्टर’ पर सवाल उठाया था.हाईकोर्ट ने इसको लेकर मीडिया में आई रिपोर्ट के आधार पर स्वत: संज्ञान लेते हुए पुलिस की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाए हैं. अदालत ने गायघाट महिला रिमांड होम में रहने वाली दो सौ से ज्यादा महिलाओं के ऊपर मंडराते खतरे को देख कर इस मामले में संज्ञान लिया है. कोर्ट की ओर से जुविनाइल जस्टिस की कमेटी को बुलाया गया और राज्य समाज कल्याण विभाग को डांट लगाते हुए कहा कि केवल सीसीटीवी फुटेज के आधार पर युवती के लगाए आरोपों को बेबुनियाद कैसे बताया जा सकता है.