Friday, September 20, 2024
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आखिर पत्रकार सौम्या के हत्यारे कैसे पकड़े गए?

आज हम आपको बताएंगे कि पत्रकार सौम्या के हत्यारे आखिर कैसे पकड़े गए! हाथ का टैटू, पुलिसकर्मी से चुराया गया वायरलेस और सीसीटीवी फुटेज ये वो सुराग थे जिनके बलबूते दिल्ली के चर्चित पत्रकार सौम्या स्वामीनाथन मर्डर केस की मिस्ट्री दिल्ली पुलिस सुलझा पाई। 2008 में हुई इस मर्डर केस की मिस्ट्री सुलझाने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। हत्या के 6 महीने बाद एक आईटी पेशेवर जिगिशा घोष मर्डर की जांच के दौरान सौम्या केस के भी सुराग मिले। इसके बाद पुलिस ने जिगिशा घोष हत्याकांड की जांच की और दूसरी और सौम्या केस के भी एक एक कर कई पत्ते खुलना शुरू हो गए। पुलिस के सौम्या के हत्यारे भी लग गए। फिर 15 साल तक मुकदमाबाजी चली और आखिरकार बुधवार को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने पांच आरोपियों को दोषी करार दिया है। इस पूरे हत्याकांड की कहानी भी काफी सस्पेंस वाली रही है। ये बात है 30 सिंतबर 2008 की, सुबह के करीब साढ़े 3 बजे थे, जब सौम्या की कार सड़क पर पलटी हुई मिली। एक राहगीर ने पुलिस को फोन किया। पुलिस मौके पर पहुंची। शुरुआत में ये एक एक्सीडेंट लगा, लेकिन जब पुलिस ने सौम्या की बॉडी देखी, तो वो हैरान रह गए। सौम्या ड्राइविंग सीट पर गिरी हुई थी, सिर के पीछे गोली का निशान था। जब गाड़ी की हालत देखी, तो पता चला कि केवल ड्राइविंग सीट का कांच टूटा हुआ था, बाकी शीशे ठीक थे, कार के आगे का एक पहिया पंचर था। क्राइम सीन देखकर पुलिस को ये समझने में देर नहीं लगी कि ये हत्या लूट के लिए की गई है। सौम्या को अस्पताल लेकर जाया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बच पाई।

दिल्ली में एक महिला पत्रकार की हत्या हो जाना, पूरे पुलिस प्रशासन पर बड़ा सवालिया निशान बन गया। देशभर में इसकी चर्चा होने लगी। अखबारों से लेकर न्यूज चैनलों में केवल सौम्या मर्डर केस की खबरें चल रही थीं। दिल्ली पुलिस पर काफी दवाब था। पुलिस जांच पड़ताल में जुट गई। सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए। सौम्या के ऑफिस से निकलने का आखिरी फुटेज पुलिस के हाथ लगा। इसके बाद सौम्या कैसे-कहीं गई, किसने हमला किया, कैसे हमला किया… इन सवालों का जवाब पुलिस को अभी तक नहीं मिला था। करीब 6 महीने तक दिल्ली पुलिस के हाथ सौम्या के हत्यारों का कोई खास सबूत नहीं लग पाया।

इसके बाद कुछ ऐसा हुआ, जिससे सौम्या मर्डर मिस्ट्री सॉल्व होती चली गई। तारीख थी 18 मार्च 2009, दिल्ली से सटे फरीदाबाद के सूरजकुंड इलाके में आईटी कंपनी में काम करने वाली जिगिषा घोष की बॉडी मिली। पुलिस मामले की जांच पड़ताल में जुट गई। दो-तीन में ही जिगिषा घोष मर्डर केस सुलझ गया। इस केस के जांच अधिकारी अतुल कुमार वर्मा बताते हैं कि पुलिस को पहला सुराग सीसीटीवी फुटेज मिला। इस फुटेज में एक आरोपी के हाथ पर टैटू दिखा था। आरोपियों ने जिगिषा के डेबिट कार्ड से शॉपिंग की थी। दूसरे आरोपी के पास पुलिसकर्मी से चुराया गया वायरलेस था और उसने टोपी पहन रखी थी। इन सुरागों के मिलने के बाद पुलिस ने ह्यूमन इंटेलिजेंस नेटवर्क पर बारीकी से काम किया और जल्द ही मसूदपुर स्थित बलजीत मलिक के घर पर दबिश कर दी। इसके बाद अन्य आरोपी रवि कपूर और अमित शुक्ला को भी गिरफ्तार कर लिया गया।

वर्मा वसंत विहार पुलिस स्टेशन के अधिकारियों की एक टीम का नेतृत्व कर रहे थे। वर्मा ने बताया कि पूछताछ के दौरान रवि कपूर ने खुद खुलासा किया कि उन्होंने नेल्सन मंडेला मार्ग पर एक और लड़की की हत्या की है, जो वसंत विहार से बहुत दूर नहीं था। ये बात सुनकर पुलिस को झटका लगा। कपूर ने ये भी बताया कि इस हत्या में दो अन्य साथी अजय कुमार और अजय सेठी भी शामिल थे।

इस खुलासे के बाद तत्कालीन पुलिस कमिश्नर एचजीएस धालीवाल ने तुरंत अधिकारियों की एक और टीम गठित की और दोनों हत्या मामलों की जांच के लिए तत्कालीन एसीपी भीष्म सिंह को नियुक्त किया। एसीपी भीष्म सिंह बताते हैं कि चूंकि हमारे पास सौम्या हत्याकांड के आरोपियों का कबूलनामा था, इसलिए हमारे सामने बड़ी चुनौती फोरेंसिक सबूत इकट्ठा करने की भी थी। जिस रात विश्वनाथन की हत्या हुई उस रात की डिटेल्स बताते हुए पुलिस ने कहा कि कपूर मारुति वैगन आर कार चला रहे थे और शुक्ला उनके बगल में बैठे थे। मलिक और कुमार पीछे की सीट पर बैठे। पुलिस ने बताया कि वे सभी नशे में थे।

एक अन्य अधिकारी ओपी ने कहा, ’30 सितंबर को, एक कार उनके वाहन के पास से गुजरी। यह एक मारुति जेन कार थी, जिसे सौम्या अपने घर वसंत कुंज चला रही थीं। वह करोल बाग में वीडियोकॉन टॉवर स्थित टीवी टुडे के ऑफिस से लौट रही थीं। यह देखकर कि एक महिला ड्राइवर उनसे आगे निकल रही है और वह अकेली है, उन्होंने अपनी कार की स्पीड बढ़ा दी और सौम्या की कार के पास आ गए। पहले उन्होंने उसे रोकने की कोशिश की, और जब उसने अपनी कार नहीं रोकी, तो कपूर ने विश्वनाथन की गाड़ी पर गोलियां चला दीं। गोली उसकी कनपटी में लगी जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। विश्वनाथन की कार डिवाइडर से टकराकर रुक गई।

सभी आरोपी मौके से भाग गए लेकिन 20 मिनट बाद उसकी हालत देखने के लिए वापस आए। जब उन्होंने पुलिस कर्मियों को देखा तो वे फिर फरार हो गए। ACP सिंह ने बताया कि अदालत के फैसले से वो संतुष्ट हैं। उन्होंने बताया कि आरोपियों को तीन वजहों से दोषी करार दिया गया है। पहला क्राइम में इस्तेमाल हथियार, क्राइम सीन का फॉरेंसिक स्केच और पूरी वारदात का क्रम आरोपी के बयान से मेल खाला है।

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